वाशिंगटन। खाने में नमक जितना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है उसकी मात्रा का ध्यान रखना। जार्जिया स्टेट के विज्ञानियों ने गहरे मस्तिष्क में रक्त प्रवाह और न्यूरान की गतिविधियों का नमक से अनोखा संबंध होने का पता लगाया है। मतलब यह कि नमक खाने की मात्रा गहरे मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को प्रभावित करता है। इसलिए नमक की मात्रा को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है।
न्यूरान जब सक्रिय होते हैं तो उससे संबंधित क्षेत्र में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है। इसे न्यूरोवस्कुलर कप्लिंग या फंक्शनल हाइपरमिया कहते हैं, जो मस्तिष्क में रक्त वाहिकाओं के फैलने से होता है और आर्टियोल्स कहलाता है। विशेषज्ञ न्यूरोवस्कुलर कप्लिंग के फंक्शनल मैग्नेटिक रिसोर्स इमेजिंग (एफएमआरआइ) के आधार पर कम रक्त प्रवाह क्षेत्र की पहचान कर मस्तिष्क विकार का पता लगाते हैं।
अभी तक न्यूरोवस्कुलर कप्लिंग के जो भी अध्ययन हुए हैं, उनमें से अधिकांशत: मस्तिष्क के सतही हिस्से (जैसे कि सेरेब्रल कार्टेक्स) तक सीमित रहे हैं और विज्ञानियों ने इस बात पर फोकस किया कि देखने और सुनने से प्राप्त उद्दीपन से रक्त प्रवाह में कैसे बदलाव आता है। इस बारे में बहुत कम जानकारी रही है कि क्या यही सिद्धांत शरीर द्वारा खुद ही उत्पन्न उद्दीपन मस्तिष्क के गहरे हिस्से के लिए लागू हो सकता है।
यही पता लगाने के लिए जार्जिया स्टेट के न्यूरोसाइंस सेंटर के प्रोफेसर डाक्टर जेवियर स्टर्न की अगुआई में विज्ञानियों ने नए तरीके से अध्ययन किया। विज्ञानियों ने मस्तिष्क की गहराई में स्थित हाइपोथैलेमस पर फोकस किया, जो खाने, पीने, शरीर के तापमान के रेगुलेशन तथा प्रजनन से संबंधित होता है। विज्ञानियों ने इस बात का पता लगाया कि नमक खाने से किस प्रकार से हाइपोथैलेमस में रक्त प्रवाह में बदलाव आता है।
इसलिए किया नमक से संबंधित अध्ययन
स्टर्न ने बताया, हमने नमक का चुनाव इसलिए किया, क्योंकि शरीर को सोडियम के स्तर को बहुत सटीक रूप से नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही रक्त में नमक की मात्रा पता लगाने के लिए विशिष्ट कोशिकाएं भी होती हैं।
उन्होंने बताया कि जब आप नमकीन पदार्थ खाते हैं तो मस्तिष्क उसे भांप कर सोडियम का सही स्तर बनाए रखने के लिए श्रृंखलाबद्ध प्रतिपूरक तौर-तरीकों को सक्रिय करता है।
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यह काम न्यूरान के सक्रिय होने से होता है, जो एंटीडाइयुरेटिक (मूत्र बनने को सीमित करने वाला) हार्मोन वासोप्रेसीन का स्त्राव करता है। यह नमक की सांद्रता उचित स्तर पर बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।
क्या होता है ज्यादा नमक खाने का असर
स्टर्न ने बताया कि जब हम ज्यादा नमक खाते हैं तो शरीर में सोडियम का स्तर लंबे समय तक बढ़ा रहता है। हम मानते हैं कि हाइपोक्सिया एक ऐसा तौर-तरीका है, जो नमक के कारण उत्पन्न उद्दीपन की प्रतिक्रिया के लिए न्यूरान की क्षमता को मजबूती प्रदान करता है। इससे यह लंबे समय तक सक्रिय रहता है।
इन निष्कर्षो से बड़ा ही दिलचस्प सवाल पैदा होता है कि हाइपरटेंशन में किस प्रकार से मस्तिष्क प्रभावित होता है। माना जाता है कि 50 से 60 प्रतिशत हाइपरटेंशन के मामले नमक से जुड़े होते हैं और ज्यादा नमक खाने से यह बढ़ता है। इसके मद्देनजर शोध टीम अब एनिमल माडल में इन्वर्स न्यूरोवास्कुलर कप्लिंग का अध्ययन करने की योजना बना रही ताकि यह पता लगाया जा सके कि हाइपरटेंशन में नमक की क्या भूमिका है। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि उनके अध्ययन से अवसाद, मोटापा तथा न्यूरोडिजनेरेटिव डिजीज के बारे में और जानकारी मिलेगी।
स्टर्न ने बताया कि यदि आप लंबे समय तक ज्यादा नमक खाते हैं तो वासोप्रेसीन न्यूरान की सक्रियता बढ़ती है। इससे हाइपोक्सिया बढ़ेगी, जिससे मस्तिष्क के ऊतकों को नुकसान होगा।
यदि हम इस प्रक्रिया को बेहतर तरीके से समझेंगे तो हाइपोक्सिया आधारित सक्रियता को थामने के लिए नया तौर-तरीका विकसित कर सकते हैं। साथ ही नमक से जुड़े हाई ब्लड प्रेशर से ग्रसित लोगों की स्थिति में भी सुधार लाया जा सकेगा।