आप 'डे पर्सन हैं या नाइट'?

Update: 2023-06-19 19:05 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | मेडिकल साइंस में पर्सनालिटी, गतिविधियों और शारीरिक सक्रियता के आधार पर लोगों को दो हिस्सों में बांटा गया है- मार्निंग या डे पर्सन और दूसरा नाइट पर्सन जिसे नाइट पर्सन भी कहा जाता है। मार्निंग पर्सन का मतलब वे लोग जिनका दिमाग सुबह-दिन के समय अधिक सक्रिय होता है, सुबह आसानी से जल्दी उठ जाते हैं। इसके विपरीत नाइट पर्सन की सबसे अधिक उत्पादकता शाम या रात में देखी जाती है, हालांकि ये लोग रात में देर से सोते हैं और सुबह देर से उठते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं आपकी पर्सनालिटी, सेहत और खान-पान के तरीकों को प्रभावित करती है।

इसी से संबंधित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि 'नाइट पर्सन' पर्सनालिटी वाले लोगों में मार्निंग पर्सन की तुलना में समय से पहले मृत्यु का खतरा अधिक हो सकता है। असल में ऐसे लोगों में शराब-धूम्रपान की आदत अधिक देखी गई है जो सीधे तौर पर कई क्रोनिक बीमारियों को बढ़ाने वाली स्थिति है।मेडिकल साइंस में पर्सनालिटी, गतिविधियों और शारीरिक सक्रियता के आधार पर लोगों को दो हिस्सों में बांटा गया है- मार्निंग या डे पर्सन और दूसरा नाइट पर्सन जिसे नाइट पर्सन भी कहा जाता है। मार्निंग पर्सन का मतलब वे लोग जिनका दिमाग सुबह-दिन के समय अधिक सक्रिय होता है, सुबह आसानी से जल्दी उठ जाते हैं। इसके विपरीत नाइट पर्सन की सबसे अधिक उत्पादकता शाम या रात में देखी जाती है, हालांकि ये लोग रात में देर से सोते हैं और सुबह देर से उठते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं आपकी पर्सनालिटी, सेहत और खान-पान के तरीकों को प्रभावित करती है।

इसी से संबंधित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि 'नाइट पर्सन' पर्सनालिटी वाले लोगों में मार्निंग पर्सन की तुलना में समय से पहले मृत्यु का खतरा अधिक हो सकता है। असल में ऐसे लोगों में शराब-धूम्रपान की आदत अधिक देखी गई है जो सीधे तौर पर कई क्रोनिक बीमारियों को बढ़ाने वाली स्थिति है।नाइट पर्सन की लाइफ कम क्यों मानी जाती है, इसे समझने से पहले यह जानलेना आवश्यक है कि आपकी आदतों के अलावा कुछ जीन्स भी हैं जो निर्धारित करते हैं कि आप मार्निंग पर्सन होंगे या नाइट।

हम सभी के शरीर में एक आंतरिक घड़ी होती है जो हमारे सोने/जागने के चक्र सहित हमारे जीवन के कई पहलुओं को नियंत्रित करने में मदद करती है। यह घड़ी मुख्यरूप परिवेश के प्रकाश पर चलती है, यही कारण है कि जब बाहर अंधेरा होता है तो हमें नींद आती है और दिन के समय हम सक्रिय रहते हैं।

एक अध्ययन में डिले स्लीप फेज डिसऑर्डर (नाइट पर्सन) वाले लोगों में CRY1 नामक जीन में आनुवंशिक परिवर्तन देखा गया है, जो इनमें सामान्य निर्धारित समय से देर में नींद आने की समस्या का कारण बनती है।

आइए अब अध्ययन पर वापस चलते हैं।शोधकर्ताओं की टीम ने दोनों प्रकार की पर्सनालिटी वाले लोगों की आदतों के विश्लेषण के आधार पर पाया कि आमतौर पर नाइट पर्सन में समय से पहले मृत्यु का खतरा अधिक हो सकता है, जिसका प्रमुख कारण शराब-धूम्रपान की प्रवृत्ति मानी जाती है।

फिनलैंड स्थित हेलसिंकी यूनिवर्सिटी में आनुवंशिक महामारी विज्ञान जाक्को काप्रियो कहते हैं, इस शोध के दौरान हमने उन कारकों को समझने की कोशिश की जो लोगों की मृत्युदर को बढ़ाने वाले हो सकते थे। इसमें पाया गया कि नाइट पर्सन में बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई), क्रोनिक बीमारियों का खतरा, शराब-धूम्रपान आदत अधिक थी। साथ ही इनमें से ज्यादातर लोग नींद विकारों के भी शिकार थे। ये सभी स्थितियां शरीर में इंफ्लामेशन को बढ़ाने और मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करने वाली हो सकती हैं, जो सीधे तौर पर जानलेवा समस्याओं का कारक हैं।

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