यह घोंघा समाज

किसी भोगवादी समाज की एक विशेषता यह भी होती है कि वह अपने या दूसरों के भविष्य की सारी फिक्र छोड़ कर केवल अपने वर्तमान को अधिक से अधिक आनंददायक बनाने की चेष्टा में जुट जाता है।

Update: 2022-06-07 04:51 GMT

सदाशिव श्रोत्रिय; किसी भोगवादी समाज की एक विशेषता यह भी होती है कि वह अपने या दूसरों के भविष्य की सारी फिक्र छोड़ कर केवल अपने वर्तमान को अधिक से अधिक आनंददायक बनाने की चेष्टा में जुट जाता है। पर जो लोग केवल अपने लिए नहीं जीना चाहते, दूसरों के कल्याण में अपना कल्याण देखते हैं और जो अपनी मौज-मस्ती के लिए अपने बाद वाली पीढ़ियों को संकट में डाल देने को अनैतिक मानते हैं, वे कभी भविष्य की चिंता किए बिना नहीं रहते। जिन्हें समूची मानवता से प्रेम है और जो उसे निरंतर विकसित होते देखना चाहते हैं, वे कदापि अपनी दृष्टि को केवल वर्तमान तक सीमित नहीं रख सकते। अगर ऐसे लोग इस दुनिया में न होते तो हम आज तक ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में वह प्रगति नहीं कर पाते, जो हमने की है।

भोगवाद की व्यापकता पिछले कुछ समय में इतनी बढ़ी है कि उसके कारण व्यक्ति अधिकाधिक आत्मकेंद्रित होता चला गया है और उसने अपने निकटस्थ लोगों तक की चिंता करना छोड़ दिया है। औद्योगीकरण, मुनाफाखोरी और भ्रष्टाचार ने कुछ लोगों की आय को इतना बढ़ा दिया है कि वे उसे खर्च करने के एक से एक नए तरीके खोजने में लगे रहते हैं। अभी-अभी कुछ अमीरों ने अंतरिक्ष यात्रा को अपना नया लक्ष्य बनाया है, जबकि इस दुनिया के बहुत से लोग आज भी घोर अभाव और बेरोजगारी का जीवन जीने को अभिशप्त हैं।

हमारे अधिकतर समकालीनों को जैसे इस बात की कोई चिंता ही नहीं है कि भविष्य में उनकी स्वयं की संतति के लिए यह पृथ्वी जीने योग्य भी रह पाएगी या नहीं। औद्योगिक उत्पादन द्वारा होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए आए दिन एक से एक नए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन होते हैं, पर उन्नत देशों का सत्ता और संपत्ति का लालच इस कदर बढ़ा हुआ है कि उन तमाम सम्मेलनों और अनेकानेक गोष्ठियों के बावजूद धरती का तापमान बढ़ता जा रहा है, ग्लेशियर पिघल रहे हैं, दिल्ली जैसे शहरों के लोग कई बार वायु-प्रदूषण के कारण अपने बच्चों को घर से बाहर भेज सकने की स्थिति में नहीं रहते। फिर भी हमारे देश में कारों का उत्पादन और क्रय-विक्रय कई उन्नत देशों की तुलना में अधिक हो रहा है।


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