जग-मग दीपावली का सन्देश
आज दीपावली का शुभ पर्व है जो जीवन के हर पक्ष में उजाले की प्रेरणा देता है। इसका अर्थ मनुष्य की सदाचारिता और उच्च विचारों के साथ मानवता के हर अंग को रोशनी से भरने का सन्देश भी देता है।
आज दीपावली का शुभ पर्व है जो जीवन के हर पक्ष में उजाले की प्रेरणा देता है। इसका अर्थ मनुष्य की सदाचारिता और उच्च विचारों के साथ मानवता के हर अंग को रोशनी से भरने का सन्देश भी देता है। यह प्रकृति की सौगातों से भरा पर्व भी है जिसमें ग्रीष्म ऋतु की ऊष्णता से बिदाई मिलती है और शरद ऋतु तन से लेकर मन को शीतलता प्रदान करती है। वर्तमान वैज्ञानिकता के युग में जीवन के हर पहलू में राजनीति ही ऐसा अवयव है जो जन्म से लेकर अन्त तक हर व्यक्ति के लिए महत्व रखती है। मसलन प्राइमरी शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा प्राप्त करने और उसके बाद रोजगार प्राप्ति का सम्बन्ध देश में चल रही राजनीति से ही प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा रहता है क्योंकि भारतीय लोकतान्त्रिक व्यवस्था में राजनीतिक दल ही जनादेश पाकर सरकारों का गठन करते हैं और वे लोगों के जीवन से लेकर राष्ट्र के 'जीवन' की नीतियां बनाती हैं। इन राजनीतिक दलों का 'जीवन' आम लोगों की इच्छा का गुलाम होता है। लोग अपनी यह इच्छा चुनावों में अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करके व्यक्त करते हैं। भारत में त्रिस्तरीय शासन व्यवस्था आजादी के बाद से अपनाई गई जिसमें अब पंचायत राज व्यवस्था भी शामिल हो गई है। यह व्यवस्था इसीलिए है जिससे आम आदमी का जीवन सुखी हो सके और पूरा राष्ट्र पंचायत स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक विकास कर सके। विकास की इस प्रक्रिया में हर नागरिक का धर्म केवल भारत का महान संविधान रहता है जिसके तहत हर नागरिक अपने अधिकारों का प्रयोग करके सत्ता में अपनी शिरकत स्थापित करता है। इस सन्दर्भ में विगत 30 अक्टूबर को 14 राज्यों के 29 विधानसभा व तीन लोकसभा क्षेत्रों में हुए उपचुनाव काफी मायने रखते हैं क्योंकि ये इन क्षेत्रों की जनता की इच्छा को दर्शाते हैं। इन उपचुनावों में केन्द्र व विभिन्न राज्यों में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा को 29 विधानसभा क्षेत्राें में से केवल सात स्थान प्राप्त हुए और प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस को आठ स्थान मिले। शेष स्थानों पर क्षेत्रीय सत्तारूढ़ दलों ने बाजी मारी। उपचुनावीं परिणामों से सकल रूप में देश की दोनों ही प्रमुख राजनीतिक पार्टियों की ताकत में कमी दर्ज हुई। बेशक कुछ राज्य एेसे भी रहे जहां इन दोनों पार्टियों ने अपनी ताकत का लोहा मनवाने में सफलता प्राप्त की। मसलन हिमाचल प्रदेश में तीन विधानसभा व एक लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा की जयराम ठाकुर सरकार की नींद उड़ाते हुए चारों ही स्थानों पर कब्जा जमा लिया मगर दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी तीन विधानसभा व एक लोकसभा सीट पर हुए उपचुनावों में केवल एक विधानसभा सीट ही जीत सकी। जिस सीट पर कांग्रेस जीती उस पर भाजपा का पिछले तीस साल से कब्जा था मगर यही कांग्रेस पार्टी अपनी वे दो विधानसभा सीटें भाजपा के हाथों हार गई जिन पर पिछले चुनाव से उसका कब्जा था। उपचुनावों से पहले कांग्रेस के पास 29 में से दस सीटे थीं जो घट कर आठ हो गई। जबकि भाजपा के पास अपने बूते पर 12 सीटें थीं जो घट कर सात रह गईं। हालांकि भाजपा के सहयोगी दलों (जनता दल-यू) व उत्तर पूर्व के राज्यों मिजोरम व मेघालय आदि में इसके सहयोगी दलों ने जीत अर्जित की जबकि असम की पांचों विधानसभा सीटों पर भाजपा व उसके सहयोगी दलों ने जीत दर्ज की। इनमें कांग्रेस की भी दो सीटें शामिल हैं। मगर प. बंगाल में ममता दी की तृणमूल कांग्रेस ने चारों विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में झाड़ू लगा दी और भाजपा की दो सीटें भी हथिया लीं जो कि इसके सांसदों द्वारा इस्तीफा देने से खाली हुई थीं। अभी लोकसभा की तीन सीटों की बात करें तो मध्य प्रदेश की खंडवा सीट पहले से ही भाजपा के पास थी जिस पर इसे पुनः विजय मिली मगर हिमाचल प्रदेश की मंडी व दादर नगर हवेली की ये दोनों सीटें पार्टी विपक्ष के हाथों हार गई।संपादकीय :सदस्यों को दिवाली का तोहफा... Meradocतेजी से सुधरती अर्थव्यवस्थाजिन्ना के मुरीद अखिलेशग्लासगो कॉप सम्मेलन से उम्मीदेंममता दी का कांग्रेस पर वार ?रोम में गूंजा मोदी मंत्र मंडी से कांग्रेस की श्रीमती प्रतिभा सिंह विजयी रहीं और दादर नगर हवेली से शिवसेना के प्रत्याशी कलाबेन डेलकर ने यहां से भाजपा के प्रत्याशी महेश गावित को 51 हजार वोटों से हराया। दादर नगर हवेली केन्द्र शासित छोटा व कम मतदाताओं वाला चुनाव क्षेत्र हैं। अतः 51 हजार का अन्तर यहां मायने रखता है। ये चुनाव परिणाम दीपावली से पहले ही धनतेरस वाले दिन घोषित किये अतः कहना मुश्किल है कि किस पार्टी के खाते में मतदाताओं का धन बढ़ा या किसमें घटा। वैसे सकल रूप में देखा जाये तो क्षेत्रीय दलों की मौज रही। हरियाणा के ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव हुआ था और यहां स्व. देवीलाल के पौत्र अभय चौटाला ने पुनः मैदान मार लिया और विरोधियों की जमानत तक जब्त करा डाली। इन उपचुनावों से एक तथ्य सामने उबर कर आया है कि भारत में लोकतन्त्र जड़ों से इस तरह मजबूत है कि कोई भी पार्टी मतदाताओं को अपना पिछलग्गू नहीं मान सकती बल्कि उल्टा शाश्वत सत्य यह है कि मतदाता ही लोकतन्त्र में अन्ततः राजनीतिक दलों का रहबर होता है।हिमाचल में इसने भाजपा को झिंझोड़ा तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस को मरोड़ा जबकि प. बंगाल के मतदाताओं ने अपनी इच्छा में संशोधन किया। इसका मतलब यही निकला की राजनीतिक दलों के लिए जनता ने दीपावली का ऐसा तोहफा दिया जिसमें उन्हें सावधान होकर दीपक जलाने की चेतावनी दी गई है। वैसे भी दीपावली भारत का एेसा जग-मग करता धर्मनिरपेक्ष त्यौहार है जिसके आने की खुशी अल्पसंख्यक समुदाय के मुस्लिम नागरिकों को भी कम नहीं होता क्योंकि इस त्यौहार के अवसर मुस्लिम कारीगरों व कलाकारों से लेकर दैनिक काम करने वाले लोगों की मजदूरी में इजाफा होता है। हालांकि यह इजाफा हिन्दू कारीगरों व कामगारों के लिए भी होता है मगर दस्तकारी से लेकर कारीगरी का काम करने में मुस्लिम नागरिकों की संख्या ज्यादा है और उनके हाथ में हुनर भी खुदा की रहमत से बेहतर माना जाता है