1.लंबा चले और सिकुड़े भी
लंबा चले और सिकुड़े भी
कॉटन और लेनिन दोनों फैब्रिक सिकुड़ते ही हैं। इसलिए अगर आपसे कोई कहे कि फैब्रिक जस का तस रहेगा तो वो झूठ बोल रहा है। लेकिन दोनों फैब्रिक में अंतर ये है कि लेनिन कॉटन की अपेक्षा ज्यादा सिकुड़ता है।
मगर ड्यूरेबिलिटी की बात करें तो कॉटन ज्यादा चलता है लेनिन के मुकाबले। इसलिए इस मामले में कॉटन बेहतर है।
2.गर्माहट भी दे
गर्माहट भी दे
कपड़े अपने हिसाब से गर्माहट भी देते हैं। कॉटन ये काम बखूबी करता है। गर्माहट कितनी मिलेगी ये कपड़े की मोटाई पर निर्भर करता है। लेकिन वहीं लेनिन में गर्माहट जरा भी नहीं होती है।
3.महंगा है कौन सा
महंगा है कौन सा
महंगाई के मामले में भी दोनों फैब्रिक की तुलना की जानी चाहिए। लेनिन जहां बहुत महंगे फैब्रिक में से एक है तो कॉटन इस मुकाबले काफी सस्ता होता है। लेनिन सबकी जेब के हिसाब से फिट नहीं बैठता है।
4.इस्तेमाल में आए खूब
इस्तेमाल में आए खूब
इस मामले में भी कॉटन को ही बेहतर कहा जा सकता है। कॉटन ऐसा मटेरियल है जिससे कई सारी चीजें बनाई जा सकती हैं। सिर्फ पहनने के लिए ही नहीं बल्कि घर के इंटीरियर में भी ये मटेरियल खूब इस्तेमाल होता है।
मगर लेनिन के साथ ऐसा नहीं है। लेनिन से कुछ सीमित ड्रेस ही बनाई जा सकती हैं।
5.दोनों का बनना भी अलग-अलग
.दोनों का बनना भी अलग-अलग
कॉटन हो या लेनिन दोनों ही नेचुरल फाइबर हैं। दोनों ही प्लांट से बनते हैं लेकिन दोनों के प्लांट अलग होते हैं, इसलिए इनका टेक्चर भी अलग होता है।