तरक्की का सिलसिला

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Update: 2022-06-11 14:28 GMT

नई दिल्ली: जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने पिछले कुछ सालों में जिस तेजी से तरक्की की है, भारत के लिए वह कम बड़ी उपलब्धि नहीं है। आठ साल के भीतर यह क्षेत्र आठ गुना बढ़ गया। यह इस बात का संकेत है कि आने वाले वक्त में देश की अर्थव्यवस्था में जैव प्रौद्योगिकी और इससे सृजित होने वाली जैव अर्थव्यवस्था की भूमिका बढ़ती जाएगी। इसीलिए प्रधानमंत्री ने गुरुवार को दिल्ली में बायोटेक र्स्टाटअप एक्सपो के उद्घाटन के मौके पर इसे विकास का बड़ा जरिया बताया।

गौरतलब है कि आठ साल पहले देश की अर्थव्यवस्था में जैव अर्थव्यवस्था की भागीदारी सिर्फ दस अरब डालर की थी, जो अब अस्सी अरब डालर से भी ऊपर निकल चुकी है। भारत के लिए यह सुखद संकेत इसलिए भी है कि अब हम दुनिया के उन देशों में शुमार हो सकेंगे जो जैव प्रौद्योगिकी में पहले से परचम लहरा रहे हैं।
हालांकि भारत को इस दिशा में अभी काफी काम करना है, पर जैव अर्थव्यवस्था में वृद्धि की रफ्तार से यह तो सुनिश्चित हुआ ही है कि हमारे यहां प्रतिभाओं की कमी नहीं है। हम इस क्षेत्र में आगे निकलने के लिए वे सारी योग्यताएं रखते हैं और उन मानदंडों पर खरे उतरते हैं जो वैश्विक कारोबार के लिए जरूरी हैं।
देखा जाए तो जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र भारत के लिए ज्यादा पुराना नहीं है। लेकिन कुछ ही सालों में इस क्षेत्र का जिस तेजी से विस्तार हुआ है, वह इसके भविष्य की संभावनाओं को रेखांकित करने के लिए पर्याप्त है। आज तमाम दवा कंपनियां, चिकित्सा उपकरण बनाने वाली कंपनियां, टीका निर्माता कंपनियां आदि सब जैव प्रौद्योगिकी के विकास की बदौलत ही कामयाबी के शिखर पर हैं।
इतना ही नहीं, कृषि क्षेत्र की सूरत बदलने, बीजों के विकास से लेकर खेती के तौर-तरीकों में बदलाव जैव प्रौद्योगिकी की ही करामात है। पिछले दो सालों में कोरोना महामारी के दौरान दुनिया ने यह देखा है कि टीकों के विकास में इस क्षेत्र ने कितना बड़ा योगदान दिया।
अगर आज जैव प्रौद्योगिकी का इतना विकास नहीं हुआ होता तो क्या यह संभव हो पाता कि कुछ ही महीनों में कोरोना से बचाव के टीके विकसित कर लिए जाते? बल्कि जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र के विकास और इसमें मौजूद अपार क्षमताओं की वजह से ही आज भारत उन कुछ देशों की कतार में खड़ा है जिन्होंने दुनिया को कोरोना से बचाव के टीके मुहैया करवाए।
भारत में जैव प्रौद्योगिकी उद्योग की बढ़ती रफ्तार इसके फैलते बाजार का भी संकेत है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि अगले दस सालों में देश में मरीजों की संख्या में बीस फीसद की वृद्धि का अनुमान है। जाहिर है, स्वास्थ्य क्षेत्र के समक्ष चुनौतियां लगातार बढ़ेंगी। दवाओं और चिकित्सा सामग्री की मांग और खपत में इजाफा होगा। ऐसे में जैव प्रौद्योगिकी उद्योगों को बढ़ावा दिए बिना इस चुनौती से निपटना संभव नहीं होगा। गौरतलब है कि देश में जैव प्रौद्योगिकी से संबंधित सत्ताईस सौ से अधिक नवोन्मेषी कंपनियां काम कर रही है।
ढाई हजार से ज्यादा कंपनियां पहले से हैं। सरकार ने आठ राज्यों में जैव प्रौद्योगिकी पार्क बनाने की दिशा में भी काम तेज कर दिया है। नए उद्यमों के लिए प्रोत्साहन की नीति पर आगे बढ़ा जा रहा है। इससे बड़ी संख्या में रोजगार भी पैदा होंगे ही। इसमें कोई संदेह नहीं कि विकास की उदार विकास नीतियों से ही ऐसे काम संभव हो पाते हैं। कम से कम जैव प्रौद्योगिकी के मामले में तो भारत ने यह करके भी दिखाया है।तरक्की का सिलसिला

न्यूज़ सोर्स- जनसत्ता

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