कालका-शिमला टॉय ट्रेन के नए लुक की तस्वीरें क्या आपने देखीं? स्विट्जरलैंड को देगी मात
कालका-शिमला टॉय ट्रेन के नए लुक
इतिहास के पन्नों में दर्ज UNESCO World Heritage कालका-शिमला टॉय ट्रेन किसी हसीन और अचंभित रूट से कम नहीं है। हिमालय की असली खूबसूरती के बीच से गुजरती टॉय ट्रेन का सफर लगभग घुमक्कड़ करना चाहता है।
अंग्रेजों के समय में तैयार यह ट्रेन और रूट आज भी विश्व भर में फेमस है, लेकिन अब इस ट्रेन को विश्व के सामने एक अलग ही अंदाज में पेश किया जाने वाला है।
जी हां, कालका-शिमला टॉय ट्रेन के नए लुक की तस्वीरों की चर्चा हर तरफ चल रही हैं और हर कोई अभी से ही इस नई ट्रेन का मजा उठाने के लिए तैयार बैठा है। आइए इस आर्टिकल में कालका-शिमला टॉय ट्रेन के नए लुक के बारे में कुछ खास बातें जानते हैं।
कालका-शिमला टॉय ट्रेन रूट साल 1903 में ब्रिटिश सेना द्वारा बनवाया गया था। उस समय शिमला हिल स्टेशन अंग्रेजों के बीच काफी फेमस था। खूबसूरत पहाड़ों, झरने, सुरंग और छोटे-छोटे गांव के बीच से गुजरती हुई यह ट्रेन कालका-शिमला के बीच 96 किलोमीटर दूरी तय करती है।(भारत की पहली प्राइवेट ट्रेन)
अगर बात करें ट्रेन के डिब्बों की तो पहले बहुत सामान्य डिब्बे होते हैं और डिब्बे में लगे शीशे से बाहर का नजारा बहुत कम ही दिखाई देता है, लेकिन समय-समय पर इस रूट में कई नई ट्रेनों को शुरू किया गया। कुछ साल पहले ही हिम दर्शन एक्सप्रेस ट्रेन की शुरुआत हुई थी।
कालका-शिमला टॉय ट्रेन का नया लुक
स्वदेशी तकनीक से तैयार होने वाली नई कालका-शिमला ट्रेन की तस्वीरों की चर्चा आजकल कुछ हो रही हैं। यह एक नए विस्टाडोम ट्रेन के रूप में पर्यटकों के बीच आने वाली है। आपको बता दें कि विस्टाडोम ट्रेन वो ट्रेन होती है जिसके माध्यम बैठे-बैठे आसपास के अद्भुत नजारों को देख सकते हैं।
इस खूबसूरत नई ट्रेन में पैसेंजर के लिए बहुत कुछ खास है। ट्रेन में पहले के मुकाबले कम्फर्ट को बहुत अधिक महत्व दिया गया है। सीट में पहले के मुकाबले बहुत आरामदायक होने वाली है।(रात को क्यों तेज चलती है ट्रेन?)
कालका-शिमला टॉय ट्रेन में टेक्निकल स्पेसिफिकेशन और टेक्निकल ड्रॉइंग का भी ध्यान दिया गया है। नई ट्रेन में एग्जीक्यूटिव चेयर कार, एक एसी चेयर कार, एक नॉन एसी चेयर कार और एक लगेज कार भी शामिल हैं।