Russia Ukraine War: अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के निशाने पर रूस
अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के निशाने पर रूस
प्रियंवदा सहाय.
"अहिंसा मानव जाति की सबसे बड़ी शक्ति है। यह मनुष्य की सरलता से तैयार किए गए विनाश के सबसे शक्तिशाली हथियार से भीअधिक शक्तिशाली है।"
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के इस कथन के साथ Louis Coucke, (सीएफओ-कंट्री कंट्रोलर इंडिया, एचएनएम) ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच कंपनी के नीतिगत फैसले की जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि अंतर्राष्ट्रीय क्लॉथिंग रिटेल कंपनी एचएनएम ने रूस में अपनी बिक्री को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है।
एचएनएम के रूस में 150 से अधिक स्टोर्स हैं। जो कि अब अनिश्चित काल के लिए बंद हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी रूसी आक्रमण के शिकार सभी लोगों से सच्ची सहानुभूति रखती है। इसलिए कंपनी ने वहां तत्काल प्रभाव से कारोबार पर रोक लगाने का फैसला किया है।
हालांकि कंपनी ने अपने कर्मचारियों और ग्राहकों की सुरक्षा कहा हवाला देते हुए यूक्रेन में भी अपने कारोबार पर अस्थाई रूप से रोक दी है। उन्होंने कहा है कि एचएनएम लगातार वस्तुस्थिति की समीक्षा कर रही है और दोनों देशों में अपने प्रतिनिधियों व साझेदारों से भी संपर्क में है। इस मुश्किल घड़ी में यूक्रेन में मोटी रकम दान करने के साथ कपड़े और दूसरी जरूरी चीजें भी वहां मुहैया कराई जा रही हैं।
हालांकि एचएनएम पहली स्वीडिश कंपनी नहीं है जिसने रूस से अपने कारोबार को फ़िलहाल बंद कर दिया है बल्कि तमाम बड़ी स्वीडिश कंपनियों ने एकजुट होकर रूस से कारोबार को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है। इस क्रम में IKEA, Spotify, Volvo, Ericsson समेत कई दूसरे नाम भी जुड़ते जा रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के निशाने पर रूस, दर्जनों कंपनियों ने रूस में कारोबार पर रोक लगाई
कल आईकिया ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा-
यूक्रेन पर हमला दुखद है। इससे लाखों आम आदमी प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो चुके हैं। इसलिए कंपनी रूस में अपने कारोबार को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर रही है। लेकिन कंपनी को अपने कर्मचारियों और उनके परिजनों की चिंता है इसलिए कंपनी उनकी सहायता कर रही है और आगे भी सहायता जारी रखेगी। युद्ध की वजह से पहले ही काफी क्षति हो चुकी है। कंपनी की सप्लाई चेन व्यवस्था और व्यापार बाधित हुआ है। इसलिए कंपनी को अस्थाई तौर पर अपने परिचालन पर रोक लगाना पड़ रहा है।
इस फैसले का क्या होगा प्रभाव?
कंपनी के इस निर्णय से अब रूस और बेलारूस में आयात-निर्यात पर रोक लग चुका है। आपको बता दूं कि आईक्या (रूस) में 15 हजार से ज्यादा कर्मचारी हैं। कंपनी ने कहा है कि इन कर्मचारियों व उनके परिजनों की हर संभव सहायता की जाएगी। लेकिन लंबे समय तक युद्ध चला तो कर्मचारियों के भविष्य पर तलवार लटक सकती है।
आईकिया ने साल 2000 में यहां कारोबार शुरू किया था। कंपनी की मजबूत पैठ रूसी बाजार में होने की वजह से यह सर्वाधिक रोजगार मुहैया कराने वाली कंपनी भी बन चुकी है। कंपनी ने पिछले वित्त वर्ष में रूस में करीब 1.6 बिलियन यूरो का कारोबार किया था। रूस में आईकिया के बंद होने का अर्थव्यवस्था पर असर अब आप आसानी से समझ सकते हैं।
फिलहाल कंपनी तमाम एनजीओ के साथ मिलकर यूक्रेन में आपातकाल सेवाएं मुहैया करा रही है। यूक्रेन की सहायता के लिए अब तक 20 मिलियन यूरो का दान भी कर चुकी है। कंपनी का कहना है कि यूक्रेन में हालात काफी गंभीर है और घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं। इसलिए कंपनी की प्राथमिकता उसपर नजर रखते हुए हर संभव मदद पहुंचाना है।
कंपनी का कहना है कि यूक्रेन में हालात काफी गंभीर है और घटनाक्रम तेजी से बदल रहे हैं।
बता दें अब तक स्वीडन समेत दुनिया के तमाम देशों की बड़ी कंपनियां रूस से कारोबार पर रोक लगा चुकी हैं। इसमें M&S, Apple, Microsoft, Google, Dell, HP, Intel, Oracle, Boeing, Airbus, Airbnb, Shell, BP, Jaguar Land Rover, General Motors, Expedia, Coca- Cola, Volkswagen, Nike, Adidas, Burberry जैसे दिग्गज नाम शामिल हैं। M&S के कामकाज पर रोक लगने से रूस में 1200 कर्मचारी प्रभावित हुए हैं।
वहीं ब्रिटिश ऑनलाइन रिटेलर बोहों भी रूस में बंद हो चुकी है। स्पैनिश फैशन रिटेलर मैंगो भी रूस में अपने 120 स्टोर्स और ऑनलाइन कारोबार को बंद कर चुकी है। नाइक और एडिडास ने भी अपने कारोबार पर रोक लगा दिया है। जबकि एडिडास ने तो रशियन फुटबॉल यूनियन से भी अपनी सांझेदारी तोड़ दी है।
कार निर्माता कंपनी फोर्ड, जगुआर लैंड रोवर, जनरल मोटर्स और रेनॉल्ट ने भी रूस के साथ संयुक्त कारोबार पर फिलहाल रोक लगा दिया है। वॉल्ट डिज्नी, सोनी और वार्नर ब्रस में रूस में नई फिल्मों के रिलीज पर रोक लगा दी है। वहीं अंतर्राष्ट्रीय मनी ट्रांसफर पर रोक लग चुकी है। बैंकिंगव्यवस्था चरमरा चुकी है।
उम्मीद है कि आने वाले दिनों में रूस से कारोबार पर रोक लगाने वाली कंपनियों की तादाद और बढ़ेगी। युद्ध में भले ही रूस की जीत होया उसका पलड़ा भारी रहे लेकिन वहां की अर्थव्यवस्था पटरी से फिसल चुकी है। जिसे फिर से पटरी पर लाने में सालों की मेहनत लगेगी।
भारी तादाद में बड़ी कंपनियों के कारोबार ठप्प होने का सीधा असर युवाओं पर पड़ रहा है। वो यह समझ नहीं पा रहे कि रूसी सरकार ने युद्ध का बिगुल फूंकने से पहले उनकी परवाह क्यों नहीं की। वे सोशल मीडिया के जरिए अपनी नाराजगी बयां कर रहे हैं।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए जनता से रिश्ता उत्तरदायी नहीं है।