कोरोना की नयी लहर का असर: बचाव के उपायों की आदत डालिए

ब्रिटेन में कोरोना वायरस के रूप बदलकर हमला करने से दुनिया सदमे में है।

Update: 2020-12-23 05:15 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ऐसे वक्त में जब दुनिया कोरोना संक्रमण से राहत का सपना देख रही थी, ब्रिटेन में कोरोना वायरस के रूप बदलकर हमला करने से दुनिया सकते में है। दुनिया में टीकाकरण की शुरुआत हो चुकी है और भारत की तैयारी अंतिम चरण में है। वहीं यूरोप में दूसरी लहर ने आम आदमी की चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि ब्रिटेन में कोरोना का जो वायरस सत्तर फीसदी ज्यादा तेजी से फैल रहा है, क्या उस पर वैक्सीन का असर होगा? ऐसा सवाल वायरस की संक्रमण फैलाने की तीव्रता को देखकर उठाया जा रहा है। ऐसे में संक्रमण का प्रसार रोकना ही दुनिया की प्राथमिकता होनी चाहिए। चीन के वुहान से संक्रमण के प्रसार को लेकर दुनिया ने जो उदासीनता बरती है, कम से कम अब जब इस महामारी के मिजाज को दुनिया समझ चुकी है, कोई लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए। एक बात तो तय है कि कोरोना संक्रमण से हमारी लड़ाई लंबी चलने वाली है। निस्संदेह जब मानवता राहत की उम्मीद कर रही थी, वायरस की तीव्रता में वृद्धि परेशान करने वाली है, जिसका असर भारत पर भी देखा जा रहा है। ब्रिटेन से आने वाली हवाई उड़ानों पर रोक इसी कड़ी का हिस्सा है। हालांकि, ब्रिटेन में संक्रमण काफी दिन पहले उजागर हो चुका था, उसे देखते हुए उड़ानों पर रोक का फैसला देर से लिया गया। लगता है हमने अतीत की चूकों से कोई सबक नहीं लिया। उधर महाराष्ट्र में अगले छह माह तक मास्क अनिवार्य कर दिया गया है और रात्रि कर्फ्यू लागू किया गया है। कोरोना वायरस ने ऐसे वक्त पर दस्तक दी है जब पूरी दुनिया क्रिसमस और नये साल के जश्नों के जरिये अपनी साल भर की उदासी और अवसाद को दूर करने का प्रयास कर रही थी। लेकिन अब ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, थाइलैंड व दक्षिण अफ्रीका आदि देशों में संक्रमण के नये रूप ने लोगों को परेशानी में डाल दिया है। 


बहरहाल, विश्व स्वास्थ्य संगठन की यह घोषणा राहतकारी है कि कोरोना वायरस का नया वेरिएंट अभी बेकाबू नहीं हुआ है। इस पर मौजूदा उपायों से नियंत्रण किया जा सकता है। हालांकि, यह नया वायरस ब्रिटेन में तेजी से फैला है और वहां नये सिरे से सख्त लॉकडाउन लागू किया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि दुनिया में कई जगह इससे भी ज्यादा संक्रमण की दर देखी गई और उसे काबू किया गया। इस मायने में स्थिति नियंत्रण से बाहर नहीं है। निस्संदेह इस नये वायरस से मुकाबले के लिये वही उपाय सावधानी के रूप में अपनाये जाने चाहिए, जो हम अभी तक अपना रहे हैं। बस उन कदमों में थोड़ा तेजी लाने और थोड़ा ज्यादा समय तक उपचारात्मक उपाय करने की जरूरत है। तभी  इस वायरस पर समय रहते काबू पाया जा सकेगा। बहरहाल, हमारी चिंता यह भी होनी चाहिए कि विदेश से आने वाले यात्रियों की सघन जांच की जाये। ब्रिटेन से आने वाली फ्लाइटों पर रोक लगाने के बाद आई अंतिम फ्लाइट में कुछ संक्रमितों का मिलना हमारी चिंता का विषय होना चाहिए। यही वजह है कि यूरोपीय फ्लाइटों के भारत आने पर रोक लगाने की भी मांग की जा रही है। बहरहाल, नागरिकों को अपने स्तर पर अधिक सजगता दिखाने की जरूरत है क्योंकि अभी खतरा टला नहीं है। सरकार को भी स्थिति की गंभीरता को समझते हुए कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करवाना चाहिए। खासकर विदेशों से आने वाले यात्रियों को लेकर। निस्संदेह वायरस के रूप बदलने की प्रवृत्ति दुनिया के अन्य देशों में भी पायी जा सकती है। इस मामले में निगरानी बढ़ाने की जरूरत भी है। ऐसे वक्त में जब भारत में संक्रमण की दर में तेजी से गिरावट देखी जा रही है और मरने वालों का आंकड़ा घट रहा है, नयी लहर के चलते हमें फिर भी सतर्क रहना होगा। अन्यथा हमारे चिकित्सा तंत्र पर संक्रमितों का दबाव बढ़ जायेगा, जिससे टीकाकरण के अभियान पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। सवाल यह भी है कि क्या नया वायरस वैक्सीन के प्रभाव से नियंत्रित होगा।


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