रेणुकाजी डैम यानी एक और विस्थापन
विगत छह दशकों से हिमाचल के हजारों परिवार भाखड़ा, पौंग बांध व कोल डैम परियोजनाओं से विस्थापन का दंश झेलने को मजबूर हैं
विगत छह दशकों से हिमाचल के हजारों परिवार भाखड़ा, पौंग बांध व कोल डैम परियोजनाओं से विस्थापन का दंश झेलने को मजबूर हैं। अब सिरमौर जिले में श्री रेणुकाजी तीर्थ स्थल के समीप गिरि नदी पर विशाल डैम बनने जा रहा है जिसका शिलान्यास 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री ने किया। करीब चार दशकों से विवादों में रही यह परियोजना भी विस्थापन का दर्द लेकर आ रही है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य दिल्ली के दो करोड़ बाशिंदों को पेयजल उपलब्ध कराना है ताकि राजधानी की प्यास बुझ सके। रेणुकाजी डैम के पानी के वे छह राज्य भी हकदार होंगे जिन्होंने इस परियोजना से मिलने वाले पानी को सिंचाई परियोजनाओं के लिए इस्तेमाल करने के लिए पानी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इस डैम से दिल्ली को 23 क्यूसेक्स पानी मिलेगा। कुल 7,600 करोड़ रुपए की लागत से तैयार होने वाली इस परियोजना की 90 प्रतिशत इक्विटी भारत सरकार की है और शेष 10 प्रतिशत लागत सभी राज्यों को वहन करनी होगी। ये राज्य हैं दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश व राज्यस्थान। रेणुकाजी डैम की ज़द में संगड़ाह जनपद के उप गांवों के 2500 परिवार प्रभावित होंगे 14 साल से तो 148 मीटर ऊंचाई के बांध से 40 मैगावाट बिजली पैदा होगी। अब तक हिमाचल सरकार इस परियोजना से विस्थापित होने वाले परिवारों को मुआवजे के रूप में करीब 400 करोड़ रुपए वितरित कर चुकी है, लेकिन राहत व पुनर्वास योजना के तहत बेघर होने वाले परिवारों के लिए नए घर बनाकर देना, कॉलोनी बनाना और ज़मीन देना कुछ ऐसी शर्तें हैं जिन पर अभी तक कोई कार्रवाई आरंभ नहीं हुई है। श्री रेणुकाजी बांध जनसंघर्ष समिति 2007 से पुनर्वास के लिए आंदोलन कर रही है। समिति का मत है कि डैम तो अगले 6 साल में बनकर तैयार होगा, लेकिन वे गत 14 साल से अनेक समस्याओं से जूझ रहे हैं जिनका निवारण करने में हिमाचल सरकार विफल रही है।