हेल्दी बिल्ली में पाए जाने वाले बैक्टीरिया से चूहों के त्वचा संक्रमण के इलाज में सफलता पाई गए हैं, जानिए पूरा मामला

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन डिएगो स्कूल ऑफ मेडिसिन में त्वचा विज्ञान विभाग के प्रोफेसर रिचर्ड एल. गालो (Richard Gallo) की लीडरशिप में की गई ये रिसर्च ‘ई लाइफ (eLife)’ जर्नल में प्रकाशित छपी है

Update: 2021-10-27 10:33 GMT

जनता से रिस्ता वेबडेसक |  दुनिया में कई गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए रिसर्च हमेशा होती रहती है, इनमें तरह-तरह प्रयोग भी होते हैं. ऐसी ही एक ताजा रिसर्च बिल्ली और चूहे को लेकर हुई है.रिपोर्ट के अनुसार, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन डिएगो (university of California San Diego) के रिसर्चर्स ने हेल्दी बिल्ली में पाए जाने वाले बैक्टीरिया (Bacteria) से चूहों के त्वचा संक्रमण (skin infection) के इलाज में सफलता पाई है. रिसर्च करने वालों का मानना है कि यह बैक्टीरिया इंसान और कुत्ते-बिल्लियों के गंभीर त्वचा संक्रमण (severe skin infection) के इलाज में भी काम आ सकते है.

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन डिएगो स्कूल ऑफ मेडिसिन में त्वचा विज्ञान विभाग के प्रोफेसर रिचर्ड एल. गालो (Richard Gallo) की लीडरशिप में की गई ये रिसर्च 'ई लाइफ (eLife)' जर्नल में प्रकाशित छपी है. इनकी टीम को बैक्टीरिया से इलाज के तौर-तरीके अपनाए जाने में विशेषज्ञता हासिल है. इस विशेष पद्धति (special method) को बैक्टीरियोथेरेपी (Bacteriotherapy) कहा जाता है.

स्किन बैक्टीरिया का काम 

त्वचा पर सैकड़ों प्रकार के बैक्टीरिया होते हैं. वे स्किन की हेल्थ, इम्यूनिटी और इंफेक्शन से लड़ने में अहम भूमिका निभाते हैं. लेकिन हेल्दी त्वचा और रोगाणुओं (microbes) से लड़ने की क्षमता बनाए रखने के लिए उन सभी प्रकार के बैक्टीरिया में विविधतापूर्ण संतुलन (diversified balance) जरूरी होता है.

इलाज को आसान बनाने में मिलेगी मदद 

यही मामला एमआरएसपी यानी मेथिसिलिन रिजिस्टंट स्टैफिलोकोकस स्यूडइंटरमेडियस (Methicillin Resistant Staphylococcus Pseudiintermedius) के साथ भी है. ये घरेलू पशुओं में पाया जाता है, जो पशुओं के बीमार या चोटिल होने पर संक्रामक हो जाते हैं. एमआरएसपी एक ऐसा रोगजनक (pathogenic) बैक्टीरिया है, जो एक से दूसरी प्रजाति में बदलकर एटोपिक डर्मेटाइटिस या एक्जिमा या खुजली पैदा करता है. जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि एमआरएसपी पर सामान्य एंटीबायोटिक का असर नहीं होता है.

लेकिन शोधकर्ताओं ने बिल्लियों में पाए जाने वाले एस. फेलिस यानी स्टेफिलोकोकस फेलिस (staphylococcus felis) स्ट्रेन की पहचान की, जो एमआरएसपी की वृद्धि को रोकने में प्रभावी पाया गया. उन्होंने यह भी पाया कि एस. फेलिस का यह विशिष्ट स्ट्रेन प्राकृतिक रूप से कई ऐसे एंटीबायोटिक्स पैदा करता है, जो एमआरएसपी की सेल्स को नष्ट कर उसे मार देता है और इसके साथ ही टॉक्सिक फ्री रेडिकल्स का उत्पादन बढ़ा देता है.

डॉ गालो ने कहा कि इस प्रजाति में रोगाणुओं को मारने की अद्भुत क्षमता है और यह विभिन्न दिशाओं से हमला करता है. इस कारण यह एक अच्छा इलाज साबित हो सकता है.

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