आइएस, बोको हराम और खुर्शीद: किताब की सामग्री पर विवादों के घेरे में कांग्रेस नेता
आइएस, बोको हराम और खुर्शीद
राजीव सचान। कहावत है कि सेब और संतरे की तुलना नहीं की जा सकती, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के वकील और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने यही किया। असंगत तुलना का सटीक उदाहरण पेश करते हुए उन्होंने हिंदुत्व को बोको हराम और इस्लामिक स्टेट यानी आइएस जैसा बता दिया। ये दोनों दुनिया के सबसे खूंखार जिहादी संगठन हैं। हालांकि, सीरिया और इराक में तबाही मचाने वाला आइएस इन दोनों देशों में तो पस्त पड़ चुका है, लेकिन उसकी शाखाएं दुनिया भर में फैल चुकी हैं। उसके आतंकी जब-तब हमले करते ही रहते हैं। इन दिनों आइएस-खुरासान अफगानिस्तान में बेलगाम है।
आइएस ने इराक और सीरिया में हजारों लोगों को बर्बरता से मारा है। इसके अलावा उसने यमन, मिस्र, बांग्लादेश और श्रीलंका समेत कई अफ्रीकी देशों में भी अनगिनत हमले किए हैं। आइएस के आतंकियों ने अपने आतंकी हमलों से यूरोपीय देशों को भी दहलाया है। इन्हीं आइएस आतंकियों ने इराक के मोसुल शहर में 39 भारतीय कामगारों को मारा था। भारत में भी आइएस आतंकी सक्रिय हो चुके हैं। इस आतंकी संगठन ने कितने हजार लोगों को मारा है और उसके कारण कितने लाख लोग विस्थापित हुए हैं, इसकी गणना करना मुश्किल है, लेकिन इसमें संदेह नहीं कि यह अभी भी दुनिया का सबसे क्रूर जिहादी संगठन है। यह कथित काफिरों को जलाकर मारने या फिर उनका सिर कलम करने और उनकी महिलाओं को यौन दासी बनाने के लिए कुख्यात रहा है।
आइएस आतंकियों ने यजीदी समुदाय की महिलाओं को न केवल यौन दासी बनाया, बल्कि उन्हें बेचा भी। यह सब इस आड़ में किया गया कि इस्लामिक मान्यताएं यही कहती हैं। आइएस पूरी दुनिया में खिलाफत यानी इस्लामिक शासन कायम करना चाहता है। इस्लामिक दुनिया के विद्वान और शासक बार-बार यह कहते हैं कि आइएस इस्लाम का दुरुपयोग कर रहा है, लेकिन कई लोग यह मानते हैं कि वह तो असल इस्लाम के रास्ते पर चल रहा हैं। ऐसा मानने वाले हजारों मुस्लिम आइएस का हिस्सा बने। इनमें यूरोप, अमेरिका, आस्ट्रेलिया के अलावा भारत के भी युवा मुस्लिम थे। इनमें युवतियां भी थीं। सलमान खुर्शीद ने अपनी पुस्तक 'सनराइज ओवर अयोध्या-नेशनहुड इन अवर टाइम्स' में हिंदुत्व को जिस अन्य आतंकी संगठन जैसा बताया, वह बोको हराम है।
बोको का मतलब है पश्चिमी सभ्यता। नाइजीरिया में सक्रिय इस जिहादी संगठन का मूल नाम है जमात एहल अस-सुन्ना लिद-दावा वल-जिहाद। इसका मतलब है वे प्रतिबद्ध लोग जो पैगंबर की शिक्षाओं और जिहाद के प्रसार में जुटे हैं। आइएस की तरह यह संगठन भी यही मानता है कि वह असल इस्लाम की राह पर है। चूंकि यह संगठन पश्चिमी शिक्षा-सभ्यता को हराम मानता है, इसलिए जब-तब स्कूली लड़कियों को उठा ले जाता है-कभी 200 और 300। कोई नहीं जानता कि इन लड़कियों का क्या होता है? जो कुछ लड़कियां लौट सकीं, उन्होंने बताया कि उन्हें खाना पकाने, सफाई करने का काम दिया जाता है और उनके साथ यौन गुलामों जैसा व्यवहार किया जाता है। तेल और नशीले पदार्थों की तस्करी से फल-फूल रहे बोको हराम का नाइजीरिया के छह प्रांतों में दबदबा है। इसका मकसद देश में इस्लामिक शासन कायम करना है। इसका खौफ नाइजीरिया के पड़ोसी देशों चाड और नाइजर में भी है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, बोको हराम की आतंकी गतिविधियों के चलते अब तक तीन लाख 20 हजार लोग मारे जा चुके हैं और 21 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके हैं।
यह संभव नहीं कि सुप्रीम कोर्ट के वकील सलमान खुर्शीद इससे परिचित न हों कि बोको हराम और इस्लामिक स्टेट कितने बर्बर हैं और उनके कारण कितनी तबाही हुई है? विवाद के बाद सलमान खुर्शीद ने सफाई दी कि 'मैंने यह नहीं लिखा कि आइएस-बोको हराम और हिंदुत्व एक ही हैं। मैंने तो यह लिखा है कि वे एक जैसे हैं।' उन्होंने समझाया कि जैसे बोको हराम और आइएस इस्लाम का दुरुपयोग करते हैं, वैसे ही हिंदुत्व भी। साफ है कि वह हिंदुत्व को हिंदू धर्म से न केवल इतर मान रहे हैं, बल्कि किसी संगठन-समूह का नाम लेने के बजाय सीधे उसे ही बोको हराम और आइएस जैसा करार दे रहे हैं। हिंदुत्व के बारे में जैसा सलमान खुर्शीद सोचते हैं, वैसा ही राहुल गांधी और अन्य अनेक। नि:संदेह ऐसे लोगों को यह समझाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है कि हिंदू धर्म और हिंदुत्व एक ही हैं, लेकिन शायद उन्हें दुरुपयोग के अंतर की समझ अवश्य होगी।
इन दिनों इंटरनेट और खासकर ट्विटर, फेसबुक जैसे माध्यमों का दुरुपयोग पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। ऐसा केवल इसलिए नहीं है कि कुछ लोग इन माध्यमों के जरिये ट्रोलिंग करते हैं या फर्जी खबरें फैलाते हैं, बल्कि इसलिए भी है कि वे आतंकियों की भर्ती करते हैं और आतंकवाद फैलाते हैं। एक समय आइएस इस काम में माहिर था। वह इंटरनेट के जरिये ही दुनिया भर के मुस्लिम युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करता था और खौफ पैदा करने के लिए लोगों के सिर कलम करने के वीडियो प्रसारित करता था। क्या कोई और खासकर सलमान खुर्शीद यह कह सकते हैं कि इंटरनेट के दुरुपयोग के मामले में ट्रोलिंग करने और सिर कलम करने के वीडियो जारी करने वाले एक जैसे हैं? क्या उनके हिसाब से फेसबुक या ट्विटर पर किसी को गाली देने और पुलवामा हमले को अंजाम देने वाले को एक जैसा कहा जा सकता है? क्या ड्रोन से किसी प्रतिबंधित क्षेत्र की फोटो खींचने और अभी चंद दिन पहले उसके जरिये इराकी प्रधानमंत्री को निशाना बनाने वाले को एक जैसा बताया जा सकता है?
(लेखक दैनिक जागरण में एसोसिएट एडीटर हैं)