इंसान के लिए भरपूर नींद लेना जरूरी है। पर्याप्त नींद न लेना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। इसलिए हर किसी को 7-8 घंटे की नींद लेने की सलाह दी जाती है।
कुछ लोगों के साथ समस्या होती है कि वह हर समय आलस्य महसूस करते हैं। यानी वे भरपूर नींद लेने के बाद भी फिर से सो सकते हैं।
आप रात में किसी कारण देर तक जागे हों या 7-8 घंटे की नींद पूरी न हुई हो, तो दिन में नींद आना कॉमन है। लेकिन भरपूर नींद लेने के बाद भी यदि आपको नींद आती है तो यह नुकसानदेह हो सकती है।
कुछ मामलों में किसी हेल्थ कंडीशन (Health Condition) के कारण अधिक नींद आने की समस्या या स्लीपिंग डिसऑर्डर (sleep disorder) हो सकता है।
यदि आपको भी कुछ इसी तरह की समस्या है तो हम आपको अधिक नींद आने का कारण, लक्षण और उससे बचने के तरीके बताएंगे। इससे आपको काफी रिलीफ मिल सकता है।
ज्यादा नींद आना के कारण (Oversleeping Causes)
कितनी नींद बहुत ज्यादा है? (How Much Sleep Is Too Much?)
ज्यादा सोने के साइड इफेक्ट (Oversleeping Side Effects)
ज्यादा नींद आने के लक्षण (Oversleeping Symptoms)
ज्यादा नींद आने से ऐसे बचें (How to Stop Oversleeping)
निष्कर्ष (Conclusion)
ज्यादा नींद आना के कारण (Oversleeping Causes)
जिस प्रकार कम नींद आने की समस्या को अनिद्रा / इंसोम्निया (Insomnia) कहते हैं। उसी तरह ज्यादा नींद आने को हाइपरसोमनिया (Hypersomnia) कहा जाता है। यह नींद से जुड़ा एक कॉमन डिसऑर्डर है।
नेचर कम्युनिकेशंस (Nature Communications) में 2019 में हुई स्टडी के मुताबिक 10- 20% लोग कुछ हद तक ज्यादा नींद से डील करते हैं। ज्यादा नींद आने के हर कारण का अलग-अलग इलाज हो सकता है। (1)
स्टडी से साफ हुआ कि आज के समय में करीब 20 प्रतिशत यंगस्टर्स पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं। इस कारण उनमें भी ये डिसऑर्डर देखा जाता है।
अनिद्रा या इंसोम्निया भी ज्यादा नींद का कारण हो सकता है। इस स्लीपिंग डिसऑर्डर में नींद तो आती है पर इंसान सोने में असमर्थ रहता है। इसके अलावा ज्यादा नींद आने के निम्न कारण भी हो सकते हैं, जैसे...
पर्याप्त नींद न लेना (Not getting enough sleep)
दवा, शराब या सिगरेट का उपयोग (drug, alcohol or cigarette)
फिजिकल एक्टिविटी में कमी (lack of physical activity)
डिप्रेशन (depression)
दिनभर सुस्ती रहना (Sleepless all day long)
फिजिकल एक्टिविटी में कमी (Decreased physical activity)
लेग सिंड्रोम (legs syndrome)
स्लीप एपनिया (Sleep Apnea)
नार्कोलेप्सी (Narcolepsy)
इसके अलावा रात में काम करने और दिन में सोने वाले लोगों में भी ये डिसऑर्डर कॉमन होता है।
कितनी नींद बहुत ज्यादा है? (How Much Sleep Is Too Much?)
नींद की जरूरत हर इंसान के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है। लेकिन विशेषज्ञ 7 घंटे की नींद को पर्याप्त मानते हैं। माना ये जाता है कि आपको करीब 9 घंटे या इससे ज्यादा की नींद की जरूरत महसूस होती है तो ये किसी न किसी शारीरिक दिक्कत की निशानी हो सकती है। ये दिक्कते हैं-
स्लीप एपनिया- इस बीमारी में रात भर सोने के दौरान सांस लेने में दिक्कत होती है।
रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम- ब्रेन डिसऑर्डर है, जिसमें सोने के दौरान पैर हिलाने की आदत हो जाती है।
ब्रुक्सिज्म- इस स्थिति में आप नींद के दौरान अपने दांत पीसते हैं।
पुराने दर्द- शरीर में जगह-जगह होने वाले पुराने दर्द।
ज्यादा सोने के साइड इफेक्ट (Oversleeping Side Effects)
जरूरत से ज्यादा सोने पर शरीर पर कई साइड इफेक्ट नजर आ सकते हैं। इनमें से कुछ जानलेवा भी हो सकते हैं। हालांकि हेल्थी लाइफस्टाइल के साथ इन शारीरिक दिक्कतों से बचा जा सकता है। ज्यादा सोने के साइड इफेक्ट में शामिल शारीरिक दिक्कतें हैं-
टाइप 2 डायबिटीज
दिल की बीमारी
ओबेसिटी
डिप्रेशन
सिरदर्द
ज्यादा नींद आने के लक्षण (Oversleeping Symptoms)
कई लोग यह नहीं समझ पाते कि ज्यादा नींद आना किसे कहते हैं। इसके लक्षण क्या हैं, जिससे वे पता कर सकें कि उन्हें भी हाइपरसोमनिया (Hypersomnia) डिसऑर्डर है। इस बारे में ऐसे समझें...
आपको सुबह जागने में परेशानी होती है।
जागने के बाद भी अक्सर नींद आती है।
आपकी नींद नहीं खुलती।
दिन में काम करते समय भी झपकी आती है।
दिन में काम करते समय थकान होती है।
किसी भी चीज पर फोकस नहीं कर पाते हैं।
समय के साथ-साथ मोटापा बढ़ रहा है।
कभी भी सो जाते हैं, चाहे गाड़ी में हों या टीवी देख रहे हों।
समय के साथ भूख कम लगने लगी है।
दिन में बार-बार झपकी आती है।
हमेशा सुस्ती बनी रहती है।
पहले की अपेक्षा फिजिकल एक्टिविटी में कमी हो गई है।
हमेशा चिड़चिड़ापन बना रहता है।
यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण है तो संभव है आप भी ज्यादा नींद आने की समस्या या हाइपरसोमनिया डिसऑर्डर से पीड़ित हों। इसके लिए आप डॉक्टर से भी संपर्क कर सकते हैं।
ज्यादा नींद आने से ऐसे बचें (How to Stop Oversleeping)
हाइपरसोमनिया डिसऑर्डर से बचने के लिए पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी है। पर्याप्त और गहरी नींद लेने पर आपको यह समस्या नहीं होगी।
पॉलीसोम्नोग्राफी (Polysomnography) टेस्ट से व्यक्ति के मस्तिष्क की तरंगों, ऑक्सीजन के लेवल और नींद के दौरान शरीर के मूवमेंट व स्लीप साइकिल को रिकॉर्ड किया जा सकता है। इससे कोई भी अपनी नींद की क्वालिटी (Quality of sleep) पता कर सकता है। यदि आपको भी ज्यादा नींद आने की समस्या है तो यह टेस्ट कराकर डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।
हमेशा हेल्दी और बैलेंस डाइट (Healthy and balance diet) ही लें। रात में हल्का खाना खाएं ताकि आप गहरी नींद ले सकें और अगले दिन फ्रेश उठें।
सोते समय हल्के कपड़े (night dress nightwear for men) पहनें, अन्यथा रात में नींद पूरी नहीं होगी और अगले दिन आपको थकान व सुस्ती बनी रहेगी।
नेशनल स्लीप फाउंडेशन (National Sleep Foundation) की रिपोर्ट के मुताबिक अच्छी नींद से आपकी मेंटल पावर और अलर्टनेस बढ़ती है। साथ ही हेल्थ इश्यूज भी कम होते हैं। इसलिए कम से कम 8 घंटे की नींद जरूर लें। इससे आपको हाइपरसोमनिया जैसे डिसऑर्डर से नहीं जूझना पड़ेगा।
इंसोम्निया की शिकायत होने पर किसी डॉक्टर से सलाह लेने के बाद इन योगासनों को भी करें (yoga for insomnia)। योगासन के अभ्यास से अनिद्रा की समस्या में गहरी नींद लेने में मदद मिलेगी।
यदि आपको रात में नींद नहीं आ रही तो इससे अगले दिन जागने में परेशानी होगी। ऐसे में आप सोने के लिए आसान एक्सरसाइज (exercises for better sleep) भी कर सकते हैं। ये एक्सरसाइज समय से सोने में मदद कर सकती हैं।
जितना संभव हो शराब एवं सिगरेट से दूरी बनाएं। इनके ज्यादा उपयोग से भी ज्यादा नींद आने की समस्या हो सकती है।
कुछ लोग दवाओं का सेवन खूब करते हैं। इससे भी हाइपरसोमनिया की शिकायत हो सकती है। इसलिए जितना हो सके कम दवाओं का प्रयोग करें।
फिजिकल एक्टिविटी से गहरी नींद आने लगती है, जिससे अगले दिन सुबह को आप फ्रेश उठते हैं और पूरा दिन एनर्जेटिक रहते हैं। इसलिए कुछ न कुछ फिजिकल एक्टिविटी जरूर करें।