Ears Pierced कान में छेद: हमारे यहां यानी भारतीय कल्चर में नाक–कान छिदवाने का बहुत चलन है। बचपन में ही आधे बच्चों खासतौर से लड़कियों के नाक –कान तो छिदवा ही दिए जाते हैं। अगर आप भी अपने या अपने बच्चों के कान छिदवाने जा रहे हैं तो इन टिप्स को फॉलो करना ना भूलें।
भारतीय संस्कृति में कान छिदवाने का अलग ही महत्व है। आपने बहुत ही कम लोग देखे होंगे खासतौर से Women जिन्होंने अपने कान या नाक ना छिदवाएं हो। छोटे–छोटे बच्चों के भी कम उम्र में ही कान छिदवा दिए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि कम उम्र में नाक–कान छिदवाने से दर्द कम होता है। लेकिन आपने देखा होगा कि बहुत सारे लोगों के कान छिदने के बाद वो पक जाते हैं और उनमें मवाद आने लगती है। यह बहुत ही दर्दनाक होता है। ऐसा पर तब होता है जब कान छिदवाने के बाद अच्छे से उसकी देखभाल ना की जाए। आज हम आपको ऐसी ही जरूरी टिप्स बताएंगे जिनसे कान छिदने के बाद किसी भी तरह के इंफेक्शन के चांस नहीं रहेंगे। आमतौर
इन पांच बातों का रखें खास ध्यान
1) नाक–कान छिदवाने के बाद इंफेक्शन का खतरा ना हो इसलिए ध्यान रखें कि उस जगह को सलाईन सॉल्यूशन या माइल्ड एंटीसेप्टिक सॉल्यूशन से कम से कम दिन में दो बार साफ करें। रूई पर थोड़ा सा लिक्विड लगाकर उस जगह को अच्छी तरह साफ करें। इसके लिए आप घर पर ही गुनगुने पानी में नमक डालकर सॉल्यूशन तैयार कर सकती हैं।
2) कान छिदवाने के बाद सोने या चांदी की बाली ही कान में डालें। किसी भी तरह की Artificial और भारी ज्वैलरी पहनने से बचें।
3) पियर्सिंग वाली जगह को बार–बार हाथों से ना छुएं। इससे बैक्टिरियल इन्फेक्शन होने का खतरा बना रहता है। थोड़ी–थोड़ी देर में हाथों की साबुन से धोकर बाली को अपनी जगह से घुमाएं ताकि वो एक जगह चिपकी ना रहे।
4) कान छिदवाने के बाद आप दादी नानी का बताया हुआ घरेलू नुस्खा भी ट्राई कर सकती हैं। इसके लिए आपको सरसों के तेल में हल्दी को पकाना होगा। इसे हल्का गुनगुना होने पर कानों या नाक पर लगा दें। इससे इन्फेक्शन का खतरा तो टलेगा ही साथ ही राहत भी मिलेगी।
5) ध्यान रहे नहाते वक्त किसी भी तरह का साबुन, शैंपू या केमिकल प्रोडक्ट उस जगह पर ना लगें। ऐसा होने से इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। अगर कुछ दिनों तक सूजन, पस या बहुत ज्यादा दर्द है तो डॉक्टर को दिखाना ना भूलें।