खुश रहने के लिए इन 5 इमोशनल डिटॉक्स से, वापस पाये जीवन की उत्साह

इमोशनल डिटॉक्स, इन 5 स्टेप्स से वापस लौटेगा जीवन का उत्साह

Update: 2022-05-17 14:12 GMT
हर व्यक्ति के जीवन में कुछ ऐसी बातें होती हैं, जिससे वह जुड़ाव महसूस करता है. अगर किसी रिश्ते या सपने पर बुरा असर पड़े, तो व्यक्ति दुखी और इमोशनल हो जाता है. ऐसे में मेंटल हेल्थ बेहतर बनाए रखने के लिए इमोशनल डिटॉक्स बेहद ज़रूरी है. जानें क्यों ज़रूरी है इमोशनल डिटॉक्स और इसके तरीके क्या हैं.
Emotional Detox: कोई सोची हुई बात पूरी न हो, सपना अधूरा रह जाए, कोई दर्द भुलाए न भूले या कुछ ज़ख्म नासूर बनकर सीने में चुभे. ऐसी स्थितियां इंसान को न सिर्फ मेंटली कमज़ोर कर देती हैं, बल्कि उसे इमोशनली भी नीचे ला देती हैं. दिमाग उन्हीं बातों में उलझा रहता है, जिसे भूलने कि सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है. विचारों के जद्दोजहद के बीच हमारे अंदर नेगेटिव टॉक्सिन्स भर जाते हैं.
नकारात्मक विचारों को निकला फेंकने, खुश रहने और सच्चाई को स्वीकार करते हुए आगे बढ़ने का नाम है 'इमोशनल डिटॉक्स'. स्ट्रेस भरी लाइफस्टाइल में हर व्यक्ति तनाव में है, इसलिए हर किसी को इस मेंटल डिटॉक्सिफिकेशन के रास्ते से गुज़रना पड़ता है, जिससे बुरी मालूम पड़ने वाली ज़िंदगी फिर से अच्छी लगने लगे.
क्यों ज़रूरी है इमोशनल डिटॉक्स?
हमें उन भावनाओं को खत्म करना चाहिए, जो हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर किसी भी तरह का प्रभाव डालती हैं. यह इसलिए भी ज़रूरी है, क्योंकि यह सीधे तौर पर हमारे शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ा होता है. हालांकि, इस बारे में कोई दो राय नहीं है कि किसी भी चीज़ के छूटने की बात करें, तो स्ट्रेस, बर्नआउट या किसी सदमे से तुरंत बाहर आना मुश्किल है, लेकिन समय के साथ सच्चाई को स्वीकार करते हुए आगे बढ़ने की कोशिश जारी रखनी चाहिए.
क्या है इमोशनल डिटॉक्स की प्रक्रिया?
माफ करना सीखें – जब बात इमोशनल डिटॉक्स की आती है, तो इसका सबसे पहला कदम है माफ करना. जिस भी बात ने आपको परेशान किया है वो यकीनन किसी न किसी से जुड़ी होगी, फिर वो आप हो या आपके, रिश्ते-नाते या दोस्त यार. जिस भी बात को लेकर आप सोचा करते हैं और उस घटना के घटने में किसी की भी गलती मानते हैं, तो उसे माफ करते हुए आगे बढ़ें. फिर वो नाराजगी आपकी खुद से ही क्यों न हो.
लिखकर मन का बोझ घटाएं –
आपने किसी बात को बहुत कोशिश की, बावजूद उसके वह बात अगर आपसे भूली नहीं जा रही है, तो अपनी डायरी में मन का गुस्सा और उदासी के बारे में लिखे. जब आप हर बात लिख लेंगे, तो मन हल्का महसूस करेगा और आप अपने प्रति सकारात्मक अनुभव पा सकेंगे.
लोगों से घुले-मिलें – जब आप लोगों के बीच रहेंगे, ज़िंदगी के प्रति उनका नज़रिया, उनके संघर्ष को जानेंगे, तो आपको अपनी समस्या कमतर महसूस होगी. जब हम इमोशनली भारीपन महसूस करते हैं, तो अकेले रहने लगते है. यह हमारे मन को सुकून देने की जगह सोच-सोचकर नई समस्याएं खड़ी करने जैसी स्थिति पैदा कर देती है.
खुद को खाली न रखें – खाली दिमाग शैतान का घर. यह बात तब और ज़्यादा सच्ची लगती है, जब हम उदास होते हैं, इसलिए खुद को खाली रखने की जगह कोई भी एक्टिविटी करते रहें, जिससे आपके मन में बेमतलब के विचार न चलें. इसके लिए आप पेंटिंग, डांस, सिंगिंग, स्विमिंग जैसी कोई भी एक्टिविटी में अपना समय लगाएं.
सोशल मीडिया से दूरी बनाएं – कई लोग इमोशनली लो इसलिए महसूस करते है, क्योंकि उनकी ज़िंदगी सोशल मीडिया पर मौजूद उनके दोस्तों की तरह नहीं है. अगर आप भी इस वजह से उदास होते हैं, तो बेहतर महसूस करने तक सोशल मीडिया का इस्तेमाल बंद कर दें.
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