वास्तुशास्त्र के अनुसार : मसालों के इस्तेमाल से चमका सकते है किस्मत
भारत पूरी दुनिया में अपने मसालों के लिए जाना जाता है। प्राचीन काल से ही भारत में मसालों का इस्तेमाल खाना बनाने से लेकर औषधी के रूप में भी किया जाता रहा है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | भारत पूरी दुनिया में अपने मसालों के लिए जाना जाता है। प्राचीन काल से ही भारत में मसालों का इस्तेमाल खाना बनाने से लेकर औषधी के रूप में भी किया जाता रहा है। अभी कोरोना काल में एक बार फिर सारी दुनिया भारतीय मसालों काली मिर्च, दालचीनी, लौंग, इलाइची, पिपली और सोंठ के काढ़े का प्रयोग कोरोना को दूर करने के लिए कर रही है। लेकिन क्या आपको मालूम हैं कि आपके खाने का जायका बढ़ाने वाले मसाले आपकी किस्मत भी चमका सकते हैं? भारतीय वास्तुशास्त्र में मसालों के अलग- अलग तरह के प्रयोग से आप अपने भाग्य को और बेहतर कर सकते हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में..
लौंग और काली मिर्च-
वास्तुशास्त्र में लौंग और काली मिर्च को शनि प्रधान मसाला माना जाता है। सरसों के तेल में लौंग या काली मिर्च डालकर दीपक जलाने से शनि ग्रह के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है और इससे घर की नकारात्मक शक्तियां भी निष्प्रभावी हो जाती हैं।
हींग-
वास्तुशास्त्र के अनुसार हींग का संबंध बुद्ध और बृहस्पति ग्रह से है। दोपहर के खाने में हींग का सेवन करने से मन शांत रहता है और बुद्ध दोष भी समाप्त हो जाता है।
जीरा-
जीरे का संबंध वास्तुशास्त्र में राहु-केतु ग्रह से माना जाता है। जिस व्यक्ति पर राहु-केतु की बुरी दशा चल रही हो , उसे शनिवार के दिन जीरे का दान करना चाहिए। इससे राहु-केतु की दशा में सुधार होता है।
सौंफ-
सौंफ को मिश्री के साथ मिलाकर खाने से शुक्र ग्रह मजबूत होता है। जिनकी कुण्डली में मंगल कमजोर हो, उन्हें सौंफ को गुड़ मिलाकर खाना चाहिए।
हल्दी-
हल्दी का संबंध बृहस्पति ग्रह से है,अतः जिस व्यक्ति का गुरू कमजोर हो उसे अपनी जेब में हल्दी की गांठ या एक चुटकी हल्दी रूमाल में डालकर निकलना चाहिए।