प्राणायाम सकारात्मक शक्तियां का एक घेरा हमारे चारों ओर निर्मित करता है. प्राणायाम को हमें जीवन का नियमित हिस्सा बनाना चाहिए. उसके लिए हमें प्राणायाम के बारे में विस्तार से जानना होगा. आइए आपको बताते हैं.
प्राणायाम कैसे करें और इसके प्रकार?
हेल्थलाइन के अनुसार प्राणायाम आप कहीं भी बैठकर कर सकते हैं, बेहतर रहेगा कि अगर वह जगह खुली हो और हवादार हो. प्रातः काल सूर्योदय का समय सबसे उपयुक्त माना गया है, शाम को ढलते सूरज के साथ भी हम ये आसन कर सकते हैं. प्राणायाम करने के लिए आपको पद्मासन की मुद्रा में बैठना है और अपनी आंखें बंद कर लेनी है. ध्यान रहे पूरे आसन के दौरान आपको अपनी रीढ़ की हड्डी सीधी रखनी है. सांसों पर सारा का सारा ध्यान रखना है. सांसों पर ध्यान देते हुए, नाक के जरिए धीरे-धीरे लंबी और गहरी सांस लें. इसके बाद सांसों को भी धीरे-धीरे बाहर निकालना है. अगले चरण के तौर पर धीरे-धीरे मुंह से सांस लेनी है, लंबी और गहरी सांस लें और बाहर "हम्म्म" की ध्वनि के साथ निकालें. ध्यान के दौरान इस बात को गौर करें कि आपका पूरा का पूरा ध्यान अपनी सांस पर हो.
आप इस अभ्यास को 5 से 8 मिनट शुरुआती दिनों में कर सकते हैं और धीरे-धीरे इस समय को बढ़ाकर आप कितनी भी देर कर सकते हैं. औसतन दस से पंद्रह मिनट तक इसे करना आपकी दिनचर्या को ठीक रखेगा और आपकी जीवन ऊर्जा को भी बढ़ाएगा. इस बात का ध्यान रहे कि प्राणायाम का दैनिक अभ्यास खाली पेट करना चाहिए. यदि आपने कुछ खा लिया है तो उसके 4 घंटे के बाद ही यह आसन लगाना चाहिए. जहां पर आप आसन कर रहे हों वहां शोरगुल ना हो, वह जगह साफ-सुथरी हो और वहां खुली हवा भी आ रही हो. प्राणायाम कई प्रकार के होते हैं, भ्रामरी प्राणायाम, कपालभाति, उज्जयी, अल्टरनेटिव नोस्ट्रिल ब्रीथिंग इसके कुछ प्रमुख प्रकार हैं. इन सभी में आपको सांसों पर नियंत्रण करना ही सिखाया जाता है.
प्राणायाम के लाभ
प्राणायाम से आपके जीवन ऊर्जा तो बढ़ती ही है. साथ में, इसके और भी फायदे बताए गए हैं. प्राणायाम करने से पाचन तंत्र की कार्यप्रणाली बेहतर होती है. एक अध्ययन में यह भी पाया गया है कि प्राणायाम की वजह से धूम्रपान की तलब भी कम होती है. यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है. फेफड़ों को मजबूती प्रदान करता है.
प्राणायाम करने के दौरान कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए, जैसे अगर आप उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं तो सांसों के उतार-चढ़ाव का ध्यान रखें, गर्भावस्था में महिलाओं को यह आसन करने से पहले अपने चिकित्सक से या योग गुरु से इस विषय में सलाह ले लेनी चाहिए.