अगर आपको बार-बार प्यास लगती है,तो न करें इसे नजर अंदाज हो सकती है ये गंभीर बीमारी

पानी हमारे जीवन को संतुलित बनाता है|

Update: 2021-01-28 12:33 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पानी हमारे जीवन को संतुलित बनाता है लेकिन अगर इसकी मात्रा शरीर में असंतुलित हो जाए, तो यह जीवन के लिए संकट पैदा कर सकता है। शरीर का भीतरी तंत्र अपने हिसाब से पानी की जरूरत का संदेशा प्यास के एहसास के जरिए देता रहता है। हालांकि, कई बार कुछ लोगों को जरूरत से ज्यादा प्यास लगती है या फिर वे आवश्यकता से अधिक और बार-बार पानी पीने लगते हैं। दरअसल, अधिक प्यास लगने की यह चाही-अनचाही स्थिति गंभीर बीमारी का संकेत हो सकती है।

कई मेडिकल शोध बताते हैं कि एक सेहतमंद इंसान के लिए रोजाना औसत 2 से 3 लीटर पेयजल पर्याप्त है। किसी विशेष स्थितियों में पानी के जरूरत की यह मात्रा घट या बढ़ सकती है। जब हमारा शरीर ज्यादा श्रम करता है या फिर हम किसी ऊंचे स्थान पर होते हैं या अत्यधिक गर्मी के दौरान हमें सामान्य से ज्यादा पानी की जरूरत महसूस होती है। लेकिन कई बार कुछ खास तरह की बीमारियों में लोगों को बार-बार प्यास लगती है या फिर से जरूरत से ज्यादा पानी पीने लगते हैं। यह समझना जरूरी है कि आखिर अत्यधिक प्यास लगती क्यों है और यह कौन सी बीमारियों का संकेत है :
ये हैं अत्यधिक प्यास लगने की वजह
अत्यधिक प्यास लगने की अवस्था को मेडिकल टर्म में 'पॉलीडिप्सिया' कहते हैं। इस अवस्था में संबंधित व्यक्ति जरूरत से ज्यादा पानी पीता है जिसकी वजह से शरीर में सोडियम की कमी हो सकती है। मतली या उल्टी जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। इसके अलावा सामान्य से ज्यादा पेशाब करने की समस्या से भी जूझना पड़ सकता है। लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी हैं, जिनमें पॉलीडिप्सिया यानी अत्यधिक प्यास लगना प्रमुख लक्षण होता है।
डायबिटीज
आजकल यह हर उम्र वर्ग में सामान्यतौर पर होने वाली एक प्रेचलित बीमारी बन गई है। खराब लाइफस्टाइल या जेनेटिक वजहों से यह बीमारी किसी को भी हो सकती है। बार-बार प्यास का लगना इसकी पहचान का एक प्रमुख लक्षण है। जीवनशैली से जुड़ी इस बीमारी में खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है, जिसको किडनी आसानी से छान नहीं पाती है। यही शुगर यूरिन के साथ बाहर निकलती रहती है, जिसके कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है। यही बार-बार प्यास लगने की वजह बनती है।
डिहाईड्रेशन
इसका सीधा सा अर्थ है कि शरीर में पानी की कमी का होना। फूड पॉयजनिंग, हीटवेव, डायरिया, इन्फेंक्शन, फीवर या बर्निंग इसकी प्रमुख वजह हैं। बार-बार प्यास का लगना, मुंह का सूखना, थकान, उल्टी, मतली और बेहोशी इसके लक्षण हैं । डिहाईड्रेशन के मरीज को सही मात्रा में पानी और जरूरी इलेक्ट्रोलाईट्स देकर ठीक किया जा सकता है। लेकिन कभी-कभी लापरवाही पर यह मौत का कारण भी बन सकता है।
एंग्जायटी
सामान्य अर्थ में धड़कन का बढ़ जाना, बेचैनी और घबराहट का महसूस होना ही मेडिकल की भाषा में एंग्जायटी कहलाता है। ऐसी स्थिति में मुंह भी सूखने लगता है, जिस कारण व्यक्ति अधिक पानी पीता है। ऐसी स्थिति में कुछ एंजाइम मुंह में बनने वाली लार की मात्रा में भी कमी ला देते है, जिस कारण भी अधिक प्यास लग सकती है।
इनडाइजेशन या अपच
कई बार अधिक तेलयुक्त या मसालेदार भोजन खाने के बाद वह आसानी से नहीं पचता है। शरीर को गरिष्ठ भोजन पचाने के लिए अधिक पानी की जरूरत होती है। इससे शरीर में पानी की कमी होने लगती है और यह अत्यधिक प्यास की वजह हो सकती है।
अधिक पसीना आना
विशेषतौर पर गर्म और आद्र जलवायु में अधिक पसीना आने से पानी की कमी होने लगती है। हमारा शरीर तापमान संतुलित करने के लिये अधिक पानी की मांग करता है। इस कारण भी हमें ज्यादा प्यास लगती है।
क्या है उपाय ?
अत्यधिक प्यास के नुकसान से बचाव के लिये सबसे पहले हमें प्यास को संतुलित करने की कोशिश करनी चाहिये। एक बार में ज्यादा पानी पीने से बचना चाहिए। घरेलू नुस्खे भी कारगर हो सकते हैं। मसलन आंवला पाउडर और शहद का मिश्रण खाएं या भिगी सौंफ को पीस कर खाने से कृत्रिम प्यास कम हो सकती है। एक चम्मच काली मिर्च पाउडर को 4 कप पानी में उबाल कर ठण्डा कर पीने से भी आराम मिलता है। अधिक समस्या पर डॉक्टर की सलाह अवश्य लेना चाहिये।


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