अस्थमा के रोगियों के लिए है फायदेमंद ब्रीदिंग एक्सरसाइज

Update: 2023-10-01 17:29 GMT
अस्थमा और फेफड़ों संबंधी बीमारी होने पर व्यक्ति को अपना खास ख्याल रखना होता है। क्योंकि अस्थमा आदि रोगियों को सांस संबंधी समस्या होती है। ऐसे में इस बीमारी से बचाव के लिए रोगियों को अपनी डेली रूटीन में कुछ व्यायामों को नियमित रूप से शामिल करना चाहिए। इस व्यायाम को करने से ना सिर्फ फेफड़े मजबूत होंगे। बल्कि आपकी इम्यूनिटी भी अच्छी रहेगी। आइए जानते हैं इन व्यायाम के बारे में...
पर्स लिप ब्रीदिंग
इस एक्सरसाइज को करने के लिए एक स्थान पर बैठकर नाक से 10 सेकेंड में सांस लेते हैं। फिर 20 सेकेंड में मुंह से सांस छोड़ें। ध्यान रखें कि सांस छोड़ते समय होंठ सीटी या पर्स जैसे बना लें। इस एक्सरसाइज का अभ्यास रोजाना 40-50 बार दोहराएं और इस प्रक्रिया को दिन में 3-4 बार करें।
डायफ्रॉमिक एक्सरसाइज
इस एक्सरसाइज को बैली या एब्डोमिनल ब्रीदिंग भी कहते हैं। इस एक्सरसाइज को पेट या पीठ के बल लेट के व बैठ और खड़े होकर भी किया जा सकता है। इसे करने से रोगी के फेफड़े मजबूत होते हैं। इसे करने के लिए पीठ का बल ज्यादा बेहतर होता है। इस एक्सरसाइज को करने के विए लेट जाएं और अपने शरीर को ढीला छोड़ दें। इसके बाद एक हाथ छाती और दूसरा पेट पर रखें। फिर गहरी सांस लेते हुए धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
थर्ड ब्रीदिंग
इस एक्सरसाइज को करने के लिए फेफड़ों में सबसे पहले 1/3 सांस भरें। फिर 3-4 सेकेंड रोककर सांस को छोड़ दें। इसके बाद 2/3 सांस भरें, 3-4 सेकंड रोककर सांस छोड़ें। अब पूरी सांस लेते हुए मुंह से सांस छोड़ें। इस प्रक्रिया को एक बार में 8-10 बार तक करें और दिन में 2-3 बार इस प्रक्रिया को करें।
बढ़ती गिनती के साथ लें गहरी सांस
यह एक्सरसाइज फेफड़ों और अस्थमा के रोगियों की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए फेफड़ों को मजबूत करती है। इसे करने के लिए आराम की स्थिति में बैठ जाएं और गहरी सांस लेते हुए गिनती शुरू कर दें। इस दौरान ध्यान रखें कि सांस लेने और छोड़ने का समय एक जैसा ही हो। इस प्रक्रिया को धीरे-धीरे बढ़ाएं और करीब 5 मिनट तक के लिए करें।
अनुलोम विलोम
अनुलोम-विलोम करने से शुद्ध हवा अंदर जाती है और दूषित हवा बाहर निकलती है। इस एक्सरसाइज को करने के लिए फेफड़ों की कोशिकाएं खुलतीं हैं और फेफड़े मजबूत होते हैं। आप किसी भी शांत स्थान पर बैठकर 5-10 बार इस क्रिया को कर सकते हैं। दिन में 3-4 बार अनुलोम-विलोम का अभ्यास करें। सांस के रोगियों के लिए भ्रामरी प्राणायाम करना भी फायदेमंद होता है।
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