lifestyle:हाई बीपी बिगाड़ सकता है आपके बच्चों का भविष्य

Update: 2024-06-19 03:39 GMT
lifestyle: हाई बीपी एक चिंताजनक स्थिति है जो इन दिनों वैश्विक स्तर पर कई लोगों को अपना शिकार बना रही है। सिर्फ बड़े और अंगुठे ही नहीं, बल्कि अँग्रेजी बच्चे भी इसके शिकार हो रहे हैं। बच्चों में हाई बीपी की समस्या को Paediatric Hypertension कहा जाता है। यह एक गंभीर समस्या हो सकती है अगर समय रहते इसकी पहचान न की जाए तो यह हार्ट अटैक का कारण बन सकता है। हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर की समस्या आमतौर पर बड़े-बूढ़ों को होती है, लेकिन आधुनिक जीवनशैली
lifestyle 
में हाइपरटेंशन बच्चों में भी आम है। होते जा रहा है, इसलिए भविष्य में उनमें हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे उम्र, वजन, शारीरिक गतिविधि, पत्रिकाएं, पारिवारिक इतिहास आदि। इसलिए रक्तचाप की जांच नियमित रूप से कराना चाहिए, लेकिन बच्चों को इससे वंचित रखा जाता है, क्योंकि जानकारी के अभाव में बच्चों में हाइपरटेंशन की समस्या को अभी तक पूरी तरह से नहीं लिया जाता है।
बच्चों में होने वाले हाइपरटेंशन को पीडियाट्रिक हाइपरटेंशन (बाल चिकित्सा) उच्च रक्तचाप) कहते हैं। 12 साल से 19 साल तक के बच्चों में ये सामान्य तौर पर पाया जाता है। बच्चों की उम्र, जाति, रंग, जीन, रूप, शारीरिक गतिशीलता के आधार पर बच्चों में होने वाला उच्च रक्तचाप निर्भर करता है। बच्चों की जीवनशैली, आहार, परिवार और सामाजिक परिवेश पर भी ये निर्भर कर सकता है। वहीं, मोटापे से ग्रस्त यानी मछलियों का शिकार करने वाले बच्चों में भी उच्च रक्तचाप
high blood pressure
 की समस्या आम होती है। बच्चों में 130/80mm hg के ऊपर रक्तचाप की मात्रा हाई बीपी की श्रेणी में आती है। पीडियाट्रिक हाइपरटेंशन भी दो प्रकार की होती हैं–प्राइमरी- इसमें मुख्य रूप से मधुमेह, पारिवारिक इतिहास, जीन्स, गर्भावस्था में धूम्रपान करने पर पैदा होने वाले बच्चों का ब्लड प्रेशर हाई होता है। सेकेंडरी- इसमें किसी प्रकार की बीमारी जैसे नींद संबंधी समस्या, कुशिंग सिंड्रोम, किडनी या हाइपरथायरायडिज्म या फिर दवाइयों के दुष्प्रभाव के कारण बच्चे का ब्लड प्रेशर हाई रहता है।
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