एलोवेरा के सेवन में बरतें सावधानी, फायदे के साथ होते हैं शरीर को नुकसान भी
शरीर को नुकसान भी
आयुर्वेद में एलोवेरा को घृतकुमारी के नाम से जाना जाता है। एलोवेरा के पौधे में कई सारे पत्ते होते हैं जिनके अंदर जेल होता है। इस जेल का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है। एलोवेरी ने अपनी जगह औषधि के रूप में भी बनाई हुई है। आपको बता दें कि एलोवेरा की लगभग 200 जातियां हैं जिसमें से इंसान के उपयोग के लिए एलोवेरी की 5 जातियां ही हैं।
एलोवेरा के पौधे को विश्व में सभी जानते हैं यह एक औषधीय पौधे के रूप में विख्यात है। जिसके अनगिनत फायदे हैं और सभी इसके कुछ ना कुछ फायदे तो अवश्य ही जानते होंगे। एलोवेरा से एलोवेरा जेल और एलोवेरा जूस भी बनता है जिसके भी कई फायदे हैं। एलोवेरा में एंटीसेप्टिक, एंटी बैक्टीरियल, एंटी इन्फ्लेमेटरी तथा इसी प्रकार के अन्य गुण उपस्थित होते हैं। एलोवेरा में विटामिन ए तथा फोलिक एसिड जैसे कई अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं। एलोवेरा ही एकमात्र ऐसा पौधा है जो पाचन क्रिया में सुधार करने के साथ ही साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है तथा डायबिटीज जैसी बीमारी में लाभ पहुंचाता है।
एलोवेरा के कई प्रकार होते हैं जिनमें से कुछ मुख्य है जो कि निम्न है –
एलो बरबडेंसिस
यह एलोवेरा का सबसे आम प्रकार है जो हर जगह उपलब्ध हो जाता है। यह एलोवेरा अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है।
टाइगर एलो
यह एलोवेरा की सबसे खूबसूरत प्रजाति होती है लोग इसी प्रजाति को अपने घरों के गमलों में सजाते हैं। इसकी पत्तियां तलवार के आकार की होती है तथा इसकी पत्तियों पर चितकबरे धब्बे पड़े होते हैं।
क्लाइम्बिंग एलो
एलोवेरा की यह प्रजाति बहुत ही दुर्लभ प्रजातियों में से एक है। इसकी पत्तियां आसपास के पेड़ पौधों में भी फैल जाती है।
एलो डेस्कइंगसी
एलोवेरा की सबसे छोटी प्रजाती एलो डेस्कइंगसी होती है। यह सिर्फ 2 से 3 इंच तक बढ़ती है। इसकी गहरे हरे रंग की पत्तियों पर सफेद रंग के धब्बे होते हैं। बसंत में या गर्मियों के मौसम के दौरान इस पर पीले या नारंगी रंग के फूल भी खिलते हैं।
रेड एलो
एलोवेरा की यह प्रजाति धीमी गति से बढ़ती है इस प्रजाति को पानी की आवश्यकता उतनी नहीं होती जितनी कि अन्य प्रजातियों को होती है। जब इस पर सूर्य की किरणें पड़ती है तो खूबसूरत लाल तांबे के रंग का दिखाई पड़ता है। एलोवेरा की सबसे आकर्षक प्रजातियों में से एक है।
एलोवेरा के नुकसान
कोई भी दवाई चाहे वो प्राकृतिक है या फिर सिंथेटिक, अनियमित रूप से खाने पर नुकसान दे सकती है। ऐसे ही एलोवेरा का सेवन असामान्य रूप से करने पर इससे नुकसान हो सकते हैं।
लो ब्लड शुगर लेवल
एलोवेरा के फायदे में से एक है कि यह ब्लड शुगर लेवल को सामान्य बनाए रखने में मदद करता है। आपको बता दें कि लंबे समय तक एलोवेरा का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल कम भी हो सकता है जो शरीर को नुकसान दे सकता है।
अपच
अधिक मात्रा में एलोवेरा जूस का सेवन करने से पाचन शक्ति में परेशानी हो सकती है। एलोवेरा कब्ज़ में आराम देती है लेकिन अगर इसका सेवन अधिक मात्रा में कर लिया जाए तो पेट में जलन के साथ- साथ अपच भी हो सकती है।
टॉक्सिक लिवर
एलोवेरा में बायो- एक्टिव कंपाउंड होते हैं, अधिक मात्रा में इनका सेवन करने पर यह लिवर को टोक्सिक बना सकते हैं। हालांकि यह लिवर को टोक्सिक बनाने से सीधा नहीं जुड़ा हुआ है लेकिन यह लिवर के डीटोक्सीफिकेशन प्रोसेस को कम कर देता है।
गर्भवती महिलाओं को नहीं करना चाहिए एलोवेरा का उपयोग
जो महिलाएं गर्भवती है या अपने शिशु को स्तनपान कराती है उन महिलाओं को एलोवेरा का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। गर्भावस्था में अगर कोई महिला एलोवेरा का इस्तेमाल करती है तो गर्भपात होने का खतरा रहता है। अथवा फिर बच्चे में कोई जन्मजात दोष भी होने का खतरा रहता है।
कम हो जाता है दवाईयों का असर
अगर कोई व्यक्ति अन्य कोई दवाइयों का सेवन कर रहा है और साथ में एलोवेरा का भी इस्तेमाल करता है तो उन दवाइयों का असर कम हो जाता है। आपके शरीर को दवा का लाभ नहीं मिल पाता एलोवेरा क्योंकि एलोवेरा कुछ दवाइयों को शरीर में अवशोषित होने से रोकता है।
इसलिए अगर आप दवाई और एलोवेरा जूस साथ में ले रहे हैं तो एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें।
नोट: आलेख में दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित है। कंटेंट का उद्देश्य मात्र आपको बेहतर सलाह देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।