आजकल भारत के प्रत्येक स्थान पर रिमझिम वर्षा हो रही है। ऐसे समय में सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य स्वयं को बारिश की बंूदों से बचाने के साथ-साथ शरीर को स्वस्थ बनाए रखने का है। हालांकि बारिश के मौसम को अन्य मौजूदा मौसमों की तुलना में कहीं ज्यादा बेहतर माना जाता है जिसके आने मात्र से ही लोगों के चेहरे गुलाब की पंखुडि?ों की भांति खिल उठते हैं परंतु इस वर्षा ऋतु के मौसम में बरसात होने के कारण चारों ओर पानी के साथ ही गंदगी इक_ी हो जाने पर लोगों का शरीर संक्रमित होकर बीमार होने लगता है।
इस प्रकार लोग अक्सर इस मौसम में बुखार, सिरदर्द, चर्म रोग, या पेट की बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं और व्यक्ति न चाहते हुए भी डॉक्टर की शरण में चला जाता है।
चिकित्सकों के अनुसार, ग्रीष्म ऋतु के उपरांत बरसात का मौसम जहां अपने साथ कई तरह की खुशियों की सौगात लेकर आता है वहीं सेहत की दृष्टि से कई प्रकार की बीमारियां भी उत्पन्न होने लगती हैं जिसमें झ्दाद’ (फंगल इंफेक्शन) तथा झ्फोड़े-फुंसियां’ पायोडर्मा इत्यादि प्रमुख हैं।
इन समस्याओं से अनजान लोग यदि इस दौरान कुछ खास सावधानियां बरतते हैं तो नि:संदेह इस मौसम से उत्पन्न वातावरण में होने वाले बैक्टीरिया से संक्रमित होने से बच सकते हैं। वैसे भी सोने और चांदी के टुकड़ों से भी अधिक मूल्यवान हमारा स्वस्थ शरीर है। आइए जानते हैं कि बरसात के मौसम में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान कैसे किया जाए।
खुजली और फोड़े-फुंसियां
दरअसल इस मौसम में सबसे ज्यादा लोगों में खुजली की समस्या पाई जाती है जो कि व्यक्ति के शरीर पर गोलाकार होने के साथ-साथ फैलती चली जाती है जिसे डॉक्टरी भाषा में रिंगवर्म के नाम से जाना जाता है। यह व्यक्ति के शरीर में नमी वाली जगहों पर विद्यमान होती है और कभी-कभी पानी भरे या मवाद भरे दाने के रूप में भी दिखाई पड़ती है जिससे काफी खुजली होती है।
इसके अतिरिक्त फोड़े-फुंसियों की जो हालत होती है वह तो व्यक्ति को रूला कर ही रख देती है। देखने में आया है कि कभी-कभी ये शिकायतें इतना गंभीर रूप धारण कर लेती हैं कि व्यक्ति को इस पर काबू पाना बेहद कठिन हो जाता है। अंतत: वह संक्रमित होकर अस्पताल की ओर रूख कर बैठता है। इसके साथ ही अन्य त्वचा संबंधी बीमारियों पर गौर फरमाना भी बेहद अनिवार्य है।
समाधान : बरसात के मौसम में खुद को ज्यादा समय तक गीला नहीं रखें। जहां तक हो सके, गीले कपड़े बदल कर सूखे कपड़े पहनें, बेहतर रहेगा।
जहां तक संभव हो, वहां तक इस मौसम में ढीले एवं हल्के कपड़ों को प्राथमिकता दें क्योंकि इस तरह आप शरीर को खुला-खुला महसूस कर सकेंगे और शरीर को भी आराम मिलेगा। इसके लिए आप सूती कपड़े का चयन करते हैं तो काफी बेहतर साबित होगा। ध्यान रहे कि बरसात के मौसम में बरसाती पानी से नहाने के उपरांत शरीर को स्वच्छ पानी से
पूरी तरह से पुन: साफ कर लें ताकि शरीर में किसी तरह की गंदगी, मिट्टी एवं कीचड़ आदि शेष न रह जाए वरना संक्रमण फैलने की संभावना ऐसी हालत में अवश्य होती है।
यदि बरसात में दोस्तों के संग मस्ती करते समय चोट लग जाए तो उसे नजरअंदाज करने की बजाय उसे गंदे पानी व गंदगी वाली चीजों की पहुंच से दूर रखें और जल्दी ही डॉक्टर से परामर्श लेकर इस पर दवाई लगाएं
चोट लगने के स्थान को आगे तक ढक कर रखें ताकि मक्खियों आदि से इसको बचाया जा सके। इसी बीच पट्टी से चोट को बांधें, तुरंत राहत मिलेगी।
यदि वर्षा ऋतु में आप अक्सर फोड़े-फुंसियों की समस्याओं से परेशान रहते हैं तो ऐसे स्थान पर एंटीसेप्टिक लोशन जरूर लगाएं। ध्यान दें कि इन फुंसियों को नाखूनों से न नोचें नहीं तो यह संक्रमित होकर और अधिक मात्र में फैलने लगेंगी।
कुछ लोगों को इस ऋतु में दाद की समस्या की शिकायत हो जाती है। ऐसे में झ्रिंग कटर’ व झ्क्वाड्रीडिम’ जैसी दाद नाशक दवाई को अमल में लाकर इसे जड़ से खत्म किया जा सकता है। ऐसे में दवाई प्रयोग करने से पूर्व डॉक्टर की सलाह लेना अवश्य फायदेमंद होगा।
इस मौसम में बेहद अनिवार्य बात जो ध्यान देने योग्य यह है कि बरसात के मौसम में व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, इसीलिए इन बीमारियों से बचने हेतु संतुलित आहार उचित मात्र में अवश्य लें क्योंकि संतुलित आहार न सिर्फ शरीर को शक्ति प्रदान करता है वरन् स्फूर्ति भी देता है।
इसके अलावा जो लोग मधुमेह से ग्रसित हैं, उन्हें इस मौसम में ब्लड शुगर को कंट्रोल करने की बेहद आवश्यकता है। इन मामलों में अक्सर खतरा बना ही रहता है। इसीलिए इन रोगियों को चाहिये कि वे डॉक्टर के संपर्क में रहें तथा ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए दवाइयां लेते रहें।