अपनी एरोटिक मूर्तियों के लिए दुनिया भर में विख्यात है खजुराहो,जानें इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य

भारत का खजुराहो मंदिर मुख्य रूप से अपनी एरोटिक मूर्तियों के लिए दुनिया भर में विख्यात हैं।

Update: 2022-03-18 09:31 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत का खजुराहो मंदिर (Khajuraho Temples) मुख्य रूप से अपनी एरोटिक मूर्तियों (Erotic Sculptures) के लिए दुनिया भर में विख्यात हैं। यूनेस्को (UNESCO) ने इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में चिन्हित किया है। सुंदर मंदिरों की भूमि, मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में खजुराहो दुनिया भर से यात्रियों को आकर्षित करता है। मध्य प्रदेश का खुजराहो मंदिर यहां के पर्यटन (Madhya Pradesh Tourism) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह वो स्थान है जो बीते युग के इतिहास और संस्कृति (History and Culture) के बारे में हमें बहुत कुछ बताता है। लेकिन इस मंदिर में कामुक मूर्तियों के अलावा बहुत कुछ खास है, अपनी इस स्टोरी में हम आपको इस मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों (Interesting Facts of Khajuraho) के बारे में बताएंगे...

मंदिर की खोज

मंदिर एक हजार साल से भी ज्यादा पुराने हैं लेकिन कैप्टन टी.एस. बर्ट ने साल 1838 में इन मंदिरों को 'फिर से खोजा' और दुनिया के सामने पेश किया। एक ब्रिटिश सेना के कप्तान, बर्ट एक आधिकारिक कर्तव्य पर खजुराहो में थे और एक अज्ञात मार्ग का अनुसरण कर रहे थे कि चलते-चलते रास्ता उन्हें इन छिपे हुए मंदिरों तक ले गया।
केवल 10 प्रतिशत मूर्तियां ही हैं कामुक
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अपनी कामुक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध होने के बावजूद, मंदिर परिसर की केवल 10% नक्काशी यौन गतिविधियों को दर्शाती है। बाकी 90 प्रतिशत मूर्तियों के बारे में लोगों को पता नहीं है कि ये उस समय के दौरान रहने वाले आम लोगों के जीवन को प्रदर्शित करने वाली सामान्य नक्काशी है। कुम्हारों, संगीतकारों, किसानों और महिलाओं की मूर्तियां हैं, लेकिन उन नक्काशियों की बात ज्यादा कोई नहीं करता और ये बात काफी हद तक छिपी हुई है।
बचे हुए मंदिर
12वीं शताब्दी तक लगभग 85 मंदिर थे लेकिन 13वीं शताब्दी के आते-आते इनमें से कुछ को नष्ट कर दिया गया था। आज परिसर में केवल 22 मंदिर बचे हुए हैं, जिन्हें पर्यटक देख सकते हैं। 12वीं शताब्दी के अंत तक खजुराहो के मंदिर सक्रिय रूप से उपयोग में थे। यह 13वीं शताब्दी में बदल गया जब दिल्ली सल्तनत की सेना के मुस्लिम सुल्तान कुतुब-उद-दीन ऐबक ने चंदेला साम्राज्य पर हमला किया और इस पर कब्जा कर लिया।
कैसे पड़ा खजुराहो नाम
खजुराहो नाम हिंदी शब्द खजूर से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'खजूर'। ऐसा कहा जाता है कि ये शहर पहले के समय में सिर्फ और सिर्फ खजूर के पेड़ों से घिरा हुए था और इन पेड़ों के अलावा यहां कुछ और नहीं था इसलिए इसका नाम खजुराहो पड़ा। लेकिन एक और कहानी है, जो लोगों द्वारा कही सुनी जाती है। जिसमें बताया गया है कि खजुराहो नाम की उत्पत्ति खजुरा-वाहक से हुई है, जो भगवान शिव का एक प्रतीकात्मक नाम है।
कब हुआ था मंदिरों का निर्माण
ये विश्व प्रसिद्ध भारतीय मंदिर चंदेल वंश के दौरान बनाए गए थे और अधिकांश मंदिरों का निर्माण 950 और 1050 ईस्वी के बीच हिंदू राजाओं यासोवर्मन और धंगा के शासनकाल के दौरान किया गया था।
मंदिरों का सबसे बड़ा समूह
खजुराहो परिसर भारत में मध्यकालीन हिंदू और जैन मंदिरों के सबसे बड़े समूह का घर है। ये मंदिर अपनी स्थापत्य सुंदरता और कामुक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं। हालांकि अब इस मंदिर समूह के सिर्फ एक चौथाई मंदिर ही बचे हैं, बाकियों को मुस्लिम सुल्तान कुतुब-उद-दीन ऐबक की कमान के तहत नष्ट कर दिया गया था।


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