जानें वायरस के इस नए स्वरूप के बारे में...जिसपर टीके भी बेअसर
दुनिया में कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस स्वरूप का कहर अभी खत्म भी नहीं हुआ है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| दुनिया में कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस स्वरूप का कहर अभी खत्म भी नहीं हुआ है कि एक नए स्वरूप 'म्यू' ने चिंता बढ़ा दी है। इसे बेहद संक्रामक बताया जा रहा है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि वह बारीकी से इसकी निगरानी कर रहा है। साथ ही इस वेरिएंट पर टीके का असर नहीं होने के संकेत मिलने की भी बात कही जा रही है। आइए जानते हैं वायरस के इस नए स्वरूप के बारे में...
पहला मामला कहां आया सामने?
इसी वर्ष जनवरी महीने में पहला मामला कोलंबिया में सामने आया। इसके बाद 'म्यू' के मामले अन्य दक्षिण अमेरिकी देशों और यूरोप में सामने आए। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, ब्रिटेन, यूरोप, अमेरिका और हांगकांग में भी इसके मामले सामने आए हैं। 'म्यू' को वैज्ञानिक रूप से बी.1.621 के रूप में जाना जाता है। इसे वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट की श्रेणी में रखा गया है। 29 अगस्त तक जितने नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग की गई उनमें 4,500 नमूनों में म्यू वायरस की पुष्टि हुई। इनमें से अमेरिका में 2,065 और कोलंबिया में 852, मैक्सिको में 357 और स्पेन में 473 मामले पाए गए हैं।
डब्ल्यूएचओ को इसकी निगरानी क्यों करनी पड़ी?
इस वेरिएंट में ऐसे म्यूटेशन हैं, जो कोरोना रोधी टीका लगवाने के बाद भी शरीर में हमला कर सकता है। हालांकि, चेतावनी देते हुए संगठन ने कहा कि इस बारे में और अध्ययन की जरूरत है। फिलहाल 'म्यू' का वैश्विक प्रसार 0.1 फीसदी से कम है, लेकिन कुछ देशों में तेजी से फैल रहा है। कोलंबिया में इसका प्रसार 39 फीसदी और इक्वाडोर में 13 फीसदी की दर से देखा जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 39 देशों में इसका पता चलने के बाद 30 अगस्त को 'म्यू' को अपनी निगरानी सूची में रखा। मार्च के बाद कोरोना वायरस का यह पांचवां वेरिएंट है, जिसकी निगरानी डब्ल्यूएचओ कर रहा है।
विश्व समुदाय के लिए चिंता का विषय क्यों है?
सार्स-कोव-2 सहित सभी वायरस, जो कोविड-19 से जुड़े हुए हैं, समय के साथ अपने को बदलते हैं और अधिकांश म्यूटेशन वायरस के गुणों पर बहुत कम या कोई प्रभाव नहीं डालते हैं। लेकिन कुछ म्यूटेशन वायरस के गुणों को प्रभावित कर सकते हैं। इससे होने वाली बीमारी की गंभीरता बढ़ सकती है और टीकों का असर कम सहित कई समस्या हो सकती है। डब्ल्यूएचओ की बुलेटिन में कहा गया है कि म्यू संस्करण कई म्यूटेशन का समूह है, जो वैक्सीन से बनी प्रतिरक्षा से बचने में कारगर हो सकता है। कहा गया है कि नए वायरस म्यूटेशन के उभरने से व्यापक चिंता बनी है, क्योंकि संक्रमण दर फिर से विश्व स्तर पर बढ़ रहा है।
और कौन से वेरिएंट खतरनाक हैं?
डब्ल्यूएचओ म्यू के अलावा वर्तमान में ऐसे चार कोविड-19 वेरिएंट की पहचान कर चुका है, जो चिंता के कारण हैं। इनमें अल्फा, जो 193 देशों में मौजूद है। डेल्टा, जो 170 देशों में मौजूद है।
वैक्सीन के खिलाफ बीटा वेरिएंट की तरह कर रहा व्यवहार
म्यू वेरिएंट कोरोना वायरस के बीटा वेरिएंट की तरह व्यवहार कर रहा है। अगस्त में म्यू संस्करण के जोखिम मूल्यांकन के बाद पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) ने यह जानकारी दी। 'म्यू' में भी वैक्सीन या संक्रमण से पैदा हुई एंटीबॉडीज से बचकर निकलने की क्षमता है, जैसी बीटा में थी। हालांकि, इसकी पुष्टि के लिए आगे के अध्ययनों की आवश्यकता पर बल दिया गया है।