धान का मान

लगातार धैर्य खोते और हरियाणा-पंजाब में मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों-विधायकों के घरों का घेराव कर रहे किसानों को आखिर हरियाणा सरकार ने मना ही लिया

Update: 2021-10-04 10:29 GMT

लगातार धैर्य खोते और हरियाणा-पंजाब में मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों-विधायकों के घरों का घेराव कर रहे किसानों को आखिर हरियाणा सरकार ने मना ही लिया। दरअसल, किसान धान की फसल की खरीद की मांग कर रहे थे। वहीं खरीद एजेंसियों का तर्क था कि देर तक चले मानसून की वजह से धान की उपज में नमी अधिक है, इसलिये जब नमी कम हो जायेगी तो खरीद शुरू कर देंगे। दरअसल, केंद्र के कृषि सुधारों के खिलाफ पिछले एक साल से आंदोलनरत किसान आजकल आंदोलन मिजाज में हैं और राज्य सरकारों पर दबाव बनाने का कोई मौका नहीं चूकते। उल्लेखनीय है कि धान खरीद एजेंसियों ने पहले 25 सितंबर, फिर एक अक्तूबर और अंत में ग्यारह अक्तूबर से धान की खरीद करने की घोषणा की थी, जिसके चलते आक्रोशित किसान आंदोलन की मुद्रा में आ गये। किसानों की दलील थी कि फसलें पहले पक चुकी हैं, ऊपर से बारिश हो रही है, कुछ किसान मंडियों में धान लेकर पहले ही पहुंच चुके हैं। बारिश के कारण धान खेत और मंडियों में खराब हो रहा है। इसलिये तुरंत धान की खरीद शुरू की जाये। इस मुद्दे पर आंदोलन को देखते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और हरियाणा भाजपा अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने त्वरित सक्रियता दिखाते हुए केंद्र सरकार से संपर्क साधा। खट्टर केंद्रीय खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्री अश्वनी कुमार चौबे से दिल्ली जा कर अपने कृषि मंत्री जे.पी. दलाल व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के साथ मिले और उन्हें किसानों की समस्या बतायी। केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री के आग्रह के बाद हरियाणा में रविवार से धान की खरीद को हरी झंडी दिखा दी।


इसके साथ ही पंजाब में भी तीन अक्तूबर से धान की खरीद का फैसला लिया गया। बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पिछले दिनों मिलने गये पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने भी धान की खरीद जल्दी शुरू करने की मांग की थी। वहीं पंजाब में भी किसान इस मुद्दे पर आंदोलनरत थे और उपमुख्यमंत्री व कुछ मंत्रियों के घरों का घेराव कर चुके थे। हरियाणा के मुख्यमंत्री की पहल के बाद धान खरीद की घोषणा होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चे ने प्रदर्शन वापस लेने की घोषणा कर दी। दरअसल, भारतीय खाद्य निगम ने इस आधार पर दस दिन धान की खरीद स्थगित करने का फैसला लिया था कि हरियाणा-पंजाब सहित उत्तर भारत के कई राज्यों में अधिक वर्षा के कारण धान में नमी की मात्रा अधिक होगी। निगम का यह भी तर्क था कि देर तक चली बारिश के कारण धान पकने में देरी हुई है। अत: पहले किसान धान मंडियों में सुखा लें, तब तक खरीद एजेंसियां अपनी मशीनरी तैयार कर लेंगी। वहीं किसान नमी के मानकों में छूट देने की बात भी कर रहे थे। अब तक एफसीआई धान की खरीद में 17 फीसदी तक की नमी स्वीकार करता रहा है। फिलहाल केंद्रीय खाद्य राज्यमंत्री ने धान की खरीद पुराने मानदंड पर सुनिश्चित करने को कहा है। किसान प्रति एकड़ धान की उपज की खरीद बढ़ाने की भी मांग कर रहे हैं।


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