सांस फूलने को न करें नजरअंदाज, इन बातों का रखें खास ख्याल
बता रहे हैं हमारे विशेषज्ञ
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | सांस का फूलना यह बताता है कि शरीर को ऑक्सीजन की आपूर्ति ठीक से नहीं हो पा रही है और फेफड़े पर अनावश्यक दबाव है. कई बार जब दिल अपनी क्षमता से काम नहीं कर पाता तो शरीर के अंगों को पर्याप्त मात्रा में खून की सप्लाइ नहीं हो पाती. इससे शरीर के अंगों को ऑक्सीजन कम मिलती है. इससे हमें तेजी से और जोर लगाकर सांस लेनी पड़ती है. इससे सांस फूलने लगती है. इसके अलावा ज्यादातर समस्याएं सीधे फेफड़ों से जुड़ी होती हैं. ऐसे में अगर समय रहते सांस फूलने पर कंट्रोल नहीं किया गया तो परिणाम जानलेवा तक हो सकते हैं. सांस फूलने को रोकने के दो ही उपाय हैं या तो शरीर की ऑक्सीजन की मांग को पूरा करने के लिए बाहर से अतिरिक्त ऑक्सीजन दी जाये या फिर शरीर की ऑक्सीजन की आपूर्ति की मांग को कम किया जाये.
हीमोग्लोबिन की कमी भी कारण
सांस फूलने के दो मुख्य कारण- मोटापा व शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की कमी यानी एनिमिया की स्थिति. अगर ऑक्सीजन को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने वाले हीमोग्लोबिन की कमी है, तो ऑक्सीजन की सप्लाइ बाधित होगी. अधिकांश महिलाएं अपने देश में कुपोषण की शिकार हैं. काफी संख्या में महिलाएं बच्चादानी की समस्या व उससे जुड़ी अनावश्यक व अधिक रक्तस्त्राव की समस्या से पीड़ित रहती हैं. अपने देश में जरूरत से ज्यादा बच्चों के जन्म के बीच में फासला बहुत कम होना भी एनिमिया व सांस फूलने की शिकायत का एक बहुत बड़ा कारण है. सांस न फूले, इसके लिए कुपोषण को समाप्त करना भी जरूरी है.
मोटापा पर नियंत्रण रखना जरूरी
आज के समय में लोगों की संपन्नता और उसके साथ आरामतलबी बढ़ रही है. नियमित प्रातःकालीन सैर व व्यायाम का अभाव, शराब व चर्बीयुक्त खाद्य पदार्थों का भरपूर सेवन यह दोनों ही बातें शरीर के मोटापे को तेज गति से बढ़ा रहे हैं. इस अतिरिक्त भार का मतलब शरीर में अतिरिक्त तरल पदार्थ व पानी का लोड और उतना अतिरिक्त भार अगर दिल पर पड़ेगा तो सांस फूलेगी ही. अक्सर आपने मोटापे से ग्रस्त लोगों को यह शिकायत करते सुना होगा कि जरा-सा सीढ़ी चढ़ने में सांस फूलती है. मोटापे के अलावा दिल पर पानी का अतिरिक्त लोड पड़ने का एक और कारण गुर्दे का रोग भी होता है. किडनी रोग से ग्रस्त मरीज जब तेज चलता है या सीढ़ी चढ़ता है, तो सांस फूलने लगती है.
फेफड़े के विविध रोग बड़ी वजह
फेफड़े का इंफेक्शन : न्यूमोनिया व टीबी अपने देश में सांस फूलने का एक बहुत बड़ा कारण है. श्वास नली व उनकी शाखाओं की दीवारों में सूजन भी एक कारण है, जिसे मेडिकल भाषा में एस्थमैटिक ब्रॉन्काइटिस कहते हैं. कभी-कभी श्वास नली पर किसी गिल्टी या छाती के अंदर स्थित ट्यूमर का दबाव भी सांस फूलने का कारण हो सकता है. अक्सर दुर्घटना में छाती के चोट का सही इलाज न होने पर, छाती के अंदर खून या मवाद जमा हो जाता है व फेफड़े पर दबाव बनाता है, जिससे अक्सर सांस फूलने के साथ-साथ खांसी की भी शिकायत रहती है.
स्केलोडरमा : यह बीमारी फेफड़े को भी आहत करती है. इसमें फेफड़े की अंदरूनी दीवारों में अस्वाभाविक बदलाव आते हैं, जिससे फेफड़े की वातावरण से ऑक्सीजन सोखने की क्षमता गिर जाती है.
सांस फूलने की समस्या हो तो क्या करें
यह समस्या होने पर ऐसे अस्पतालों में जाएं, जहां आवश्यक जांचों की सुविधा हो. जांचों के बाद अगर लगे कि सांस फूलने का कारण फेफड़ा है, तो किसी छाती रोग विशेषज्ञ व थोरेसिक सर्जन दोनों से सलाह लें. अगर फेफड़ा क्षतिग्रस्त है है, तो सर्जरी करवाने में देरी व टाल-मटोली न करें, क्योंकि लापरवाही दूसरे साइड के नॉर्मल फेफड़े को भी चौपट कर देगी. अगर सांस फूलना दिल की वजह से है, तो किसी हृदय रोग विषेशज्ञ या कार्डियक सर्जन से परामर्श लें. किडनी विशेषज्ञ की राय भी लेनी पड़ती है, अगर गुर्दे का रोल सांस फूलने में है.
इन जांचों से चलेगा सही स्थिति का पता
ऐसे तो अनगिनत जांचें हैं, पर कुछ अत्यंत आवश्यक जांचें सांस फूलने के कारण को समझने व उसके इलाज की दिशा निर्धारण के लिए जरूरी हैं. छाती का एक्स-रे, छाती का एचआरसीटी, पीएफटी, दिल के लिए डीएसइ (डोब्यूटामीन स्ट्रेस ईको), खून की जांचें, जैसे- विटामिन डी की मात्रा व ब्लड गैस एनालिसिस. कभी-कभी सीटी कोरेनरी व पल्मोनरी एंजियोग्राफी की भी जरूरत पड़ सकती है.
दिल के कौन-से रोग हैं जिम्मेदार
अगर आपके दिल की दीवार कमजोर है. यानी कभी हार्ट अटैक के दौरान दिल की दीवार का कोई हिस्सा बिल्कुल कमजोर हो गया है, तो ऐसा कमजोर दिल, खून व पानी का साधारण लोड भी नहीं उठा पाता है और सांस फूलने का कारण बन जाता है. ऊपर से अगर मोटापा भी साथ है, तो स्थिति और भी कष्टकारी हो जाती है.
दायीं तरफ का दिल का हिस्सा डी ऑक्सीजीनेटेड ब्लड का स्टोर हाउस है, जो धड़कन के साथ शरीर के अंगों से आये हुए खून को फेफड़े की तरफ शुद्धीकरण के लिए अग्रसर करता है. फिर यह खून शुद्धी होने के बाद दिल के बायें हिस्से में इकट्ठा होता है और धड़कन के साथ शरीर के अंगों में प्रवाहित होता है. यह क्रिया बराबर चलती रहती है. अगर किसी वजह से वॉल्व प्रत्येक धड़कन के साथ न ठीक से पूरे बंद हों, न ही ठीक से खुलें तो दिल व फेफड़े में संतुलन बिगड़ने के कारण अनावश्यक दबाव पड़ने लगता है. इससे भी सांस फूलने लगती हैं.
अगर किसी को जन्म से दिल की बीमारी है व दिल में शुद्ध व अशुद्ध खून का समिश्रण होता रहता है.
इन बातों का रखें खास ख्याल
अगर आप 20 वर्ष की उम्र से ही रोज 2 घंटे नियमित टहलते हैं और घंटे भर धूप का सेवन करते हैं और धूल-धक्कड़ से दूर रहते हैं, तो यकीन मानिये आप सांस फूलने की समस्या से काफी हद तक बचे रहेंगे.
मोटापा किसी भी हालत में न पनपने दें. रोज 350 ग्राम सलाद व 350 ग्राम फलों का सेवन करें.
प्रोटीन भरपूर मात्रा में लें. हरी पत्तेदार सब्जियों का नियमित सेवन करें.
किसी तरह के धूम्रपान व तंबाकू के सेवन से बचें. शराब की आदत न बनाएं.
अगर ये सलाह मानेंगे, तो सांस फूलने की तकलीफ लेकर अस्पतालों का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा.