हसीन वादियों में गुजारनी हो शाम तो अरुणाचल प्रदेश की जीरो वैली है लाजवाब, संगीतप्रेमी हैं निवासी
हसीन वादियों में गुजारनी हो शाम तो
जीरो घाटी बसी है अरुणाचल प्रदेश में। यहां पर अपातिनी प्रजाति के लोग रहते हैं जो अपनी सभ्यता और संस्कृति के साथ ही संगीत के प्रति अपने प्रेम को लेकर भी जाने जाते हैं। इस म्यूजिक फेस्टिवल के जरिए यहां के टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलता है। केवल म्यूजिक फेस्टिवल ही नहीं इस घाटी के और भी बहुत से नजारे और स्थल हैं देखने के लिए।
जीरो भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में एक शहर और निचले सुबनसिरी जिले का जिला मुख्यालय है। इसे अपतानी सांस्कृतिक परिदृश्य के लिए यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की संभावित सूची में शामिल किया गया है। शहर का वह हिस्सा जो आर्थिक गतिविधियों का केंद्र है और जहां प्रशासनिक कार्यालय स्थित हैं उसे हापोली कहा जाता है या स्थानीय रूप से अपतानियों द्वारा हाओ-पोल्यांग के रूप में जाना जाता है। जीरो ईटानगर से 115 किमी, लीलाबारी में निकटतम नागरिक हवाई अड्डे से 123 किमी, नाहरलागुन रेलवे स्टेशन से 96 किमी दूर है।
अरुणाचल प्रदेश के लोअर सुबंसरी जिले में समुद्रतल से 5600 फीट की ऊंचाई पर स्थित जीरो घाटी दुनिया के कुछ उन मुट्ठी भर ठिकानों में से है, जहां आज भी प्रकृति और परंपराओं की जुगलबंदी कायम है। यहां हरे-भरे बांस के जंगल, नीले और हरे रंग के देवदार के पेड़ों और पहाड़ों के बीच धान से घिरी जीरो वैली बहुत ही शांत, खूबसूरत और नेचर के करीब है। अरूणाचल प्रदेश की इस जगह को साल 2012 में वल्र्ड हेरिटेज साइट्स की लिस्ट में शामिल किया गया था। यह घाटी जितनी अपने समृद्ध वन्यजीव के लिए जानी जाती है, उतनी ही लोकप्रिय यहां के निवासियों- अपतानी जनजाति के लिए भी। घाटी में घूमने और देखने के लिए बहुत कुछ है। यहां आसपास के इलाकों में अपतानी जनजाति के लोग रहते हैं। ये तिब्बत कल्चर को फॉलो करते हैं और साल में 3 खास उत्सव म्योको, मुरूंग और ड्री मनाते हैं।
जीरो वैली की खूबसूरती
पहाड़ों से होते हुए घाटी तक पहुंचने का सफर बहुत ही सुहाना होता है। घाटी में घूमने और देखने के लिए बहुत कुछ है। यहां आसपास के इलाकों में अपतानी जनजाति के लोग रहते हैं। ये तिब्बत कल्चर को फॉलो करते हैं। और साल में 3 खास उत्सव म्योको, मुरूंग और ड्री मनाते हैं।
जीरो वैली घूमने का सही समय
वैसे तो जीरो वैली का मौसम पूरे साल ही घूमने के लिए परफेक्ट होता है आप यहां का प्लान गर्मियों से लेकर मानसून और सर्दियों में भी बना सकते हैं। लेकिन अक्टूबर से अप्रैल का मौसम सबसे बेस्ट माना जाता है। दिसंबर से जनवरी वैली में बहुत ज्यादा सर्दी होती है।
गर्मियों में—अप्रैल से जून में यहां का तापमान 6 से 20 डिग्री तक रहता है जिसमें आप नॉर्मल कपड़ों में यहां घूमने-फिरने का आनंद ले सकते हैं।
सर्दियों में—अक्टूबर से मार्च के बीच भी आप इस खूबसूरत जगह को एक्सप्लोर करने की प्लानिंग कर सकते हैं। हल्के-फुल्के ऊनी कपड़ों से काम चल जाएगा।
मानसून में बचें यहाँ आने से—मानसून में यहां का तापमान 2 से 19 डिग्री के बीच रहता है लेकिन जीरो वैली तक पहुंचने के रास्ते में कई जगहों पर बाढ़ का सामना करना पड़ सकता है जिस वजह से इस दौरान यात्रा करने से बचना चाहिए।
यदि आपकी इच्छा गर्मियों के दिनों में जीरो वैली घूमने की हो रही है तो अपनी इच्छा को दबाइए मत फटाफट बनाए अपना प्रोग्राम। जीरो वैली पहुँचने के बाद इन स्थानों को देखना व घूमना न भूलें—
टिपी ऑर्किड रिसर्च सेंटर
यह सेंटर में आकर आप लगभग आर्किड के 1000 प्रजातियों को देख सकते हैं जो वाकई अद्भुत होता है। इस जगह को देखना बिल्कुल मिस न करें।
तारिन फिश फार्म
जीरो घाटी बहुत ही ऊंचाई पर स्थित है फिर भी यहां मछली पालन का काम किया जाता है। वैसे जीरो वैली में फूलों की खेती और आर्किड्स के कुछ बहुत ही दुर्लभ जाति की खेती होती है।
मेघना गुफा मंदिर
मेघना गुफा मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और जीरो घाटी के बहुत ही नजदीक स्थित है। यहां पर भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आपको बहुत सी सीढियां चढ़ना पड़ेगा, जिसमें करीब दस मिनट का समय लग सकता है। इस पांच हजार साल पुराने मंदिर को देखने के बाद आपकी सारी थकान दूर हो जाएगी।
टैली घाटी वन्य जीव अभ्यारण्य
टैली घाटी रोमांच पसंद लोगों के लिए परफेक्ट है। यह जगह ट्रेकिंग के लिए फेमस है। टैली घाटी वन्य जीव अभ्यारण्य प्रदेश के जाइरो से करीब 30 किलोमीटर दूर है। इस अभ्यारण्य में वनस्पतियों और जीवों की विशेष किस्म ध्यान आकर्षित करती है। यहां क्लाउडेड तेंदुआ जैसी दुर्लभ प्रजाती के वन्यजीव भी पाए जाते हैं। खास बात यह है कि 337 स्क्वेयर किलोमीटर में फैले इस अभ्यारण्य में से तीन नदियां होकर गुजरती हैं जो यहां का अनुभव यादगार बना देती हैं।
पाइन बाग
जीरो घाटी का पाइन ग्रोव यानी पाइन के पेड़ों का बाग पर्यटकों के बीच मशहूर है। यह जगह पुराने जीरो टाउन से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर है। इस जगह को फटॉग्रफी के लिहाज से बेहतरीन माना जाता है।
ताले घाटी
जीरो घाटी से 32 किमी उत्तर-पूर्व की ओर ताले घाटी खासतौर से वाइल्ड लाइफ के लिए मशहूर है। जहां पशु-पक्षियों के साथ ही पेड़-पौधों की भी कई सारी वैराइटी देखने को मिलती है। ट्रैकिंग के शौकिनों के लिए भी ये जगह बहुत ही बेहतरीन है।
पाको घाटी
जीरो वैली के हरे-भरे नजारों के साथ ही अगर हिमालय की बर्फ से ढंकी चोटियां देखनी हैं तो पाको घाटी आएं। संकरी घाटी वाली इस जगह की खूबसूरती को यहां आकर ही महसूस किया जा सकता है।
डोलो-मांडो
हपोली से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित डोलो-मांडो ट्रेकर्स के बीच मशहूर है। यहां से आप हापोली और पुराने जीरो इलाके के खूबसूरत नजारे देख सकेंगे। यहां की ताजी हवा और आसपास के नजारे देख आप शांति का अनुभव करेंगे।
जीरो पुतु
आंखों के साथ इस जगह आकर आपका तन और मन भी खुश हो जाएगा। चारों ओर हरियाली से घिरी इस जगह जाकर आपको अलग ही तरह का सुकून मिलेगा। इस जगह को आर्मी पुतु के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि 1960 में यहां आर्मी केंटोनमेंट बनाया गया था।
म्यूजिक फेस्टिवल
घूमने के शौकीन है और साथ में संगीत को भी पसंद करते हैं तो बस ये जगह आपके लिए बनी है। यहां पर सितंबर महीने में हर साल संगीत संध्या का आयोजन किया जाता है जहां आप अपने संगीत का प्रदर्शन भी कर सकते हैं और संगीत का लुत्फ भी उठा सकते हैं।
अरुणाचल प्रदेश की हरी-भरी वादियों में हर साल होता है म्यूजिक फेस्टिवल का आयोजन। इस आयोजन की खास बात है कि इसमें भारत भर से संगीत के शौकीन शामिल होते हैं और अपने हुनर को दिखाते है। जीरो म्यूजिक फेस्टिवल आयोजन का आगाज 2012 से दो गिटार बजाने वालों ने किया था। इस फेस्टिवल में आपको रंग-बिरंगी संस्कृति, कला और संगीत का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। पिछले साल इस फेस्टिवल का आयोजन 27 सितंबर से शुरु हुआ था।
अपतानी जनजाति की महिलाएं
यहां जब आयेंगे तब आप देखेंगे कि अपतानी महिलाओं को एक टैटू बनवाया जाता है जिसमें नीली धारियां होती हैं जो आकार में चौड़ी होती हैं और सिर से नाक की नोक तक फैली होती हैं और ठोड़ी पर निचले होंठ के नीचे खड़ी पांच रेखाएं खींची जाती हैं। बालों को सिर के शीर्ष पर बड़े करीने से व्यवस्थित किया जाता है जिसे डिलिंग कहा जाता है।
शिक्षा : सेंट क्लैरट कॉलेज, जीरोस
जीरो में क्रमश: एक विश्वविद्यालय और एक स्नातक कला महाविद्यालय है, जिसका नाम क्रमश: इंदिरा गांधी प्रौद्योगिकी और चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय और सेंट क्लैरट कॉलेज है। 2001 की जनगणना के अनुसार, जीरो की औसत साक्षरता दर 66 प्रतिशत थी, जो राष्ट्रीय औसत 74.04 प्रतिशत से कम थी— पुरुष साक्षरता 72 फीसदी थी और महिला साक्षरता 60 फीसदी थी। पुरानी पीढ़ी को औपचारिक शिक्षा से अवगत नहीं कराया गया था, लेकिन युवा पीढ़ी की शिक्षा की तीव्र गति के साथ, जीरो का शिक्षा परिदृश्य जबरदस्त रूप से विकसित हुआ और आगे बढऩे की ओर अग्रसर है।
लोअर सुबनसिरी जिले की शहरी आबादी मुख्य रूप से जीरो में रहती है और 2011 की जनगणना के अनुसार, लोअर सुबनसिरी जिले में औसत शहरी साक्षरता दर 85.52 फीसदी है, जिसमें पुरुष और महिलाएं क्रमश: 89.81 फीसदी और 81.26 फीसदी साक्षर हैं। गौरतलब है कि 2011 की जनगणना के अनुसार निचले सुबनसिरी जिलों की 84.58 फीसदी आबादी गांवों के ग्रामीण इलाकों में रहती है। निचले सुबनसिरी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता दर 72.27 फीसदी है। फिर भी, संयुक्त साक्षरता दर 74.35 फीसदी है, जो अरुणाचल प्रदेश में दूसरे स्थान पर है, केवल पापुमपारे जिले के बाद, जहां की राजधानी ईटानगर स्थित है।
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