राष्ट्रीय पक्षी मोर: भारतीय समाज और संस्कृति में एक अलग स्थान रखने वाला पक्षी

हमारे राष्ट्रीय पक्षी मोर का नाचना वर्षा ऋतु का पर्याय हो चुका है। पंचतंत्र से लेकर पौराणिक कथाओं तक, मोर का वर्णन हर जगह है

Update: 2021-09-02 07:38 GMT

गौरी अवस्थी। हमारे राष्ट्रीय पक्षी मोर का नाचना वर्षा ऋतु का पर्याय हो चुका है। पंचतंत्र से लेकर पौराणिक कथाओं तक, मोर का वर्णन हर जगह है। मोर के पंखों का गाढ़ा नीला और हरा रंग इस पक्षी की प्रशंसा का केंद्रीय कारण बन गया है। सुंदर पंखों वाला मोर, जो कि अपनी प्रजाति का नर है, अक्सर मादा समझ लिया जाता है। दरअसल, कई वैज्ञानिक जानते और समझते हैं कि यह आकर्षित कृति इस पक्षी को मेट करने में अधिक मदद करती है, मगर हर कोई यह सिद्धि नहीं मानता।

क्यों खास है मोर? कैसे बना राष्ट्रीय पक्षी?
मोर के पंख 5-6 फीट तक लंबे हो सकते हैं। उन पर आंखों के आकार के समान डिजाइन होता है जो अक्सर नीले, लाल और सुनहरे रंगों में पाया जाता है। इन पंखों के इतने लंबे होने के बावजूद मोर थोड़ी दूरी तक उड़ सकते हैं। रात के समय वह अक्सर पेड़ों पर पाए जाते हैं और अपने खतरे के समय में यह रुचिर पंख उनके बहुत काम आते हैं।
सन् 1963 में मोर को राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा दिया गया था। इस सम्मान का कारण मोर की सुंदर आकृति तो थी ही, मगर उससे भी ज्यादा अनर्घ्य था उसका ऐतिहासिक और धार्मिक मूल्य। एक और कारण यह भी था कि मोर सम्पूर्ण भारतीय प्रायद्वीप पर पाया जाता है और इसके विभिन्न प्रकार की वजह से हर कोई उसे पहचान सकता है।
कई धर्मों में मोर का अधिक महत्व है। प्राचीन समय में ईसाई धर्म में मोर अमरता का प्रतिनिधित्व करता था। संस्कृत में मयूर नाम से जाना जाने वाला यह पक्षी, हिंदू भगवान कार्तिकेय, जो कि युद्ध के देवता माने जाते हैं, का वाहन है।
सन् 1963 में मोर को राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा दिया गया था। इस सम्मान का कारण मोर की सुंदर आकृति तो थी ही, मगर उससे भी ज्यादा अनर्घ्य था उसका ऐतिहासिक और धार्मिक मूल्य। - फोटो : Facebook/Prabhat Sharma
भारतीय संस्कृति में मोर का महत्व
हिंदुओं में कृष्ण भगवान भी मोर से संबंधित है। एक कथा के अनुसार, एक बार जब कृष्ण भगवान ने अपनी बांसुरी बजाई, सब मोर नाचने लगे फिर मोरों के राजा ने कृष्ण को धन्यवाद देते हुए यह मांग की कि वो उनका एक पंख सदैव पहन रखें, इसलिए कृष्ण भगवान की सब कृतियों तथा चित्रों में वह अपने सिर पर एक मोर का पंख जरूर पहने होते हैं। इस्लाम में भी मोर के पंखों को जन्नत से संबंधित किया जाता है। कई लोग कुरान में मोर के पंख और गुलाब की पंखुड़ियां रखते हैं।
मोर के बारे में कई कल्पित कथाएं भी प्रसिद्ध हैं। बहुत घरों में लोग आज भी मोर के पंख रखते हैं। मान्यता यह है कि यह पंख घरवालों के जीवन में सौभाग्य और समृद्धि की बौछार करता है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि मोर के पंख रखने से घर में कोई कीड़े मकोड़े नहीं आएंगे।
इतिहास में राजा-महाराजा भी अपने बगीचे में मोर पालते थे। हमारे राष्ट्रीय पक्षी का अद्वितीय रूप, मॉडर्न कांचीपुरम सिल्क साड़ियों से लेकर मेहंदी के डिजाइन में अक्सर देखा जाता है। यह सब मोर की लोकप्रियता का प्रमाण है।
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