नीतीश कुमार इतने गुस्से में क्यों हैं? कहीं ये बिहार में जेडीयू-बीजेपी गठबंधन के तनाव की बानगी तो नहीं…
नीतीश कुमार को फिर गुस्सा आ गया
विवेक आनंद
नीतीश कुमार को फिर गुस्सा आ गया. गुस्से में नीतीश कुमार ने बिहार (Bihar) विधानसभा के स्पीकर विजय सिन्हा को भी नहीं छोड़ा. विधानसभा में गुस्से में तमतमाए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) स्पीकर विजय सिन्हा को संविधान देखने की नसीहत देने लगे. अब समझिए कि नीतीश कुमार को गुस्सा आया क्यों. बिहार विधानसभा में इन दिनों बजट सत्र चल रहा है. सोमवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही बीजेपी विधायक संजय सरावगी ने लखीसराय में 52 दिनों में 9 लोगों की हत्या पर कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया था. वो संबंधित मंत्री से पुलिस कार्रवाई पर जवाब चाह रहे थे. मामले में हंगामा बढ़ते ही सीएम नीतीश कुमार बेहद नाराज हो गए. वो सदन में हंगामा करने वालों को जमकार फटकार लगाने लगे. इसी दरम्यान वो स्पीकर विजय सिन्हा पर भी बरस पड़े.
नीतीश कुमार ने कहा कि आप संविधान का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं. इस तरह से सदन नहीं चलेगा. एक ही मामले को रोज-रोज उठाने का मतलब नहीं है. इस दौरान सीएम और स्पीकर के बीच जोरदार बहस हो गई. नीतीश कुमार ने कहा कि इस मामले में विशेषाधिकार समिति जो रिपोर्ट पेश करेगी हम उस पर विचार करेंगे. देखेंगे कि कौन सा पक्ष सही है. सिस्टम संविधान से चलता है. किसी भी क्राइम की रिपोर्ट कोर्ट में जाती है, सदन में नहीं. जिस चीज पर जिसका अधिकार है उसको करने दीजिए. हमारी सरकार न किसी को बचाती है और ना किसी को फंसाती है.
सीएम के गुस्से से भरे बयान पर स्पीकर भी हैरान रह गए. स्पीकर विजय सिन्हा बोले जहां तक संविधान की बात है तो मुख्यमंत्री जी आप हमसे ज्यादा जानते हैं. मैं आपसे सीखता हूं. लेकिन जिस मामले की बात हो रही है, उसके लिए सदन में तीन बार हंगामा हो चुका है. मैं विधायकों का कस्टोडियन हूं और खुद भी जनप्रतिनिधि हूं. जब मैं क्षेत्र में जाता हूं तो लोग सवाल पूछते हैं. आप लोगों ने ही मुझे विधानसभा का अध्यक्ष बनाया है. आसन को हतोत्साहित करने की बात न हो.
मौका मिलते ही कभी भी पलटी मार सकते हैं नीतीश कुमार
सीएम और स्पीकर के बीच सदन में इस गहमागहमी का वीडियो वायरल है. राजनीतिक हलकों से लेकर सोशल मीडिया पर लोग कमेंट कर रहे हैं. सवाल उठ रहे हैं कि नीतीश कुमार का ये गुस्सा कहीं राज्य में जेडीयू-बीजेपी के गठबंधन के तनाव को तो नहीं दिखा रहा है. बिहार में बीजेपी-जेडीयू की गठबंधन सरकार है. किसी वक्त जेडीयू गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका में थी. एक स्पष्ट सी रेखा खिंची थी कि केंद्र में जेडीयू छोटे भाई की हैसियत में होगी और राज्य में बड़े भाई की. लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं. जेडीयू की कम सीटें होने के बाद भी वो मुख्यमंत्री हैं. कई राजनीतिक जानकार मानते हैं कि नीतीश कुमार भले ही मुख्यमंत्री हों. लेकिन कम सीटें होने का दवाब उनपर लगातार है. इसलिए वो अपने लिए नई संभावनाएं देखते रहते हैं. इसलिए कहा जाता है कि नीतीश कुमार मौका भांपते हुए कभी भी पलटी मार सकते हैं.
ये खीझ बयां करती है बीजेपी-जेड़ीयू की असहज स्थिति!
पिछले महीने भी नीतीश कुमार की नई संभावना तलाशने की खूब चर्चा हुई थी. जब नीतीश कुमार और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की डिनर पर मुलाकात हुई थी. हालांकि नीतीश कुमार ने ये कहते हुए कि प्रशांत किशोर उनके पुराने मित्र हैं कहकर बात टाल दी थी. प्रशांत किशोर ने भी कहा था कि ये शिष्टाचार मुलाकात है. लेकिन एक राजनेता और एक चुनावी रणनीतिकार के बीच मुलाकात हो और राजनीति पर चर्चा न हो ऐसा होना मुमकिन नहीं है. वैसे भी लोग कहते रहे हैं कि नीतीश कुमार की प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा खत्म नहीं हुई है. गाहे बगाहे इसकी चर्चा चलती रही है. जेडीयू की तरफ से भी हमेशा कहा गया है कि प्रधानमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार एक आदर्श चुनाव हो सकते हैं.
इसलिए इस बार भी कहा जा रहा है. नीतीश कुमार के गुस्से को यूं ही नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. नीतीश कुमार बीजेपी के कोटे से स्पीकर बने विजय सिन्हा पर अपनी खीझ उतार रहे हैं. नीतीश कुमार की बेचैनी और अकुलाहट जेडीयू और बीजेपी गठबंधन की असहज स्थिति को बयां कर रही है.