जानिए मौसम विभाग कैसे करता है मौसम की भविष्यवाणी

Update: 2023-02-21 16:25 GMT

मौसम अद्यतन: इस बार फरवरी के महीने में ही उत्तर भारत के कई राज्यों में लोगों को गर्मी का एहसास होने लगा है। मौसम का न्यूनतम पारासामान्य पारा से अधिक दर्ज किया गया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सालों के बाद फरवरी के महीने में न्यूनतम पारा 33 डिग्री से अधिक दर्ज किया गया। मौसम विभाग (Weather Update) का कहना है कि इस साल बहुत गर्मी पड़ेगी। देश के उत्तरी और पश्चिमी हिस्सों में तापमान बढ़ने के साथ ही दिल्ली में बहुत गर्मी पड़ेगी।

बढ़ती गर्मी पर लगेगा ब्रेक :  

मौसम विभाग का कहना है कि आने वाले दो दिनों में दिल्ली में तापमान 33 डिग्री रहने का अनुमान है। लेकिन अनुमान जताया जा रहा है कि मौसम के बढ़ते तापमान पर ब्रेक लग सकता है। इसके बावजूद तापमान में कमी की उम्मीद नहीं जताई गई है। मौसम विभाग के विशेषज्ञ के मुताबिक पश्चिमी विक्षोभ उत्तरी पहाड़ों की ओर बढ़ रहा है। मौसम की गतिविधि पर्वतीय राज्यों और पंजाब, हरियाणा के कुछ उत्तरी हिस्सों तक ही सीमित है। हवा के पैटर्न में उलटफेर और दिल्ली के आसपास इनकी गति में गिरावट की वजह से यह गर्मी बढ़ रही है।

मौसम विभाग का पूर्वानुमान हमेशा पूरी तरह सच नहीं

आपको बता दें कि मौसम विभाग का पूर्वानुमान हमेशा पूरी तरह सच नहीं होता है। मौसम विभाग के महानिदेशक (DG) डॉ. मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि साल 2018 से 2022 के पांच साल में पिछले पांच साल 2013-17 के मुकाबले लगभग 40 प्रतिशत अधिक सटीक पूर्वानुमान जाहिर करने में मौसम विभाग तकनीकी तौर पर सक्षम हुआ है। उन्होंने बताया कि चक्रवाती तूफान( साइक्लोन), लू (हीट वेव), तूफान (थंडर स्ट्रॉम) और भारी बारिश (हेवी रेन फाल) के मामले में वेदर फॉरकास्ट (मौसम का पूर्वानुमान) एक्यूरेसी बेहतर हुई है।

 कैसे होता है मौसम का पूर्वानुमान

मौसम का पूर्वानुमान किसी स्थान पर वर्तमान वायुमंडलीय अवस्था के मात्रात्मक आंकड़ों के आधार पर किया जाता है। इन आंकड़ों का वायुमंडलीय प्रक्रिया के आधार पर वैज्ञानिक ढंग से विश्लेषण किया जाता है ताकि यह भविष्यवाणी की जा सके कि आगे आने वाले वक्त में उस जगह पर वायुमंडल में किस तरह के परिवर्तन हो सकते हैं। मौसम का पूर्वानुमान करने के लिए विशेषज्ञ उपग्रह प्रौद्योगिकी का भी इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा मौसम पूर्वानुमान में डॉप्लर रडार का भी उपयोग होता है। मौसम वैज्ञानिकों ने डॉप्लर रडार के जरिए टॉरनेडो और हरिकेन जैसे तूफान के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त की है।

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