IPL 2022: चेन्नई सुपर किंग्स का मास्टर स्ट्रोक; जब तक धोनी खेलेंगे, जडेजा उनसे सीखते रहेंगे
चेन्नई सुपर किंग्स इंडियन प्रीमियर लीग की सबसे सफल टीमों में शुमार है
चेन्नई सुपर किंग्स इंडियन प्रीमियर लीग (Indian Premier League) की सबसे सफल टीमों में शुमार है. जबसे इस प्रतिष्ठित टी20 लीग की शुरुआत हुई, तब से महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) ही टीम की कमान संभालते नजर आए, लेकिन इस बार बड़ा बदलाव हुआ है. ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा (Ravindra Jadeja) को धोनी ने कप्तानी सौंप दी है. सीएसके (CSK) को इस तरह एक नया कप्तान मिल गया है. रवींद्र जडेजा एक नए रूप में नजर आएंगे. खास बात है कि जडेजा पहली बार अपनी टीम की कप्तानी संभाल रहे है. मैंने कभी नहीं सुना कि उन्होंने सीनियर स्तर पर अपने राज्य की टीम की कप्तानी भी की हो लेकिन अच्छी बात यह है कि उन्हें धोनी के रहने से काफी मदद मिलेगी.
एमएस धोनी (MS Dhoni) के टीम में होने से रवींद्र जडेजा को मार्गदर्शन मिलता रहेगा. वह विकेट के पीछे से लगातार सलाह देते रहते हैं. चेन्नई सुपर किंग्स (Chennai Super Kings) टीम जडेजा को प्रमोट कर रही है. जब तक धोनी सीएसके से खेलेंगे, तब तक जडेजा उनसे काफी कुछ सीखेंगे. बाद में (धोनी के IPL छोड़ने के बाद) जडेजा अच्छे से टीम का नेतृत्व करेंगे. मुझे लगता है कि अगले 5-6 साल तक तो जडेजा ही टीम की कप्तानी संभालेंगे. वह अभी युवा हैं और सीएसके को ऐसा ही कप्तान चाहिए जो कम से कम अगले 5-7 साल या 10 साल तक कप्तानी करे, जैसा धोनी ने किया.
धोनी ने अपनी एक कोर टीम बनाई जिसमें ज्यादा बदलाव देखने को नहीं मिलता है. वह सीनियर खिलाड़ियों को भी महत्व देते हैं और युवाओं को भी मौके मिलते हैं. इस सीजन के भी धमाकेदार रहने की उम्मीद कर रहा हूं, जैसे पिछले कई सीजन रहे हैं.
चेन्नई टीम की बड़ी ताकत ओपनर ऋतुराज गायकवाड़ माने जाते हैं. पिछले सीजन में उन्होंने कमाल का प्रदर्शन किया और ऑरेंज कैप हासिल की. ऋतुराज ने 600 से ज्यादा रन बनाए और 1 शतक भी लगाया. इस साल भी मुझे उनसे काफी उम्मीदें हैं कि वह बेहतर प्रदर्शन जारी रखें. उन्हें भारतीय टीम में भी मौका मिला है. उस ड्रेसिंग रूम का भी अनुभव उन्हें मिला होगा क्योंकि रोहित शर्मा-विराट कोहली जैसे खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम साझा किया. इससे किसी खिलाड़ी को अतिरिक्त आत्मविश्वास मिलता है.
जो कॉन्फिडेंस आप रणजी ट्रॉफी या घरेलू क्रिकेट खेलने से नहीं हासिल कर पाते, वह आप भारतीय टीम के ड्रेसिंग रूम में साझा करने से कर लेते हैं. आप बड़े खिलाड़ियों के साथ ड्रेसिंग रूम शेयर करते हो, उनसे बातचीत करते हो, उन्हें करीब से खेलते हुए देखते हो, टीम की रणनीति समझते हो और उनसे सकारात्मक सीखते हो. ऋतुराज ने यह सब हासिल किया होगा, इसलिए मुझे उनसे काफी उम्मीदें हैं कि वह अपने उस अनुभव को आईपीएल में लाएंगे. जब फाफ डुप्लेसी चेन्नई टीम में थे, तो वे सीनियर रोल में होते थे. इसके चलते ऋतुराज ज्यादा आजादी के साथ खेलते थे. लेकिन अब ऋतुराज प्राइमरी रोल में रहेंगे. अब उनसे वही उम्मीदें रहेंगी जो किसी सीनियर खिलाड़ी से रहती हैं.
रॉबिन उथप्पा भले ही चेन्नई टीम के लिए ओपनिंग करें. लेकिन ऋतुराज पर काफी जिम्मेदारी रहेगी. उनसे एक अच्छी शुरुआत की उम्मीद टीम करेगी. हम हमेशा कहते हैं कि टॉप-3 के एक बल्लेबाज को कम से कम 15 ओवर तक खेलना है. अगर किसी टीम को 170-172 से ऊपर का स्कोर करना है तो यह सबसे जरूरी है.
चेन्नई टीम में अच्छे गेंदबाज हैं. एडम मिल्ने अच्छा करते रहे हैं. उनके पास अनुभव भी है. राजवर्धन हंगरगेकर ने अंडर-19 वर्ल्ड कप में अच्छा प्रदर्शन किया है. मुझे लगता है कि राजवर्धन 'फ्यूचर क्रिकेटर' हैं. चेन्नई टीम हमेशा ऐसे ही खिलाड़ियों को मौका देती है, जिनके भविष्य में बेहतर होने का भरोसा होता है. दीपक चाहर आईपीएल के शुरुआती मैचों में नहीं खेल पाएंगे. उनकी भरपाई करने के लिए युवा राजवर्धन से उम्मीद की जा सकती है. क्रिकेट में ऐसा होता है कि जब सीनियर खिलाड़ी आपको बैक करते हैं तो आपका भी मनोबल बढ़ता है. मुझे लगता है कि सीएसके टीम में अनुभव की भरमार है. धोनी, जडेजा और ब्रावो ऐसे ही खिलाड़ी हैं. धोनी विकेट के पीछे हैं ही, वह हर खिलाड़ी की काफी मदद करते हैं. रॉबिन उथप्पा भी काफी साल से खेल रहे हैं, उनका योगदान भी काफी अहम रहेगा.
चेन्नई सुपर किंग्स टीम सीनियर खिलाड़ियों को काफी बैक करती है और यही बड़ा कारण है कि वह आईपीएल की सबसे सफल टीमों में शुमार है और मुंबई इंडियंस के बाद सबसे ज्यादा खिताब जीतने में कामयाब रही है. सबसे ज्यादा फाइनल खेले हैं. ड्वेन ब्रावो भी 'ओल्ड इज गोल्ड' की तरह हैं. वह टीम की मजबूत कड़ी हैं. भले ही डेथ ओवर हो या मिडिल ओवरों में गेंदबाजी, वह कभी भी टीम को निराश नहीं करते हैं. उनके पास काफी वैरिएशन हैं और सही मायनों में वह एक स्मार्ट क्रिकेटर की तरह हैं. इतने साल से वह खेल रहे हैं और उन्हें बखूबी पता है कि क्या करना है, क्या नहीं करना है, कब यॉर्कर डालना है, कब धीमी गेंदबाजी करनी है. इस साल वानखेड़े स्टेडियम में काफी मैच होने वाले हैं. वहां मीडियम पेसर को मदद मिलती है लेकिन बल्लेबाजी भी अच्छी होती है.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
लालचंद राजपूत पूर्व क्रिकेटर और कोच
पूर्व भारतीय क्रिकेटर और कोच. 1985 से 1987 तक भारत के लिए खेल चुके लालचंद राजपूत फिलहाल जिम्बाब्वे के कोच हैं.