लंबे समय की परेशानी है एंग्जायटी, खराब कर सकती है मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य,
लाइफस्टाइल: हम सभी लोगों की जिंदगी में कुछ ऐसी चीजें या बाते हैं, जिनको लेकर हम दिन-रात चिंतित रहते हैं। चिंता एक भावना है, जो हर व्यक्ति अपनी जिंदगी में कभी न कभी तो अनुभव करता ही है। चिंता अनुभव करना बेहद सामन्य बात है, लेकिन कई बार चीजें नियंत्रण के बाहर हो जाती है। चिंता की भावना जब नियंत्रण के बाहर हो जाती है तो लोगों की दैनिक गतिविधियों में बाधा डालने लगती हैं। ऐसे में चलिए आज चिंता पर विस्तार से बात करते हैं। इसी के साथ हम आज के हमारे इस आर्टिकल में चिंता की भावना को नियंत्रण में करने की कुछ टिप्स भी बताएंगे।
चिंता क्या है और ये तनाव से कैसे अलग है?
चिंता एक तरह की भावना है, जो आजकल बहुत ही आम हो गयी है। आमतौर पर लोग चिंता को तनाव से जोड़ देते हैं। लोगों को लगता है ये दोनों भावनाएं एक ही है, लेकिन ऐसा नहीं है। चिंता और तनाव दोनों अलग-अलग भावना है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, तनाव अस्थाई होता है। ये थोड़ी देर रहने के बाद खत्म हो जाता है। जबकि चिंता एक लम्बे समय तक रहने वाली स्थायी भावना है। चिंता की शुरुआत तब होती है जब कोई व्यक्ति किसी बात को लेकर परेशान होता है और फिर खुद से उस बात पर सवाल-जवाब करने शुरू कर देता है। आमतौर पर ये सवाल-जवाब नकारात्मक होते हैं।
चिंता के लक्षण
- घबराहट होना
- बेचैनी या तनाव महसूस करना
- साँसों का तेज होना
- पसीना आना
- दिल की धड़कनों का तेज होना
- कमजोरी या थकान महसूस होना
चिंता को कैसे करें नियंत्रित
चिंता को नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है। लेकिन बहुत से ऐसे तरीके हैं, जिनसे इसे नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। लोग अपनी चिंता पर काबू पाने के लिए चाहें तो थरेपी का विकल्प चुन सकते हैं। अगर थरेपी के लिए नहीं जाना चाहते तो आप चिंता पर काबू पाने के लिए 'तीन का नियम' टेक्निक का इस्तेमाल कर सकते हैं। 'तीन का नियम' आपको शांत होने में मदद करता है। चलिए जानते हैं कैसे इस टेक्निक को इस्तेमाल करते हैं।
जब भी चिंता की भावना नियंत्रण के बाहर हो जाए तब इसे काबू करने के लिए 'तीन का नियम' आजमाएं। सबसे पहले आसपास में दिखने वाली तीन चीजों के नाम बोलना शुरू करें। इसके बाद आपके द्वारा सुनी जाने वाली 3 आवाजों की पहचान करें। इसके बाद आस-पास की तीन चीज़ों को छू कर देखें। ये सब करने से आप चिंता को काफी हद तक काबू कर लेंगे।