जानिए, किन फलों का सेवन शुगर के रोगी कर सकते हैं और किन फलों से उन्हें परहेज करना चाहिए...
शहद, खजूर, गुड़ और गन्ना जैसे नैचरल स्वीटनर्स के उपयोग को लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | शहद, खजूर, गुड़ और गन्ना जैसे नैचरल स्वीटनर्स के उपयोग को लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं। कुछ लोगों का मानना है कि शहद, खजूर, गुड़, गन्ना, चीकू, लीची और केला इत्यादि सभी प्राकृतिक रूप से मीठे होते हैं। इसलिए खाने में इनका कितना भी सेवन करो ये शुगर का स्तर नहीं बढ़ाते हैं। जबकि यह सोच पूरी तरह गलत है। यहां डॉक्टर मनोज शर्मा बता रहे हैं कि नैचरल स्वीटनर्स का उपयोग कैसे और कब करना चाहिए...
इन फलों का उपयोग कर सकते हैं शुगर पेशंट
-डॉक्टर मनोज शर्मा का कहना है कि शुगर से ग्रसित मरीजों को सेब, अमरूद, नाशपाती, पपीता, सिंघाड़ा और पाइनऐपल जैसे फलों का सेवन जरूर करना चाहिए। क्योंकि इन फलों में फाइबर्स की मात्रा बहुत अधिक होती है, साथ ही शुगर कंटेंट बहुत कम होता है।
-इस कारण ये फल शुगर के रोगियों का ब्लड शुगर स्तर सामान्य बनाए रखते हैं। जो शुगर पेशंट नियमित रूप से इन फलों का सेवन करते हैं, उन्हें एनर्जी की कमी, थकान, शरीर में भारीपन और शुगर के अचानक बढ़ने की समस्या नहीं होती है।
ब्लड शुगर बहुत तेजी से बढ़ाते हैं ये फल
- ज्यादातर लोगों के मन में अक्सर यह सवाल आता है कि क्या शुगर के पेशंट्स केले का सेवन कर सकते हैं? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए डॉक्टर मनोज शर्मा का कहते हैं कि केले में नैचरल शुगर बहुत अधिक मात्रा में होती है। यह शुगर शरीर में पहुंचने के बाद बहुत जल्दी रक्त में मिल जाती है और कुछ ही समय के अंदर रोगी का ब्लड शुगर बहुत अधिक बढ़ा सकती है।
-इसलिए शुगर के रोगियों को केले का सेवन नहीं करना चाहिए। यही बात आम, लीची, चीकू जैसे बहुत अधिक मीठे फलों पर भी लागू होती है। यानी इन फलों के सेवन से भी शुगर के मरीजों को बचना चाहिए। कभी यदि बहुत अधिक इच्छा हो तो आधा या एक पीस खाया जा सकता है। नैचरल स्वीटनर्स आमतौर पर शुगर पेशंट्स के लिए एक सुरक्षित विकल्प माने जाते हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। क्योंकि इनमें मौजूद प्राकृतिक शुगर शरीर में जाने के बाद तेजी से रक्त में मिल जाती है और तुरंत ब्लड शुगर लेवल बढ़ाने का काम करती है।
स्मार्ट लोग कैलरी काउंट से उठाएं लाभ
-डॉक्टर शर्मा के अनुसार, जिन लोगों को अपने फूड और उनकी कैलरी के बारे में अच्छी जानकारी होती है, वे अपने भोजन में कैलरी का संतुलन बनाकर यदि सीमित मात्रा में शुगर का सेवन भी करते हैं तो उनके शरीर पर इस पर इसका बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। क्योंकि कैलरी मैनेजमेंट के चलते उनका ब्लड शुगर लेवल सामान्य बना रहता है।
बोन्स पर बुरा असर
-शुगर फ्री का उपयोग भी शुगर के मरीजों को बहुत सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। क्योंकि शुगर फ्री भी बहुत सुरक्षित विकल्प नहीं है। यह एक गलतफहमी है कि शुगर फ्री का उपयोग करने से वजन को कंट्रोल किया जा सकता है।
-वहीं, शुगर फ्री का अधिक उपयोग पेट में गैस, भारीपन और पेट फूलने की समस्या की वजह बन सकता है। हालांकि दिवाली जैसे त्योहार पर सेलिब्रेट करने के लिए आप सीमित मात्रा में शुगर फ्री का उपयोग कर सकते हैं।
-शुगर फ्री का उपयोग भी शुगर के मरीजों को बहुत सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। क्योंकि शुगर फ्री भी बहुत सुरक्षित विकल्प नहीं है। यह एक गलतफहमी है कि शुगर फ्री का उपयोग करने से वजन को कंट्रोल किया जा सकता है।
-वहीं, शुगर फ्री का अधिक उपयोग पेट में गैस, भारीपन और पेट फूलने की समस्या की वजह बन सकता है। हालांकि दिवाली जैसे त्योहार पर सेलिब्रेट करने के लिए आप सीमित मात्रा में शुगर फ्री का उपयोग कर सकते हैं।
खाने का तरीका पता हो तो कुछ भी हानिकारक नहीं
-शुगर के मरीजों को खान-पान के बारे में जानकारी देते हुए डॉक्टर शर्मा कहते हैं कि यदि कोई शुगर पेशंट अपनी डायट का पूरा ध्यान रखता है और शारीरिक गतिविधियां करते हुए शरीर को स्वस्थ रखने का प्रयास करता है। तो ऐसा रोगी कभी-कभार नैचरल स्वीटनर्स और मिठाई इत्यादि का सीमिता मात्रा में सेवन कर सकता है।
-अति हर चीज की वर्जित होती है। अगर सीमित मात्रा में खाई जाए तो कोई भी चीज जहर के समान नहीं होती है। अपनी डायट को नियंत्रित रखते हुए आप थोड़ी मात्रा में नैचरल स्वीटनर्स का उपयोग कर सकते हैं। इन फूड आइटम्स के साथ दिवाली पर मिठास लूट सकते हैं शुगर पेशंट्स
दोनों तरह की शुगर के रोगियों के लिए एक समान
-ऐसा नहीं है कि नैचरल स्वीटनर्स सिर्फ टाइप-1 डायबिटीज के रोगियों के लिए हानिकारक होते हैं। ये टाइप-टु डायबिटीज के रोगियों के लिए भी समान रूप से हानिकारक होते हैं। इसलिए लीची, चीकू, केला, कजूर और गन्ना जैसे बहुत अधिक मीठे फलों का उपयोग किसी भी तरह के शुगर के रोगी को नहीं करना चाहिए।
जिनकी हेरिडिटी में शुगर है
-आप सभी लोग जानते हैं कि टाइप-1 डायबिटीज के रोगी उन पेशंट्स को कहा जाता है, जिन्हें जन्म के साथ शुगर की समस्या होती है। या जिनके पारिवारिक में बड़े लोगों को शुगर का रोग होता है। वहीं टाइप-टु डायबिटीज की समस्या उन लोगों को होती है, जो गलत लाइफस्टाइल के कारण इस रोग की चपेट में आ जाते हैं।
-अगर आपके परिवार में शुगर एक वंशानुगत रोग है लेकिन आप अभी तक शुगर के खतरे से बाहर हैं तो आपको भी अपनी डायट को लेकर बहुत अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए। ताकि आप अधिक से अधिक समय तक इस रोग को टाल सकें। इसके साथ ही जिन लोगों के परिवार में शुगर का इतिहास नहीं है, उन्हें भी नैचरल स्वीटनर्स का उपयोग सीमित मात्रा में करना चाहिए ताकि वे शुगर के रोग से ताउम्र बचे रह सकें।