Editorial: शौक का फंदा

Update: 2024-12-27 11:49 GMT
Vijay Garg: मनुष्य के जीवन को थोड़ा सुविधाजनक बनाने वाले तकनीकी यंत्रों ने आज लोगों की सोच को कैसे अपने नियंत्रण में ले लिया है, इसके उदाहरण हमें अपने आसपास बिखरे दिख जाएंगे। तकनीक से मिलने वाली सुविधाओं का लाभ उठाना बिल्कुल उचित है, लेकिन अपने जीवन और गतिविधियों को इसी से संचालित और इसी पर निर्भर बना लेना एक तरह से अपने ही जीवन से खिलवाड़ करना है। यों आधुनिक तकनीकी संसाधनों के लगातार हावी होते जाने का दायरा बहुत बड़ा है, लेकिन सिर्फ एक पहलू के रूप में स्मार्टफोन से सेल्फी लेने को ही विचार के केंद्र में रखा जाए तो इसके तमाम खमियाजे सामने आ रहे हैं। समूचे देश से पर्यटकों के सेल्फी लेते समय असमय ही काल के गाल में समाने की अक्सर आने वाली खबरें आम होती जा रही हैं। समय- समय पर ऐसे हादसे होते रहते हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि उनसे सबक न सीखना लोगों की आदत बन गई है कभी रेल से लटकते हुए तो कभी पटरियों पर या कभी तेज धार के साथ बहते पानी में सेल्फी ली जाती है। पहाड़ों में बहती नदी के बीच चट्टानों पर खड़े होकर भी तस्वीर उतारी जाती है, जबकि वहां कभी भी तेज रफ्तार से पानी आने का खतरा बना रहता है। पहाड़ियों पर चढ़ कर सेल्फी लेते हुए किसी के पांव फिसल जाते हैं और कई बार वह
जानलेवा साबित होता है।
यह खतरनाक प्रवृत्ति बढ़ती ही जा रही है। हाल ही में हिमाचल प्रदेश के लाहौल में घूमने आए राजस्थान का एक पर्यटक कोक्सर में फुम्मण नाला के पास सेल्फी लेते समय पैर फिसलने के बाद चंद्रा नदी में गिर गया और उसकी जान चली गई। उसके साथ तीन अन्य लोग हिमाचल में घूमने आए थे। इससे पहले हुई एक घटना में गुरुग्राम में भी सेल्फी लेते समय चार युवकों की दर्दनाक मौत हो गई थी। वे चलती रेलगाड़ी के सामने सेल्फी लेना चाहते थे कि बेमौत मारे गए। देश भर में इस तरह के हादसे लगातार हो रहे हैं। जरा सी असावधानी से सेल्फी लेने का शौक घातक सिद्ध हो रहा है ऐसे दर्दनाक हादसों से किसी भी संवेदनशील व्यक्ति की आत्मा सिहर उठती है तो यह स्वाभाविक ही है, क्योंकि यह सवाल उन्हें मथता है कि कुछ लोग जान-बूझकर मौत के आगोश में क्यों समा जाते रहे हैं! यह जानते हुए भी वे इतना जोखिम क्यों मोल लेते हैं कि छोटी सी चूक उनकी जान ले सकती है? महज इस तरह तस्वीर उतारने के शौक की वजह से एक समूचा परिवार तबाह हो जाता है।
इस तरह की घटनाएं जहां होती हैं, वहां कुछ लोग इसके गवाह बनते हैं। उनके लिए यह आंखों देखी त्रासदी से सबक लेने का मामला है। मगर इससे संबंधित छपने वाली खबरें भी अगर लोग ठीक से पढ़ें तो घटना को सचित्र रूप में महसूस कर सकते हैं और इससे सबक ले सकते हैं। इस जानलेवा शौक की त्रासदी न ही हो तो अच्छा है, लेकिन अगर इससे संबंधित खबर कहीं दिखती है, तो यह समाज के लिए एक प्रशिक्षण का सवाल होना चाहिए कि आखिर किसी व्यक्ति की नाहक जान गई है तो इसकी जड़ में क्या है, इसके लिए किसकी जिम्मेदारी है और इसके बाद उसे ऐसे मामले पर क्या सोचना और करना चाहिए। विडंबना यह है कि लोग ऐसी घटनाओं या इससे संबंधित खबरों को इस कदर निरपेक्ष तरीके से पढ़ते हैं और उपेक्षा कर देते हैं, मानो इसका उनके जीवन से कोई ताल्लुक न हो। मगर अफसोस यह है कि जब ऐसा हादसा खुद उनके साथ या उनके किसी परिजन के साथ होता है, तब उन्हें मजबूरन इसकी मारकता का अंदाजा होता है। हालांकि तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
यह समझना मुश्किल है कि आज के युवा सेल्फी लेते समय इतने विवेकशून्य कैसे हो जाते हैं कि वे खुद ही अपनी जान जोखिम में डाल लेते हैं और कई बार असमय ही बेमौत मारे जाते हैं। सही है कि लोगों को अपने स्तर पर इसके खमियाजे को महसूस करके इससे बचना चाहिए, लेकिन अगर यह प्रवृत्ति बेलगाम होती जा रही है, तो जरूरत है कि अब सरकार इसका संज्ञान ले और खतरनाक जगहों पर तस्वीर या सेल्फी लेने को लेकर एक सख्त नियम कायदा बनाए। विडंबना यह है कि किसी पर्यटक स्थल पर सेल्फी लेने की वजह से किसी की जान जाने की घटना हो जाती है और वह किसी वजह से तूल पकड़ लेती है, तब जाकर स्थानीय प्रशासन की नींद खुलती है और वह राहत या अन्य उपाय करने की बात करता है। सवाल है कि यह एक नियमित व्यवस्था क्यों नहीं होनी चाहिए कि किसी जोखिम वाली जगह पर लोगों को किसी भी हाल में सेल्फी लेने की छूट न हो । उदाहरण के लिए, मोटरसाइकिल की सवारी करने वाले के लिए हेलमेट इसलिए अनिवार्य है कि इससे उसकी जान की सुरक्षा होती है । ऐसा नहीं करने वाले पर जुर्माना लगाया जाता है।
जरूरत तो इस बात की है कि लोग तकनीक की सुविधाओं के संजाल के सम्मोहन में फंसने के बजाय अपनी संवेदना और सरोकारों को जिंदा रखें, उन्हें महसूस करें। आभासी दुनिया के मोहपाश से निकल कर वास्तविकता में अपना जीवन जीएं। मानवता इसी से बचेगी।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार स्ट्रीट कौर चंद एमएचआर मलोट पंजाब
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