पुरुष परिवार नियोजन

परिवार नियोजन पुरुषों के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है, क्योंकि उनके पास बचाव के विकल्प कम होते हैं

Update: 2022-03-28 11:03 GMT
परिवार नियोजन पुरुषों के लिए एक बड़ी चुनौती रहा है, क्योंकि उनके पास बचाव के विकल्प कम होते हैं। दशकों से एक ऐसे गर्भ निरोधक की खोज चल रही है, जो पुरुषों के लिए उपयुक्त हो। ऐसे में, यह किसी खुशखबरी से कम नहीं है कि अमेरिका में वैज्ञानिकों को पुरुषों के लिए गर्भ निरोधक गोली बनाने में कामयाबी मिल गई है और जल्दी ही इसका मानव परीक्षण शुरू हो जाएगा। इस गोली या दवा को 99 प्रतिशत कारगर बताया जा रहा है। चूहों पर किए गए प्रयोग में सफलता मिली है। सबसे बड़ी बात, इस दवा का कोई नकारात्मक प्रभाव सामने नहीं आया है। यह भी अनुकूल बात है कि यह गैर-हारमोनल दवा है। पहले के प्रयोगों में कुछ हारमोनल प्रयास हुए थे, जिन्हें सेहत के लिए प्रतिकूल माना गया था, तो वैज्ञानिकों ने शोध की दिशा बदल दी थी। इसमें कोई शक नहीं कि इस दवा की सफलता से अन्य गर्भ निरोधकों पर पड़ने वाले बोझ को संतुलित करने में मदद मिल सकती है।
यह बात गौर करने की है कि इस दवा का हर तरह से निरापद होना जरूरी है, क्योंकि यह किसी बीमारी की दवा नहीं है। बीमारी की दवा के मामले में लोग यह मानकर चलते हैं कि किसी बडे़ दर्द से मुक्ति में कोई छोटा दर्द मिलता है, तो कोई विशेष बात नहीं। यह सामान्य तर्क पुरुष गर्भ निरोधकों के मामले में काम नहीं करेगा। इसलिए वैज्ञानिकों को सावधानी के साथ इस दवा को मानव स्वास्थ्य के अनुकूल बनाना होगा और यह साबित करना होगा कि इसका कोई अल्पकालीन या दीर्घकालीन असर नहीं होगा। इंसानों पर शोध की दिशा में काम आगे बढ़ चुका है, लेकिन विशेषज्ञों को यही चिंता है कि दवा सोलह आना सुरक्षित रहे, ताकि उसे बाजार में हाथों-हाथ स्वीकार कर लिया जाए। मिनियापोलिस में मिनेसोटा यूनिवर्सिटी के एमडी अब्दुल्ला अल नोमन के मुताबिक, कई कोशिशों के बावजूद, कोई भी प्रभावी व सुरक्षित पुरुष गर्भ निरोधक अभी तक मानव नैदानिक परीक्षणों में सफल नहीं हो पाया है। नोमन जैसे वैज्ञानिक जानते हैं कि गर्भ निरोध की गोलियों के लिए सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण होगी, इसलिए वैज्ञानिक संस्थान भी इस शोध को लेकर बहुत गंभीर हैं।
बहरहाल, चार हफ्तों के दौरान वैज्ञानिकों ने नर चूहों को वायसीटी529 नामक एक रसायन की दैनिक खुराक दी थी और पाया कि उनके शुक्राणुओं की संख्या गिर गई है। उसके बाद जब दवा बंद की गई, तो चार से छह सप्ताह के बीच चूहे फिर प्रजनन करने में सक्षम हो गए और उनमें कोई नकारात्मक प्रभाव भी नहीं देखा गया। ऐसी सफलता पहले कभी नहीं मिली थी। नैदानिक परीक्षणों में विभिन्न अणु शामिल हैं, पर वे सभी उस टेस्टोस्टेरोन, पुरुष यौन हारमोन को लक्षित करते हैं, जिसका वजन बढ़ाने, अवसाद और अन्य नकारात्मक प्रभावों से संबंध है। हालांकि, वैज्ञानिक मानकर चल रहे हैं कि यह जो दवा बन रही है, वह पुरुषों या इंसानों के प्राकृतिक हारमोनल ढांचे को कतई प्रभावित नहीं करेगी और इनका असर अल्पकालीन होगा। क्या इसका कोई दूरगामी असर भी हो सकता है, वैज्ञानिक इस सवाल का जवाब खोज लेना चाहते हैं। चिकित्सा क्षेत्र में कई बार तात्कालिक या व्यावसायिक फायदे के लिए दीर्घकालिक नुकसान को नजरअंदाज कर दिया जाता है, लेकिन इस मामले में वैज्ञानिक ऐसी कोई गलती नहीं करना चाहते हैं। बाजार को ऐसी किसी दवा का लंबे समय से इंतजार है, लेकिन वैज्ञानिक चाहते हैं कि थोड़ा वक्त भले लग जाए, दवा पूरी तरह से परीक्षण के बाद ही बाजार में आए।
लाइव हिंदुस्तान के सौजन्य से सम्पादकीय 
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