Life Style : मेघालय की जनजातीय संस्कृति को दर्शाता है बेहदीनखलम महोत्सव जानिए मनाने की वजह

Update: 2024-06-30 11:48 GMT
Life Style : हर राज्य की अपनी परंपराएं और कुछ रीति-रिवाज होते हैं, जो वहां के स्थानीय समुदायों द्वारा स्थापित किए जाते हैं। इन्हीं परंपराओं से उस जगह की खूबसूरती और निरखती है और साथ ही, लोगों में एकता का भाव पनपता है। अपने राज्य की संस्कृति को अपने भीतर समेते ये त्योहार अलग-अलग समय पर अलग-अलग वजहों से मनाए जाते हैं। ऐसे ही भारत नॉर्थ-ईस्ट के राज्य मेघालय में एक बेहद खास त्योहार मनाया जाता है, जिसमें वहां की जनजातिय समुदाय और प्रकृति के बीच के अनोखे रिश्ते को दर्शाता है। इस उत्सव का नाम है 'बेहदीनखलम'। इस को महोत्सव मेघालय की जैंतिया जनजाति के लोग, जोवाई हील्स पर मनाते हैं।
बेहदीनखलम (Behdienkhlam) का अर्थ होता है- बुरी शक्तियों को भगाना। इसलिए इस त्योहार को मनाने के पीछे का उद्देश्य भी कोलेरा और प्लेग जैसी बीमारियों से इस जगह रहने वाले लोगों की सुरक्षा हो। इसके साथ ही, इस महोत्सव में भगवान से आशीर्वाद मांगते हैं कि वे उनके समुदाय को समृद्धि और अच्छी फसल का वरदान दें।
क्यों मनाया जाता है यह त्योहार? Why is this festival celebrated?
इस त्योहार को हर साल फसल की बुवाई के बाद जुलाई के महीने में मनाया जाता है। बारिश के सुहाने मौसम में इस त्योहार का उल्लास लोगों के चेहरे की खुशी को दोगुना कर देता है। दरअसल, यह जैंतिया जनजातियों, जिन्हें पनार नाम से भी जाना जाता है, का सबसे महत्वपूर्ण नृत्य महोत्सव है। पनार जनजाती मेघालय के खासी समुदाय का भाग हैं। बारिश के महीने में गंदे पानी की वजह से हैजा यानी कोलेरा होने का खतरा रहता है। इसलिए इस उत्सव में हैजा बीमारी को समाप्त करने और इससे अपनी रक्षा करने के लिए प्रार्थना की जाती है।
कैसे मनाया जाता है यह महोत्सव?How is this festival celebrated?
यह उत्सव इतना खास होता है कि इसमें महिलाएं और पुरुष दोनों ही बराबरी में भाग लेते हैं। इस त्योहार को बेहद खास माना जाता है, जिसका आयोजन मुखिया दलोई की अगवानी में किया जाता है। तीन दिनों तक चलने वाले इस त्योहार के आखिरी दिन में लोग ऐतनार नाम की जगह पर इकट्ठा होते हैं और साथ मिलकर नाचते-गाते हैं और खुशियां मनाते हैं। इस दौरान वहां के लोकगीत गाए जाते हैं और ढोल-मंजीरे बजाए जाते हैं।नाच-गाने के साथ-साथ इस उत्सव में कई तरह के खेल भी खेले जाते हैं, जिसमें फुटबॉल जैसा खेल डैडलावाकोर सबसे प्रमुख है। इस खेल को खेलने के लिए लकड़ी की गेंद का इस्तेमाल किया जाता है।
इसे खेलने के लिए दो टीमें बांटी जाती हैं, जिसे उत्तर और दक्षिण इलाके के हिसाब से बांटा जाता है। इस खेल के साथ ऐसी मान्यता भी जुड़ी है कि जो पक्ष यह खेल जीतता है, उसके इलाके में अगले साल अच्छी फसल होती है।बेहदीनखलम उत्सव में कई रस्में भी निभाई जाती हैं, जो इस त्योहार को और खास बनाता है। इस सांस्कृतिक महोत्सव यात्रा के दौरान, इस जनजाती के सभी पुरुष हर घर की छत पर बांस के डंडे मारते हैं। यह एक प्रतीकात्मक परंपरा है, जो बुरी आत्माओं और बीमारियों को भगाने के लिए किया जाता है।इस परंपरा में महिलाएं शामिल नहीं होती हैं। उनका मुख्य काम होता है अपने पूर्वजों के लिए भोग बनाना। इस त्योहार में पूर्वजों को बलि का भोग लगाया जाता है। इन्हीं परंपराओं में एक रिवाज है एक-दूसरे के विरोध में लड़ाई करना। इसके लिए वाह-एत-नार नाम के कीचड़ से एक भारी बीम को निकलना पड़ता है। इस बीम को कीचड़ से निकालने के लिए कई कई घोड़ों का भी इस्तेमाल किया जाता है।
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