महापंचायत के संकेत
यह किसान संगठनों को भी सोचना होगा। हठधर्मिता किसी समस्या का हल नहीं होती।
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में रविवार को महापंचायत कर किसान नेताओं ने एक बार फिर अपनी ताकत दिखा दी है। पिछले कुछ समय से कहा जा रहा था कि किसान आंदोलन अब खत्म-सा हो चला है और केवल कुछ किसान नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए रास्ते रोक कर बैठे हैं। पर मुजफ्फरनगर में जुटे लाखों किसानों ने इस तरह की बातों को गलत साबित कर दिया। महापंचायत में सिर्फ उत्तर प्रदेश और हरियाणा ही नहीं, बल्कि पंजाब, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक सहित देश के ज्यादातर राज्यों से किसान पहुंचे। इससे एक बात तो स्पष्ट है कि विवादास्पद नए कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर किसान एकजुट हैं। साथ ही, इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के रुख को लेकर किसानों के भीतर गहरी नाराजगी कायम है। वरना महापंचायत में इतनी भीड़ जुटा पाना किसान संगठनों के लिए भी आसान नहीं होता। ऐसा भी नहीं कि किसी महापंचायत में पहली बार इतने किसान शामिल हुए हों। किसान आंदोलन शुरू होने के बाद दूसरे राज्यों में जब-जब महापंचायतें हुई हैं, वे भी किसानों की ताकत का अहसास करवाती रही हैं। किसानों ने 27 सितंबर को भारत बंद का एलान किया है। उनके इस कदम को अब सरकार पर सिर्फ दबाव बनाने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। मुजफ्फरनगर की महापंचायत में जो रणनीति बनी है, उसके दूरगामी संदेश हैं।