राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दें देशवासी
उदाहरण कुरान के अन्दर मौजूद हैं
पप्पू फरिश्ता
पवित्र कुरान में जो मुसलमान गैर-मुस्लिम इलाकों, देशों में अपनी जिंदगी दूसरे धर्मों के लोगों के साथ अच्छे व्यवहार साथ अच्छे रहन-सहन के तरीकों के अलावा अच्छे एवं बातचीत के बारे मैं विस्तार से बताया गया है। इसके बारे में हम हमारे नबियों व सहाबाओ की जिन्दगियों से भी सीख ले सकते हैं। पहला उदाहरण कुरान के अन्दर मौजूद हैं, जिसमें मुसलमानों कि भी कुछ नैतिक जिम्मेदारी उस समाज के प्रति है, जो उन्हें रहने के लिए सुरक्षा, विश्वास, स्वतंत्रता और एक अच्छा जीवन जीने के लिए वातावरण उपलब्ध कराता है। वहीं मुसलमानों का भी यह फर्ज बनता है वो भी दूसरे धर्म के लोगों, अपने पड़ोसियों के साथ अच्छा व्यवहार करें, ऐसे किसी भी कामों में शामिल ना हो जिससे दूसरे धर्म को मानने वालों का विश्वास उन पर से उठ जाए या उनकी धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचे।
दूसरी बात यह है कि मुस्लिम समाज के प्रति कोई अन्याय या ज्यादती की घटना होती है तो उन्हे देश के कानून में विश्वास रखते हुए सही रास्ता अपनाना चाहिए। ऐसी घटनाओं के समय धर्म के नाम पर युवाओं को भड़काने वाले लोग ज्यादा होते हैं पर समाज के लोगों व युवाओं को धार्मिक भावना में बहने के बजाए देश की न्याय व्यवस्था पर भरोसा रखना चाहिए। अल्लाह ने इंसानों को सोचने व समझने की ताकत दी है, ताकि इंसानियत एवं पूरे मानव जाति के विकास एवं उत्थान के लिए अपनी दिमागी ताकत का सही इस्तेमाल कर सके। तीसरा एक सच्चे मुसलमान की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने बड़े बुजुर्गों का सम्मान करें, देश मैं स्थापित कानूनों का पालन करे, देश में स्थापित कानूनों का पालने करे और समाज के लिए एक बेहतरीन मिसाल बने।
उनकी जिम्मेदारी होती है कि किसी दूसरे धर्म के लोगों की भावनाओं को चोट पहुंचाए बिना शांतिपूर्ण तरीके से इस्लाम का प्रचार प्रसार करे। इस्लाम कहता है कि किसी भी प्रकार की हिंसा इस्लाम के खिलाफ है खुद हजरत मोहम्मद साहब ने कहां कि किसी भी इंसान को ये अधिकार नहीं कि वह दूसरे इंसान को बिना वजह दुख पहुंचाए। जैसा कि अल्लाह ने फरमाया जो शख्स किसी को दुःख पहुंचाएगा वह खुदा का अजाब झेलेगा और उनके गुनाहों की बढ़ोतरी बढ़ती जाएगी। जिसके कारण वे लोग साहब ने भी मक्का की जंग में गुनाहगारों इसी प्रकार भारत एक प्रभावित होकर इस्लाम में दाखिल हुए थे। आनिमाल देश है जहां विभिन्न प्रकाए के धर्म, रीति-रिवाज, लिए सभी धर्मों कै लोगी अस्तित्व की परम्परा रही है। देश के जब देश में धार्मिक सद्धावना कुर्बानिया दी है। भारत का सहीं विकास तभी संभव है कथित 3 लिजता, भईचारा, राष्ट्रप्रेम सभी धर्म के मानने वाले लोग इरता सभी के लिए नुकसानदायक है। इससे सिर्फ देश मैं नफरत का माहौल होगा। हिन्दू-मुस्लिम दोनों समुदायों को चाहिए कि जहर घोलने वाले लोगो का बहिष्कार करे तभी देश आगे बढ़ेगा, तरक्की करेगा और फिर से सोने की चिड़िया बनेगा।