सही सलाह से तौबा!

सम्पादकीय न्यूज

Update: 2022-07-21 05:36 GMT
By NI Editorial
युद्ध में बाजी यूक्रेन के हाथ से निकलती जा रही है। इसलिए अब ऐसे अधिकारियों की संख्या बढ़ रही है, जो बातचीत आगे बढ़ाने का पक्ष ले रहे हैँ। जेलेन्स्की इसे देशद्रोह समझ रहे हैँ।
क्या यूक्रेन के राष्ट्रपति सही सलाह देने वाले अपने सहयोगियों को ही देश द्रोही बता रहे हैं? यह मानने की वजह लगातार ठोस रूप ले रही है। इसलिए कि हाल में उन्होंने उन लोगों पर देश द्रोह का मुकदमा दर्ज करवा दिया है, जो हाल तक उनके साथी रहे। इसीलिए आलोचकों के एक हिस्से की यह राय बनी है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति ऐसे तमाम लोगों पर रूस से मिल जाने का शक करने लगे हैं, जो उन्हें बातचीत से समाधान की निकालने सलाह दे रहे हैं। समझा जाता है कि युद्ध की बाजी यूक्रेन के हाथ से निकलती देख अब ऐसे अधिकारियों की संख्या बढ़ रही है, जो बातचीत आगे बढ़ाने का पक्ष ले रहे हैँ। जेलेन्स्की ने पहले पांच देशों में नियुक्त अपने राजदूतों को हटा दिया। फिर उन्होंने अपनी सरकार के दो महत्त्वपूर्ण पदाधिकारियों को उनके पद से हटा दिया। राजदूतों की तरह ही इन पदाधिकारियों पर भी रूस से मिलीभगत करने का आरोप लगाया गया है। ये दो अधिकारी महाभियोजक इरीना वेनेदिकतोवा और स्टेट सिक्युरिटी सर्विस के प्रमुख इवान बाकानोव हैं।
ये दोनों लंबी अवधि तक जेलेन्स्की के सहयोगी रहे। लेकिन अब जेलेन्स्की ने उन पर देश द्रोह का आरोप लगा दिया है। यह एलान करते हुए एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा कि उनके प्रशासन में कई विभागों के अधिकारियों पर भी देश द्रोह में शामिल होने का शक है। अब तक देश द्रोह और दुश्मन से मिलीभगत के आरोप में 651 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैँ। जिन अधिकारियो के खिलाफ ये केस दर्ज हुए हैं, उनका संबंध अभियोजक कार्यालय, जांच एजेंसियों, और कानून लागू करने वाली दूसरी एजेंसियों से रहा है। मगर ये सवाल उठेगा कि अगर जेलेन्स्की की सरकार में ऊंचे पदों पर तैनात अधिकारी रूस से मिलीभगत कर रहे हैं, तो क्या इसे जेलेन्स्की की एक बड़ी नाकामी ही नहीं माना जाना चाहिए? ऐसा रवैया संभवतः घबराहट को जाहिर करता है। प्रश्न यह है कि क्या जेलेन्स्की ने अपनी ताकत को बढ़ा-चढ़ा कर देखा और अब कड़वी हकीकत को स्वीकार करना उनके लिए मुश्किल हो रहा है? ये हकीकत यह है कि युद्ध में बाजी यूक्रेन के हाथ से निकलती जा रही है।
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