बेनकाब हुआ झूठ

कोरोना संकट के तत्काल बाद स्वदेशी वैक्सीन तैयार करने व जरूरतमंद देशों की मदद करने पर दुनिया में भारत की खूब वाहवाही हुई।

Update: 2022-12-19 07:35 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कोरोना संकट के तत्काल बाद स्वदेशी वैक्सीन तैयार करने व जरूरतमंद देशों की मदद करने पर दुनिया में भारत की खूब वाहवाही हुई। देश ने अनेक गरीब मुल्कों को संकट से उबरने के लिये जीवन-रक्षक उपकरण उपलब्ध कराये। तब भी डब्ल्यूएचओ ने भारतीय वैक्सीन को मान्यता देने में अनावश्यक विलंब किया। वहीं अब अफ्रीकी देश गाम्बिया में जब बड़ी संख्या में बच्चों की मृत्यु हुई तो आरोप लगा कि हरियाणा की एक दवा कंपनी के सिरप के सेवन से ये मृत्यु हुईं। विडंबना यह है कि आरोप संयुक्त राष्ट्र की संस्था डब्ल्यूएचओ ने लगाये। दुर्भाग्यपूर्ण यह कि बिना किसी जांच के ये आरोप भारतीय दवा कंपनी पर मढ़े गये। भारत विरोधी पश्चिमी मीडिया ने इस खबर को खूब रस लेकर छापा। अब भारत सरकार ने जांच में पाया कि गाम्बिया में बच्चों की मौत में भारतीय कंपनी के सिरप की कोई भूमिका नहीं थी। बिना किसी ठोस आधार के ऐसे बेतुके आरोप लगाने पर भारत सरकार ने डब्ल्यूएचओ को आड़े हाथ लिया है। भारत सरकार ने इस बाबत आधिकारिक आपत्ति जताई है। दरअसल, भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ने जांच के बाद पाया कि गाम्बिया में बच्चों की मौत में सिरप का कोई लेना-देना न था। हालांकि, इससे पहले बीते माह गाम्बिया की सरकार कह चुकी थी कि बच्चों की मौत से भारतीय दवा निर्माता कंपनी के सिरप का कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन सवाल यह है कि क्या डब्ल्यूएचओ के आरोपों से भारतीय फार्मा कंपनियों की छवि को हुए नुकसान की भरपाई हो पायेगी?निस्संदेह, दुनिया की प्रतिष्ठित संस्था की इस तरह की गैर-जिम्मेदार बयानबाजी दुर्भाग्यपूर्ण है। क्या इसके मूल में भारत विरोधी ताकतों की साजिश थी? यदि हां तो उसकी जांच की जानी चाहिए। हाल के वर्षों में अफ्रीका व गरीब मुल्कों में भारतीय दवा कंपनियों की अच्छी पहचान बनी है। एक तो दवाएं सस्ती हैं, वहीं कारगर भी। इस लोकप्रियता से बौखलाई भारत विरोधी ताकतों ने गाम्बिया की घटना के जरिये भारत को बदनाम करने का प्रयास किया। दरअसल, पश्चिमी देशों की महाकाय दवा निर्माता कंपनियां विकासशील देशों में अपने कारोबार को मिलने वाली किसी भी चुनौती के खिलाफ ऐसी साजिशें रचती रहती हैं। जिनसे भारत को सावधान रहने की जरूरत है। लेकिन सबसे ज्यादा चिंता की बात तो विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका को लेकर है, जिसने बिना किसी जांच के आरोप भारतीय दवा कंपनी पर लगा दिये। सर्वविदित है कि पूरे कोरोना संकट के दौरान डब्ल्यूएचओ पूरी तरह से नाकाम हुआ। वह कोरोना वायरस के मूल स्रोत का पता नहीं लगा सका। कहा तो यहां तक गया कि इसके प्रमुख की नियुक्ति में चीन की भूमिका रही जिसके चलते प्रमुख ने कोरोना संकट के बाद दुनिया के निशाने पर आये चीन का बचाव किया। निस्संदेह, अपनी तमाम नाकामियों पर पर्दा डालने के लिये यह संगठन बेतुकी बयानबाजी का सहारा ले रहा है। बहरहाल, भारतीय दवा कंपनियों को भी इस घटना के बाद सतर्क होकर अपने उत्पादों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

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