टी20 विश्व कप : क्रिकेट एक खेल है, युद्ध नहीं
जिनमें शमी की गेंदबाजी के कारण भारतीय टीम ने जीत हासिल की।
आज टी 20 विश्व कप का समापन हो जाएगा और पता चल जाएगा कि इसका विजेता कौन है। भारत तो नहीं ही होगा। शुरुआती दो मैचों में पाकिस्तान और न्यूजीलैंड ने भारत को पराजित कर तगड़े झटके दिए थे। पहले मैच में पाकिस्तान ने भारत को दस विकेट से पराजित किया। इसके अगले मैच में न्यूजीलैंड ने भारत को आठ विकेट से पराजित किया।
पाकिस्तान, किसी अन्य क्रिकेट खेलने वाले देश की तरह ही एक काबिल प्रतिद्वंद्वी है। हालांकि पाकिस्तान जब भारत के साथ खेलता है, तो इसे दो कट्टर दुश्मनों के बीच होने वाले युद्ध की तरह देखा जाता है। मुझे लगता है कि यह केवल क्रिकेट प्रतिद्वंद्विता नहीं है, जो हजारों भारतीयों और पाकिस्तानियों को इस तरह का शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाने के लिए प्रेरित करती है, जबकि यह सिर्फ एक खेल है।
बदल गया खेल
एक समय था, जब भारत में क्रिकेट एक शहरी और व्यापक रूप से मध्य वर्ग का खेल था। खिलाड़ियों की प्रशंसा की जाती थी, मूर्तिपूजा नहीं। अपनी निजी जिंदगी में खिलाड़ी सामान्य कामकाज करते थे; विवाह के बाद उनकी पत्नियां स्वतः ही सेलिब्रेटी नहीं बन जाती थीं। खिलाड़ियों को कम राशि का भुगतान किया जाता था; उन्होंने क्रिकेट खेलकर और उत्पादों का प्रचार करके पैसा नहीं कमाया। (लगातार मेडन ओवर फेंकने वाले बाएं हाथ के धीमी गति के गेंदबाज बापू नाडकर्णी ने खुलासा किया था कि वह बॉम्बे (अब मुंबई) में ब्रेबोर्न स्टेडियम तक उपनगरीय ट्रेन से जाते थे और उन्हें भारत की ओर से एक टेस्ट मैच में खेलने के लिए पचास रुपये का भुगतान किया गया!)
खेल इतना बदल गया है कि पहचानना मुश्किल है। वर्षों तक खेल का एक ही संस्करण था, पांच दिन वाला टेस्ट मैच- यह धीमा था, अक्सर उबाऊ होता था और तय नहीं था कि कोई नतीजा निकलेगा भी। बदलाव आया पचास ओवरों वाले एक दिवसीय मैचों से जिन्हें वन डे इंटरनेशनल (ओडीआई) कहा गया। इसमें ड्रॉ का सवाल ही नहीं था, क्योंकि मैच ने हमेशा किसी एक को 'विजेता' बनाया। किसी मैच का टाई होना दुर्लभ था और फिर टाई-ब्रेकर से विजेता का फैसला होने लगा। बीस ओवरों के संस्करण के आने के बाद खेल में और नाटकीय बदलाव आए। कोई नहीं जानता कि अगला बदलाव क्या होगा, लेकिन निश्चित रूप से दर्शकों को उत्तेजित करने के इरादे से होगा। यदि मैं अनुमान लगाऊं, तो यह तीन दिनों का टेस्ट मैच होगा, जिसमें प्रत्येक पक्ष को पचास ओवर और दो पारियां मिलेंगी!
और अधिक देश क्रिकेट खेल रहे हैं और तुच्छ से ताकतवर होकर ऐसी टीम में बदल जा रहे हैं, जो किसी को भी पराजित कर सकती है। अफगानिस्तान इसकी एक मिसाल है, जिसने विश्व कप के पांच मैचों में से दो में जीत हासिल की। अजीब इत्तफाक यह है कि टी20 विश्व कप में हिस्सा लेने वाले सभी 12 देश अंग्रेजी बोलने वाले देश हैं, हालांकि मुझे लगता है कि खिलाड़ी आपस में हिंदी, उर्दू, बांग्ला, सिंहला, पर्सियन, पश्तो, अफ्रीकान्स या ओशिवाम्बो में बात करते हैं। जब कभी इस खेल का विस्तार गैर अंग्रेजी बोलने वाले देशों- खासतौर से यूरोप और दक्षिण अमेरिका- में होगा, यह सही अर्थों में फुटबॉल या टेनिस की तरह अंतरराष्ट्रीय खेल बन जाएगा।
भावनाओं का ज्वार
यह बेहद चिंता की बात है कि भारत और पाकिस्तान के प्रशंसक क्रिकेट के मैदान में एक दूसरे को प्रतिद्वंद्वी समझने के बजाय एक दूसरे के साथ शत्रुओं जैसा व्यवहार करें। इन दो देशों के खिलाड़ियों द्वारा खेले जाने वाले किसी अन्य खेल में ऐसी शत्रुता नहीं दिखती। ओलंपिक में भाला फेंक के चैंपियन नीरज चोपड़ा ने पाकिस्तान के अरशद नदीम को पराजित किया, लेकिन पाकिस्तानी प्रशंसकों ने गुस्से और घृणा का इजहार नहीं किया। मुझे लगता है कि यदि नतीजा उलटा होता, तब भी भारत में ऐसा ही शांत माहौल होता।
क्रिकेट में ऐसा क्या है, जिसके कारण भारत और पाकिस्तान के अन्यथा जानकार प्रशंसक अपनी ऐसी भावनाएं व्यक्त करने लगते हैं? कुछ लोग सोचते हैं कि इसका संबंध दोनों देशों के बीच लड़े गए युद्धों, सीमा पार आतंकवादी गतिविधियों और राजनीतिक बयानबाजी से है। लेकिन दोनों देशों के खिलाड़ी तो एक दूसरे के खिलाफ हॉकी या मुक्केबाजी या कुश्ती का मुकाबला भी तो करते हैं और उनके प्रशंसक उग्र सैनिकों में तो नहीं बदलते।
जो अधिक दर्दनाक है, वह यह कि आपसी दुश्मनी ने क्रूर मोड़ ले लिया और व्यक्तिगत खिलाड़ियों को लक्षित किया गया। भारत के पाकिस्तान से हारने के बाद मोहम्मद शमी को गालियां दी गईं और निशाना बनाया गया। स्पष्ट और निर्विवाद कारण यह था कि शमी एक मुस्लिम हैं। अघोषित आरोप था कि 'उन्होंने भारत के साथ ऐसा किया'। इससे अधिक हास्यास्पद आरोप कुछ और नहीं हो सकता। गाली देने वाले उन मैचों की संख्या भूल गए, जिनमें शमी की गेंदबाजी के कारण भारतीय टीम ने जीत हासिल की।