आयुर्वेद में औषधि माना जाता है कटेरी, जानिए इसके फायदे

अस्थमा फेफड़ों से संबंधित एक बीमारी है। यह एक आनुवांशिकी बीमारी है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है

Update: 2022-11-05 14:16 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अस्थमा फेफड़ों से संबंधित एक बीमारी है। यह एक आनुवांशिकी बीमारी है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है। इस बीमारी में व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ, सीने में भारीपन और खांसी की शिकायत होती है। अस्थमा को हिंदी और देसी भाषा में दमा कहा जाता है।

अस्थमा एलर्जी और प्रदूषण की वजह से भी होती है। अस्थमा के मरीजों को अपनी सेहत का विशेष ख्याल रखना चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी विशेष एडवाइजरी जारी कर अस्थमा के मरीजों को आवश्यक सावधानियां बरतने की सलाह दी है। इसके लिए घर से बाहर निकलते समय मास्क जरूर लगाएं।
Full View

प्रदूषित जगहों पर जानें से बचें। शारीरिक दूरी का पालन करें और नियमित अंतराल पर अपने हाथों को जरूर धोएं। साथ ही रोजाना ग्रीन टी और काढ़ा का सेवन कर सकते हैं। आयुर्वेद में कई औषधियां हैं, जो अस्थमा में राहत दिला सकती हैं। इनमें एक औषधि कटेरी है। अगर आपको इस पौधे के बारे में नहीं पता है, तो आइए जानते हैं-
कटेरी क्या है
आयुर्वेद में कटेरी को औषधि माना जाता है। यह एक प्रकार का कटीला पौधा है। इसमें एंटी अस्थमा के गुण पाए जाते हैं। इसके लिए अस्थमा में कटेरी का उपयोग किया जाता है। इसे कई नामों से जाना जाता है।
कुछ जगहों पर कंटकारी, तो कुछ जगहों पर भटकटैया कहा जाता है। इसका फल सफेद रंग का होता है। कटेरी अस्थमा के मरीजों के लिए दवा समान है। इसके सेवन से अस्थमा में आराम मिलता है।
कैसे करें सेवन
कटेरी की पत्तियों के काढ़ा पीने से अस्थमा में आराम मिलता है। इसके लिए रोजाना कटेरी की पत्तियों का काढ़ा बनाकर सेवन करें। इससे अस्थमा रोग में आराम मिलता है। आप चाहे तो कटेरी के अर्क को दूध या पानी में मिलाकर सेवन कर सकते हैं। हालांकि, सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर सलाह लें।

न्यूज़ क्रेडिट: navyugsandesh

Tags:    

Similar News

-->