उरी पार्ट-2 की साजिश
28 सितम्बर वह तारीख है जो हिन्दुस्तान की सेना के शौर्य और अदम्य साहस की गवाह है, क्योंकि ठीक पांच साल पहले इसी रात हिन्दुस्तान के जांबाजों ने वह कर दिखाया था |
आदित्य नारायण चोपड़ा: 28 सितम्बर वह तारीख है जो हिन्दुस्तान की सेना के शौर्य और अदम्य साहस की गवाह है, क्योंकि ठीक पांच साल पहले इसी रात हिन्दुस्तान के जांबाजों ने वह कर दिखाया था जिसे सोचकर पाकिस्तानियों की जान निकल जाती है। भारत के जांबाजों ने उरी हमले का बदला लेने के लिए पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। तब से अब तक ये तारीख आते ही पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठानों और नॉन स्टेट एक्टर्स (आतंकवादी गिरोहों) की बौखलाहट शुरू हो जाती है और वह भारत को दहलाने की साजिशें तेज कर देते हैं। इस बार भी सर्जिकल स्ट्राइक की वर्षगांठ पर पाकिस्तान ने उरी में कुछ वैसा ही करने की साजिश रची थी लेकिन भारतीय सुरक्षा बलों ने सरहद पर रची साजिश को नाकाम कर नापाक मंसूबों पर पानी फेर दिया। भारतीय सुरक्षा बलों ने एक बहुत बड़े आपरेशन को अंजाम दिया जो पूरे नौ दिन तक चला और उरी पार्ट-2 की साजिश को नेस्तनाबूद कर दिया गया। सात दिन में सात आतंकवादियों को मार गिराया। बड़ी संख्या में हथियार और गोला बारूद बरामद किया गया लेकिन इसके साथ भारत के हाथ एक ऐसी कामयाबी मिली जो पाकिस्तानी फौज और आतंकवादियों के बीच कनैक्शन का सबसे नया और बड़ा सबूत है। सेना ने हाफिज सईद के लश्कर के एक दहशतगर्द को जिन्दा पकड़ लिया जो अब एक-एक करके पाकिस्तान के राज खोल रहा है। पकड़ा गया आतंकी अली बाबर महज 19 साल का है, जो पाकिस्तान प्रांत के औकारा का रहने वाला है। इतनी कम उम्र के एक इंसान को हैवान सिर्फ पाकिस्तान ही बना सकता है और ये आतंकी साजिश का जीता जागता सबूत है। अली बाबर बहुत ही गरीब परिवार से है, उसे पैसे की जरूरत थी। पैसों के लालच में उसने आतंक का रास्ता चुना।भारत के जम्मू-कश्मीर में विकास की बयार भी पाकिस्तान को सहन नहीं हो रही। वह लगातार कश्मीर में आतंकी भेज रहा है और भारतीय सेना लगातार उनका सफाया कर रही है। उरी में चलाए गए अभियान में मारे गए 7 आतंकियों में से 6 पाक पंजाब के ही रहने वाले थे। जिंदा आतंकवादी अली बाबर की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान एक बार फिर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नंगा हुआ है लेकिन बेशर्म देश को इससे क्या फर्क पड़ता है। मुम्बई हमले के दौरान जब कसाब को पकड़ लिया गया था, उसके बाद पाकिस्तान ने सफेद झूठ बोलना शुरू कर दिया था लेकिन अजमल आमिर कसाब का ब्रिटिश मीडिया ने पता ठिकाना ढूंढ लिया था। उसके मां-बाप तक को मीडिया ने खोज लिया था। तब उसने स्वीकार किया था कि कसाब उसका ही नागरिक है। कसाब अपनी चाल-ढाल से सैनिक प्रशिक्षण पाया हुआ लगता था लेकिन उसके बाद भी 2015 में बीएसएफ जवानाें को ले जा रही बस पर हमला करने वाले दो आतंकवादियों में से एक को मार गिराया गया था जबकि दूसरा नावेद पकड़ा गया था, वह पाकिस्तान के फैसलाबाद के गुलाम मोहम्मदाबाद का रहने वाला था। अली बाबर की तरह नावेद को भी गांव से बहला-फुसला कर लाया गया था। उसके दिमाग में जिहाद का जहर भरा गया था। दुनिया में पाकिस्तान ही ऐसा देश है जिसके आतंकी पकड़े जाने पर टीवी पर तमाशा बनते हैं। पाकिस्तानी अवाम को खुद समझना चाहिए कि फर्जी मजहबवाद उनके बच्चों को भारतीय सुरक्षा बलों की गोलियों का निशाना बनने के लिए मजबूर कर रहा है। कट्टर इस्लाम के नाम पर बहकावे में आए युवकों को भी देखना चाहिए कि कैसे उनका इस्तेमाल किया जा रहा है। गरीबों के बच्चों को ढाल बनाया जा रहा है। आतंकी हमलों में हमारे पुलिसकर्मी, सेना और अन्य बलों के जवान शहादत देकर भी आतंकवाद का मुकाबला कर रहे हैं। भारतीय सेना और सुरक्षा बलों ने अभियान चलाकर आतंकवादियों का मनोबल तोड़ दिया है। संपादकीय :सिद्धू की 'कामेडी' में पंजाब!एक अक्टूबर को हम 18वें साल में प्रवेश कर रहे हैंएंजेला मर्केल की विदाईकन्हैया, मेवानी और सिद्धूपंजाब के नए मंत्रीकिसानों के भारत बन्द का सबबइस वर्ष कश्मीर में अब तक 110 से ज्यादा आतंकी मारे जा चुके हैं। हाल ही में 6 आतंकवादियों को पकड़ा गया था, उससे एक और पाक परस्त साजिश बेनकाब हुई। देश के कुछ बड़े और प्रमुख शहर दहलने से बच गए। बहरहाल अफगानिस्तान में तालिबान की हकूमत आने के बाद पूरी दुनिया ने आतंकी हरकतें और साजिशें बढ़ने की आशंका व्यक्त कर दी है। बीते कुछ दिनों में कश्मीर घाटी की बजाय जम्मू सम्भाग में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ी हैं। समस्या यह है कि आतंकवाद पर कोई साझा, सामूहिक और संगठनात्मक कार्रवाई आज तक नहीं की जा सकी। क्या इसका जवाब यूएनओ देगा। क्या कुछ देशों की वीटो पावर शेष दुनिया से भी महत्वपूर्ण और ताकतवर हो सकती है। क्या वीटो पावर को नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में बड़े प्रखर अंदाज में आतंकवाद पर अपना पक्ष रखा है। केवल यूएनओ का आतंकवाद पर चिंता प्रकट करना ही काफी नहीं बल्कि आतंकवाद की सर्वसम्मत परिभाषा तैयार करने की जरूरत है। अमेरिका और अन्य देशों को पाकिस्तान की आर्थिक नाकेबंदी करके उसकी कमर तोड़नी चाहिए। पाकिस्तान खुद घुटनों के बल आ खड़ा होगा। भारत तो आतंकवाद का डट कर सामना कर ही रहा है।