विशेषज्ञों ने बताई ये वजह, बुजुर्गों की कोरोना का पता लगाने के लिए ऑक्सीमीटर है जरूरी
भारत में कोरोनावायरस (Coronavirus in India) का कहर बदस्तूर जारी है
भारत में कोरोनावायरस (Coronavirus in India) का कहर बदस्तूर जारी है. कोरोना के तांडव के दौरान लोग बड़े स्तर पर अपने शरीर का तापमान चेक कर रहे हैं क्योंकि बढ़ा हुआ तापमान कोविड-19 का प्रमुख लक्षण है. हालांकि, विशेषज्ञों ने अपने नए बयान में कहा है कि बुजुर्गों में कोविड का पता लगाने के लिए तापमान चेक करने के बजाए ऑक्सीजन लेवल चेक करना ज्यादा जरूरी है. इस विषय पर वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ नर्सिंग के एसोसिएट प्रोफेसर कैथरीन वान सन (Catherine Van Son) और क्लिनिकल असिस्टेंट प्रोफेसर देबोराह एती (Deborah Eti) की ये ताजा टिप्पणी फ्रंटियर्स इन मेडिसिन में प्रकाशित हुई है.
ऑक्सीमीटर के प्रयोग पर कई महीनों से चल रही है चर्चा
कोविड-19 के संकेतक के रूप में पल्स ऑक्सीमीटर की विश्वसनीयता को लेकर बीते कुछ महीनों में काफी चर्चा हुई है. जनवरी 2021 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना मरीजों की पहचान करने के लिए पल्स ऑक्सीमीटर के इस्तेमाल को सूचीबद्ध किया था ताकि कम ऑक्सीजन लेवल वाले मरीजों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती थी. लेकिन फरवरी 2021 में FDA (US Food and Drug Administration) ने ऑक्सीमीटर की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए थे.
कुछ परिस्थितियों में गलत परिणाम भी दे सकते हैं ऑक्सीमीटर
एफडीए ने कहा था कि कुछ खास परिस्थितियों में पल्स ऑक्सीमीटर के परिणाम गलत भी हो सकते हैं. एफडीए ने कहा था कि खराब सर्कुलेशन, स्किन पिगमेंटेशन, स्किन की मोटाई और तापमान पल्स ऑक्सीमीटर के नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं. एफडीए के अलावा सीडीसी (US Centers for Disease Control and Prevention) ने भी फरवरी में ही स्वास्थकर्मियों को चेताया था कि स्किन पिगमेंटेशन के कारण पल्स ऑक्सीमीटर के नतीजों की सटीकता पर प्रभाव डालती है.
बगैर लक्षण वाले मरीजों की पहचान करने में ऑक्सीमीटर जरूरी
नए बयान में कहा गया है कि बुजुर्गों का तापमान मापने के बजाए पल्स ऑक्सीमीटर की मदद से उनका ऑक्सीजन लेवल मापना ज्यादा जरूरी है. उन्होंने कहा कि बुजुर्गों में बेसलाइनल तापमान कम होता है. उन्होंने कहा कि गंभीर रूप से संक्रमित 30 फीसदी से ज्यादा बुजुर्गों में मामूली बुखार पाया जाता है या फिर बुखार पाया ही नहीं जाता. कोरोना वायरस के कई मरीजों में ऑक्सीजन लेवल कम होने के भी लक्षण नहीं दिखाई देते. ऐसे मरीजों को सांस लेने में किसी तरह की कोई तकलीफ नहीं होती है लेकिन उनका ऑक्सीजन लेवल 90 फीसदी से भी नीचे रहता है. ये काफी खतरनाक हो सकता है. डॉ. वान सन और एती ने बुजुर्गों में कोरोना की स्क्रीनिंग के लिए ऑक्सीमीटर के प्रयोग पर विचार करना चाहिए क्योंकि ये बगैर लक्षण वाले मरीजों की पहचान कर सकता है, जिनका बीमारी की वजह से ऑक्सीजन लेवल कम हो गया है.