लाइफस्टाइल; कहीं आपका बच्चा तो नहीं है बुली का शिकार कभी आपने सोचा है कि स्कूल जाने के नाम पर आपका बच्चा डर क्यों जाता है। अगर नहीं तो सचेत हो जाइए, क्योंकि आपका बच्चा हो सकता है बुलिंग का शिकार। पटना के एक नामी स्कूल में पढ़ने वाला दस वर्षीय सौरभ पढ़ाई-खेलकूद से लेकर सभी गतिविधियों में अच्छा था। वह हमेशा खुशी-खुशी स्कूल जाता था। उसके स्कूल में दोस्त भी बहुत सारे थे, लेकिन अचानक सौरभ को पता नहीं क्या हुआ कि वह स्कूल जाने में आनाकानी करने लगा। कभी पेट दर्द तो कभी बुखार का बहाना बनाने लगा। अपने दोस्तों से भी उसने पहले की तरह बात करना बंद कर दिया और गुमसुम और उदास रहने लगा।
सौरभ के मम्मी-पापा समझ ही नहीं पा रहे थे कि आखिर सौरभ के व्यवहार में अचानक ऐसा बदलाव क्यों आ गया है। जब काफी दिनों तक यही सिलसिला चलता रहा तो सौरभ के मम्मी-पापा ने बड़े प्यार से उससे पूछा कि बेटा आप सच-सच बताओ कि अब आप स्कूल क्यों नहीं जाना चाहते हैं। आप हमें अपनी बात खुलकर बताओ। हम आपको कुछ नहीं बोलेंगे। इतनी बात सुनते ही सौरभ रोने लगा और उसने अपने मम्मी-पापा को बताया कि क्लास में एक नया लड़का आया है, जो मुझे बहुत परेशान करता है। मुझे सब बच्चों के सामने कभी घोंचू बुलाता है तो कभी सबके सामने मेरी पैंट नीचे खींच देता है। आते-जाते मुझे धक्का मारकर चला जाता है। मुझे उससे बहुत डर लगता है। सौरभ की बात सुनकर उसके माता-पिता सन्न रह गए और बोले कि आपने हमें या अपनी क्लास टीचर को क्यों नहीं बताया इस बारे में। इस पर सौरभ बोला। नहीं मम्मी वे मेरी क्लास में इतनी इंसल्ट कर चुका है कि मैं अब उस स्कूल में नहीं जाना चाहता। मुझे किसी दूसरे स्कूल में एडमिशन दिलवा दो। ये सुनकर सौरभ के अभिभावक को समझ आ गया कि समस्या छोटी नहीं है, काफी गम्भीर है, इसलिए वे सौरभ को अगले दिन काउंसलर के पास लेकर गए, जहां उसकी काउंसलिंग की गई। फिर बाद में सौरभ के माता-पिता उसके स्कूल गए और टीचर से भी इस बारे में बात की। तब वहां सौरभ और बुली करने वाले बच्चे को एक साथ बिठाकर प्यार से समझाया गया। दोनों में दोस्ती कराई गई। उस दिन के बाद से सौरभ फिर से स्कूल में पहले की तरह खुशी-खुशी जाने लगा।
सौरभ के माता-पिता की तरह ही बहुत से अभिभावकों को इस तरह की समस्या होगी, लेकिन प्रत्येक अभिभावक सौरभ के माता-पिता की तरह समझदारी ना अपनाकर, ऐसी समस्या से छुटकारा पाने के लिए बच्चे का स्कूल ही बदलवा देते हैं। ऐसा करना कहां तक सही है? क्या ऐसा कदम उठाने से बच्चे के मन में बैठा डर निकल जाएगा? इस बात की क्या गांरटी है कि बच्चे के साथ दूसरे स्कूल में ऐसी घटनाएं नहीं होगी? ये आशंकाएं हमेशा बनी रहती हैं।
ऐसे निपटें इस समस्या से बुली की समस्या से निपटने के बारे में पटना की जानी-मानी मनोचिकित्सक डॉ. बिंदा सिंह का कहना है कि बुली होने के डर से बच्चे का स्कूल बदल देना कोई समझदारी का काम नहीं है, क्योंकि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि बच्चे के साथ दूसरे स्कूल में ऐसा नहीं होगा या फिर बच्चे के मन में बैठा डर कोई दूसरा ही रूप नहीं लेने लगेगा। कहीं ऐसा न हो कि वह पूरी उम्र के लिए डरपोक व दब्बू बन जाए। ऐसे मामलों में अभिभावकों के लिए ये बात समझना बेहद जरूरी है कि बच्चों के साथ जो समस्या है, उसकी जड़ तक जाएं और उसका पूरी तरह से समाधान करें, ताकि बच्चे के मन में घर कर गया डर बाहर निकल सके।
बच्चे से प्यार से बात करें यदि अभिभावक देख रहे हैं कि उनके बच्चे के व्यवहार में बदलाव आ रहा है। वह पहले की तरह खुश नहीं रहता, अकेला रहता है, गुस्सैल-चिड़चिड़ा हो रहा है या फिर स्कूल जाने से कतरा रहा है तो अभिभावकों को सचेत हो जाना चाहिए कि उनके बच्चे के साथ कोई परेशानी जरूर है। ऐसा होने पर अभिभावक अपने बच्चे के साथ प्यार से बात करें। उससे स्कूल के दोस्तों के बारे में बातें करें और उसी दौरान बच्चे से प्यार से पूछें कि किस बात के चलते उसे स्कूल जाने से डर लगा रहा है। कारण जानने पर तुरंत रिएक्ट ना करें। बच्चे को समझाएं कि आप डरो नहीं, हमारे रहते हुए आपका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।
टीचर से इस समस्या पर बात करें बच्चे के साथ उसके स्कूल जाएं और उसकी टीचर से इस बारे में बात करें। बुली करने वाले बच्चे के बारे में जानकारी हासिल करें और उस बच्चे को टीचर अपने स्कूल काउंसलर के पास काउंसलिंग करवाने के लिए भेजें, ताकि बुली करने वाले उस बच्चे के व्यवहार के पीछे के कारणों को जान कर उनका भी समाधान किया जा सके।
दूसरे बच्चे के अभिभावक से बात करें
जो बच्चा बुली कर रहा है, उसके अभिभावक को स्कूल प्रिंसीपल स्कूल में बुलवाएं और जानने की कोशिश करें कि उनके बच्चे के इस बुलिंग नेचर के पीछे क्या कारण है। ऐसा भी हो सकता है कि उस परिवार में ही कोई बड़ी समस्या है, जिसका बुरा असर उनके बच्चे पर पड़ रहा है तो उसे दूर करने का परामर्श उन्हें जरूर दें।
स्कूल काउंसलर की मदद लें जो बच्चा बुली कर रहा है और जो इसका शिकार हो रहा है, उन दोनों ही बच्चों को काउंसलिग की और विशेष देख-रेख की आवश्यकता है। ऐसा करना इसलिए जरूरी होता है, जिससे उन बच्चों की समस्या को पहचान कर पूरी तरह से उसका समाधान किया जा सके। इसी प्रयास से वे बच्चे अपने सामान्य व्यवहार में वापस लौट सकेंगे।
शिक्षक करें समान व्यवहार बहुत बार देखा जाता है कि स्कूल में टीचर का व्यवहार सभी स्टूडेंट्स के साथ एक जैसा नहीं होता है। पढ़ाई में अच्छा परफॉर्म करने वाले बच्चों या सुंदर दिखने वाले बच्चों पर टीचर्स का विशेष ध्यान रहता है और दूसरे सामान्य बच्चे अपने आप को उपेक्षित महसूस करते हैं। ऐसा होने से उनमें से कुछ बच्चे अपना गुस्सा निकालने के लिए क्लास के दूसरेे बच्चों या अपने से छोटी क्लास के बच्चों को परेशान करने लगते हैं। ऐसा होने पर टीचर को बच्चे के व्यवहार में आते परिवर्तन को पहचान कर अपने व्यवहार को सभी बच्चों के साथ समान कर लेना चाहिए।
यह इस बात में कोई दो राय नहीं है कि बुली होने के डर से बच्चे का स्कूल बदलवा देना कोई समझदारी वाला काम है। इस समस्या से निपटने के लिए अभिभावक, टीचर्स एवं बच्चों, सभी के लिए स्कूल में स्पेशल काउंसलिंग सेशन चलाने चाहिए, ताकि इस समस्या को पहचान कर सभी उसका समाधान कर सकें।