नीरा टंडन के माता-पिता का संबंध भारत से था लेकिन उनके बीच तलाक के बाद नीरा को उनकी मां-मामा ने पाला। उनकी मां सरकारी भोजन और निवास के सहयोग वाले प्रोग्राम पर निर्भर थी। इस तरह नीरा टंडन पली-बढ़ी। माता-पिता के तलाक के वक्त नीरा 5 वर्ष की थी। बाद में उनकी मां ने एक ट्रेवल एजेंट की नौकरी की और अपनी बच्ची को पढ़ाया। नीरा ने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया से बीएससी और येल लॉ स्कूल से कानून की डिग्री हासिल की। नीरा टंडन काफी अनुभवी हैं। उसकी बुद्धिमता, मेहनत और राजनीतिक दृष्टिकोण बाइडेन प्रशासन के लिए काफी अहम साबित होगा। वह एक विशेषज्ञ है। कोरोना महामारी और अन्य विषयों पर उनकी सलाह बाइडेन के लिए काफी महत्वपूर्ण होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन नीरा टंडन के अनुभव, कौशल और विचारों का बहुत सम्मान करते हैं तभी तो उन्होंने प्रबंधन एवं बजट कार्यालय का नेतृत्व करने के लिए उसे ही चुना था लेकिन नीरा द्वारा सोशल मीडिया पर की गई पहले की कई विवादित पोस्ट के कारण डेमोक्रेटिक और रिपब्लिक सीनेटरों की ओर से कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। तब नीरा ने अपना नामांकन वापिस ले लिया। बाइडेन चाहते थे कि नीरा उनके प्रशासन का हिस्सा बने। उन्होंने नीरा को सलाहकार नियुक्त कर दिया। अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों का दबदबा बढ़ा है, इस बात को जो बाइडेन ने भी स्वीकार किया है।
अमेरिका की उपराष्ट्रपति बनी कमला हैरिस भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक हैं। अमेरिका के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में पहले ही बड़ी संख्या में भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों को उनकी जिम्मेदारियां दे दी गई थी। भारतीय मूल के अमेरिकी विवेक मूर्ति को देश का सर्जन जनरल बनाया गया। उजरा जेया, माला अडिगा, गरिमा वर्मा, वनिता गुप्ता, सबरीना सिंह, आइशा शाह, भरत राममूर्ति, समीरा फजिली, गौतम राघवन, विनय रैड्डी, तरुण छाबड़ा, सुमोना गुहा, शांति कलाथिला, वेदांत पटेल, सोनिया अग्रवाल, विदुर शर्मा, रीमा शाह और नेहा गुप्ता बाइडेन प्रशासन में महत्वपूर्ण पद संभाले हुए हैं। अमेरिका में अमेरिकी भारतीय की कुल आबादी का महज एक फीसद हैं। इस हिसाब से अमेरिकी भारतीयों को खास जगह मिली। यह भारत के लिए गौरव की बात है। भारतीय मूल के लोग कहीं भी रहे, उन्होंने वहां की संस्कृति और संविधान को स्वीकार कर वहां की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ब्रिटेन हो, कनाडा हो या कोई भी अन्य देश, वहां के प्रशासन में, राजनीति में अप्रवासी भारतीयों की भूमिका है। खास बात यह है िक विदेश में रहते हुए भी वे भारतीय जड़ों से जुड़े हुए हैं। भारतीय संस्कृति और संस्कारों में उनकी आस्था है। जब भी वे अपने गांव आते हैं, बहुत कुछ करके जाते हैं। किसी ने स्कूल, किसी ने कालेज के लिए अपनी पुश्तैनी जमीन दान में दी, किसी ने गांव में कम्प्यूटर केन्द्र बनाये। किसी ने सामुदायिक भवन बनाकर पंचायतों को समर्पित किये। भारतीयों ने हमेशा अपने बुद्धि कौशल और मेहनत के बल पर प्रगति की। इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि भारतीय अमेरिकी भव्य लाल को नासा का कार्यकारी प्रमुख बनाया गया। सोनाली निझावन को सरकारी संगठन अमेरीकार्प्स का निदेशक, पी. कुलकर्णी को विदेशी मालमों का प्रमुख और रोहित चोपड़ा को कंज्यूमर फाइनैंशियल प्रोटेक्शन ब्यूरो के प्रमुख पद के लिए नामित किया गया है। अमेरिकी सरकार में भारतवंशी छाये हुए हैं।