चाणक्य नीति के अनुसार ये 4 चीजें होती हैं मित्र से भी ज्यादा खास
आचार्य चाणक्य कूटनीति और राजनीति में निपुण थे
आचार्य चाणक्य कूटनीति और राजनीति में निपुण थे। आचार्य चाणक्य ने कई शास्त्र लिखें, जिसमें से नीति शास्त्र में उन्होंने मनुष्य के जीवन से जुड़े तमाम पहलुओं का जिक्र किया है। नीतिशास्त्र की शिक्षाएं कठोर और कड़वी भले ही लगती हो, लेकिन ये मनुष्य को जीवन की सच्चाई से अवगत कराती हैं। आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में मनुष्य के निजी जीवन से लेकर रोजगार, व्यापार और धन से संबंधित कई महत्वपूर्ण बातें बताई हैं। इन बातों के सार के समझकर मनुष्य कई समस्याओं का हल स्वयं ही ढूंढ सकता है और एक सुखी जीवन जी सकता है। आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में चार ऐसी चीजों का बारे में बताया है जो व्यक्ति का साथ आखिरी समय तक देती हैं।
विद्या मित्रं प्रवासेषु भार्या मित्र गृहेषु च।
व्याधितस्यौषधं मित्र धर्मो मित्रं मृतस्य।।
ज्ञान
आचार्य चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से पहली चीज बताते हैं ''ज्ञान'' चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति परदेस में अपनों से दूर है उसके लिए ज्ञान ही सबसे बड़ा और सच्चा मित्र है। ज्ञान ही एक ऐसी चीच है जो व्यक्ति का आखिरी समय तक साथ निभाता है। ज्ञान के बल पर व्यक्ति हर परिस्थिति को पार करने में सक्षम रहता है।
चाणक्य के अनुसार जिस व्यक्ति की पत्नी उसकी अच्छी मित्र हो और व्यवहार कुशल हो, जो सद्गुणी हो, हर कदम पर पति का साथ देने वाली हो, ऐसे व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान मिलता है। चाणक्य कहते हैं कि विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी पत्नी ही पति को धैर्य और साहस देती है।
औषधि
चाणक्य कहते हैं कि जिस व्यक्ति का स्वास्थय खराब हो उसके लिए औषधि ही सच्ची मित्र होती है। औषधि ही व्यक्ति के स्वास्थ्य को सही करके उसके प्राणों की रक्षा करती है। व्यक्ति को कभी भी रोग के समय में औषधि लेने में लापरवाही नहीं करनी चाहिए।
धर्म
आचार्य चाणक्य के अनुसार धर्म को इंसान का सबसे अच्छा और सच्चा मित्र होता है। धर्म ही व्यक्ति को सही राह दिखाता है, जिसपर चलकर व्यक्ति अपने जीवन को सफल और सार्थक बनाता है। धर्म पर चलने वाले व्यक्ति को हर स्थान पर मान सम्मान की प्राप्ति होती है। चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने जीवन में जिस तरह के कर्म करता है मृत्यु के पश्चात उसे उसी प्रकार से याद किया जाता है।