बच्चे हो सकते हैं इस बीमारी का शिकार, न करें अनदेखा

जन्म से ही हो सकती है पहचान

Update: 2021-10-05 13:41 GMT

दिल्ली (Delhi) के प्रताप नगर की रहने वाली दो साल की बच्ची भावना अभी तक कुछ बोल नहीं पाती. उसे चलने में भी काफी तकलीफ होती है.पहले उसके माता-पिता को लगा कि यह सामान्य परेशानी है जो कुछ समय में ठीक हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने डॉक्टरों की सलाह ली तो पता चला कि बच्ची को सेरेब्रेल पाल्सी (Cerebral Palsy) नाम की बीमारी है.

दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के बाल रोग विभाग (Pediatric Department) के डॉक्टर धीरेन गुप्ता बताते हैं कि सेरेब्रेल पाल्सी बीमारी अधिकतर छोटे बच्चों में होती है. इसको दिमागी लकवा भी कहा जाता है. दिमाग के विकास में रुकावट होने के कारण ऐसा होता है. इस बीमारी से पीड़ित बच्चों को सुनने, देखने, चलने में परेशानी होती है. उनके सोचने और समझने की क्षमता कम होती है. यह लक्षण बचपन से ही दिखाई देने लगते हैं.अगर किसी महिला को गर्भवस्था के दौरान रूबेला, सिलफिस, चिकन पॉक्स का संक्रमण हो जाता है तो उसके बच्चे को इस बीमारी के होने की आशंका बनी रहती है.
जन्म से ही हो सकती है पहचान
डॉक्टर गुप्ता बताते हैं कि सेरेब्रेल पाल्सी की पहचान जन्म से ही हो सकती है. अगर जन्म लेने के चार माह बाद भी बच्चा अपनी गर्दन को नहीं संभाल पा रहा या एक से डेढ़ साल की उम्र में कुछ बोल नहीं पा रहा है तो यह इस बीमारी के लक्षण हैं.अगर किसी माता-पिता को उनके बच्चे में यह समस्याएं दिखती है तो उन्हें तुरंत डॉक्टरों की सलाह लेनी चाहिए. सही समय पर जांच और इलाज़ से बच्चे का जीवन सामान्य हो सकता है.

जागरूकता की कमी
चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय के डॉक्टर विक्रम कुमार बताते हैं कि इस बीमारी को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी है.कई बार काफी समय बीत जाने के बाद माता-पिता डॉक्टरों की सलाह लेते हैं. इस कारण काफी परेशानी बढ़ जाती है.

मानसिक समस्याओं का भी शिकार हो जाते हैं यह बच्चे
वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर राजीव मेहता बताते हैं कि सेरेब्रेल पाल्सी से पीड़ित बच्चे अन्य बच्चों की तरह सामान्य नहीं होते हैं.इस वजह से वह कई बार वह हीन भावना का शिकार हो जाते हैं.इससे यह बच्चे तनाव, अकेलापन और अन्य मानसिक समस्याओं का भी शिकार हो जाते हैं.

ऐसे हो सकता है बचाव
गर्भवती महिला के स्वास्थ्य की पूरी तरह देखभाल हो.
जन्म के बाद बच्चे को दिमागी बुखार, रूबेला, चिकन पॉक्स से बचाव के टीके लगवाएं
अगर जन्म के कुछ महीने बाद बच्चे का व्यवहार सामान्य न दिखाई दे तो डॉक्टरों से संपर्क करें.
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