अमूमन कहा जाता है कि महिलाएं दिल की सुनती हैं. पर स्वास्थ्य से जुड़े आंकड़े कहते हैं कि वे अपने दिल की सेहत का ख़्याल कम रखती हैं. हर तीन में से एक महिला की मौत दिल से जुड़ी बीमारी के चलते होती है. दिल से जुड़ी बीमारियां महिलाओं और पुरुषों दोनों को ही होती हैं, लेकिन हार्ट अटैक की वजह से पुरुषों की तुलना में महिलाओं की मृत्यु की संभावनाएं अधिक होती हैं. ‘‘इसकी मुख्य वजह है कि महिलाओं में हार्ट अटैक से जुड़े लक्षण पुरुषों में दिखाई देनेवाले लक्षणों, जैसे-ऐसा चेस्ट पेन, जो जबड़े या बांहों की तरफ़ बढ़ता हुआ-सा लगता है, से अलग होते हैं. इस वजह से समस्या का पता चलने में समय लग जाता है,’’ बताती हैं डॉ स्वाती गरेकर, कंसल्टेंट पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट, फ़ोर्टिस हॉस्पिटल, मुंबई.
दर्द पर ध्यान दें
यदि आपको चेस्ट पेन, असहजता, दबाव या ऐंठन महसूस हो रही है, यूं लग रहा है, जैसे आप के ऊपर मनभर वज़न रखा हुआ है तो सचेत हो जाएं. इसके अलावा शरीर के ऊपरी हिस्से में दर्द; एक या दोनों बांहों में दर्द; पीठ, कंधों, गर्दन या पेट के ऊपरी हिस्से में होनेवाला दर्द भी दिल की समस्या से जुड़ा हो सकता है. इसके अन्य लक्षणों के बारे में डॉ गरेकर बताती हैं,‘‘ठंडा पसीना आना, हल्का सिरदर्द और अचानक चक्कर आना, मितली आना, थकान और सांस लेने में बाधा महसूस करना भी हार्ट अटैक से जुड़े लक्षण हैं. यदि आप इनमें से किसी भी तरह का लक्षण ख़ुद में पाती हैं तो डॉक्टर के पास जाने में देर न करें.’’ सही समय पर डॉक्टर के पास पहुंचने से हम जीवन बचा सकते हैं.
फ़ैमिली हिस्ट्री जानें
‘‘बीमारियों के बारे में अपनी फ़ैमिली हिस्ट्री की जानकारी रखना काम का साबित हो सकता है. इसके चलते ऐसे फ़ैक्टर्स का पता चल सकता है, जो आपके लिए दिल की बीमारी और स्ट्रोक के ख़तरे को बढ़ा सकते हैं,’’ कहना है डॉ समीर पगाड, कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, केजे सोमैय्या सुपर स्पेशियालिटी हॉस्पिटल, मुंबई, का. ये सच है कि यदि आपके माता-पिता को दिल से जुड़ी बीमारी रही है तो आपको भी यह हो, इसकी संभावना बढ़ जाती है, लेकिन यदि आप स्वस्थ जीवनशैली अपनाती हैं तो इस ख़तरे से बचा जा सकता है. यदि आपके परिवार में किसी को दिल की बीमारी रही हो तो बहुत ज़रूरी है कि जब आप अपने डॉक्टर से मुलाक़ात करें इस बात का ज़िक्र करना न भूलें. इससे उन्हें यह समझने में आसानी होगी कि आपको किस तरह की जीवनशैली अपनानी चाहिए.
सही जीवनशैली अपनाएं
‘‘सही खानपान और एक्सरसाइज़ दिल के ही नहीं, बल्कि आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद हैं,’’ कहते हैं डॉ पगाड. वे आगे बताते हैं,‘‘अपनी डायट में फल, सब्ज़ियां, अनाज व फ़ैट फ्री या लो फ़ैट मिल्क प्रॉडक्ट्स, जैसे-दूध, दही, मक्खन या चीज़, शामिल करें. लो सैचुरेटेड फ़ैट्स और कम नमक, शक्कर वाले खाद्य पदार्थों का चुनाव करें.’’ वे हर सप्ताह 150 मिनट एक्सरसाइज़ करने की सलाह भी देते हैं. वहीं सही डायट रखने के साथ-साथ डॉ गरेकर की सलाह है,‘‘हर स्वस्थ वयस्क को रोज़ाना 20 मिनट की मध्यम से सघन तीव्रतावाली एक्सरसाइज़ करना चाहिए. इसके साथ सप्ताह में दो बार मांसपेशियों को मज़बूत बनानेवाली गतिविधियां, जिसमें सभी बड़े मसल ग्रुप्स, जैसे-पैर, नितंब, पेट, हृदय, कंधे और बांहें शामिल हैं, करना भी जीवनशैली का हिस्सा होना चाहिए.’’ डॉक्टर पगाड ने हमें यह भी बताया कि किस तरह आप उम्र के दूसरे, तीसरे और चौथे दशक में अपने दिल का ख़्याल रख सकती हैं.
मेनोपॉज़ के बाद रखें ज़्यादा ख़्याल
‘‘महिलाओं में मोनोपॉज़ से पहले तक स्रवित होनेवाले हार्मोन्स, उन्हें हार्ट अटैक से सुरक्षा प्रदान करते हैं. 50 वर्ष की उम्र के बाद महिलाओं और पुरुषों में हार्ट अटैक की समस्या एक जैसी देखने को मिलती है,’’ बताती हैं डॉ गरेकर. वहीं डॉ पगाड कहते हैं,‘‘अच्छी नींद का दिल की सेहत से सीधा वास्ता है. नींद अच्छी होगी तो दिल सेहतमंद रहेगा,’’ वे आगे बताते हैं,‘‘मेनोपॉज़ के दौरान कई बार महिलाओं की नींद पर असर पड़ता है. हॉट फ़्लैशेज़ या नाइट स्वेट्स की वजह से उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती. इससे बचने के लिए ज़रूरी है कि रोज़ाना व्यायाम किया जाए और सोने से पहले कैफ़ीन या अन्य स्टिम्यलेंट्स (उत्तेजक पदार्थों) का सेवन बंद कर दिया जाए.’’
उम्र के दूसरे दशक में
सेहतमंद डायट लें: सेहतमंद खानपान का असर ताउम्र आपका साथ निभाता है. तला और वसायुक्त भोजन न खाएं. रोज़ाना के भोजन में सब्ज़ी और फल ज़्यादा खाएं.
धूम्रपान से परहेज़ करें: इससे न सिर्फ़ आपका ब्लडप्रेशर बढ़ेगा, बल्कि हृदय और रक्त वाहिकाओं को भी भारी
क्षति पहुंचेगी.
वज़न पर दें ध्यान: ज़्यादा वज़न होने पर शरीर में कोलेस्टरॉल और ग्लूकोज़ की मात्रा के साथ-साथ ब्लडप्रेशर भी बढ़ता है.
एक्सरसाइज़ करें: रोज़ाना 30 मिनट व्यायाम करें, जो भी आपको पसंद हो, जैसे-जिम, डांसिंग, किक बॉक्सिंग, जॉगिंग आदि.
शक्कर की मात्रा कम करें: सिंथेटिक शुगर खाने से बचें, जो स्पोर्ट्स ड्रिंक्स, टोमैटो सॉस और सलाद की ड्रेसिंग्स में होती ही है.
छुट्टियों पर जाएं: यदि आप लगातार तनावभरी नौकरी कर रही हैं तो तनाव दूर करने के लिए ब्रेक लेना बहुत ज़रूरी है.
उम्र के तीसरे दशक में
मेटाबॉलिज़्म का रखें ख़्याल: उम्र के तीसरे दशक में शरीर का मेटाबॉलिज़्म कम होना शुरू हो जाता है, जिससे वज़न को नियंत्रित रखना मुश्क़िल हो जाता है. अत: स्वस्थ खानपान अहम् है.
वज़न पर रखें नियंत्रण: यदि आप ओवरवेट हैं तो गंभीर बीमारियों, जैसे-हृदय रोग व डायबिटीज़ आदि का ख़तरा बढ़ जाता है. इससे बचने के लिए बहुत ज़रूरी है कि आप अपने एक्सरसाइज़ के रूटीन का मुस्तैदी से पालन करें.
सेहतमंद हो डायट: आपके खाने में फल और सब्ज़ियों की अधिकता होनी चाहिए. लो फ़ैट डेयरी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें.
विटामिन्स ज़रूर लें: ध्यान रखें कि ज़रूरी विटामिन्स, मिनरल्स और अन्य पोषक तत्व आपके भोजन में ज़रूर शामिल हों, जैसे-आयरन, फ़ॉलिक ऐसिड, कैल्शियम, पोटैशियम, बी विटामिन्स, विटामिन डी और ओमेगा-3 फ़ैट्स. ये आपको तीसरे और आगे के दशकों में भी सेहतमंद रखेंगे. डॉक्टर की सलाह लेकर विटामिन और मिनरल सप्लिमेंट्स लेना शुरू कर दें.
इनसे बचें: प्रॉसेस्ड फ़ूड और फ़ास्टफ़ूड खाने से बचें. खाने में सोडियम (नमक) की मात्रा कम करना शुरू कर दें.