कॉर्पोरेट जगत में खास मुकाम पर बने रहने है तो ड्रेसिंग सेंस भी जरूरू है इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ता है
आज सोमवार है और अगर आप सोच रहे हैं कि ऑफिस क्या पहनकर जाऊं, तो मैं कुछ मदद कर देता हूं
एन. रघुरामन का ब्लॉक:
आज सोमवार है और अगर आप सोच रहे हैं कि ऑफिस क्या पहनकर जाऊं, तो मैं कुछ मदद कर देता हूं। मैंने 1960 के दशक में एक राजा कलिबा उमर की कहानी सुनी थी। उनके बेटे ने स्कूल से लौटकर फटी हुई शर्ट दिखाते हुए बताया कि कैसे उसके सहपाठी शर्ट ही हालत पर उसे चिढ़ा रहे थे। हालांकि कहानी में राजा के कपड़े पहनने के तरीके (ड्रेसिंग) का ज़िक्र नहीं था।
राजा ने वित्त मंत्री को चिट्ठी लिखकर कहा कि उन्हें वेतन से कुछ ए़डवांस चाहिए, जिससे बेटे के लिए शर्ट खरीद सकें। साथ ही वादा किया कि तीन किश्तों में वे एडवांस चुका देंगे। चिट्ठी मिलने पर वित्त मंत्री ने कर्ज़ दे दिया लेकिन टिप्पणी भी की, जो राजा के कानों तक पहुंच गई। मंत्री ने कहा था, 'ओह.. राजाजी को इतना ज्यादा आत्मविश्वास है कि वे अगले तीन महीने भी राजा बने रहेंगे।' इस बात से राजा को सीख मिली कि 'सत्ता और प्राण' हमेशा अप्रत्याशित होते हैं।
अब आते हैं मार्च 2022 में। पिछले तीन हफ्तों से व्लादिमीर पुतिन खबरों में हैं, जिनमें उनकी बेहद सख्त छवि बताई जा रही है। वॉट्सएप यूनिवर्सिटी में चल रहे वीडियो दिखा रहे हैं कि हट्टे-कट्टे घुड़सवार, कराटे में ब्लैक बेल्ट और राजनीतिक यूनिफॉर्म में नजर आने वाले, खेलों के शौकीन पुतिन कितने हठी हैं। ऐसे दिन दुर्लभ हैं, जब वे अपना एकदम फिट सूट न पहनते हों।
मर्दानगी के पारंपरिक प्रतीक के रूप में, पुतिन सुपरमैन की तरह ऊर्जा दर्शाते हैं। ऐसा करना स्पष्टरूप से सत्ता और अधिकार जमाने का संदेश देता है। आप उनकी छुट्टियों की तस्वीरें देखेंगे तो वे बर्फीले पानी में या खुले इलाकों में सिर्फ पैंट पहनकर घूमते और शैडो बॉक्सिंग (हवा में मुक्केबाजी का अभ्यास) करते दिखते हैं।
कोरोना दौर में पुरुषों को नीचे कैजुअल और ऊपर फॉर्मल पहनने की आदत हो गई थी क्योंकि यही हिस्सा कैमरे पर दिखता था। लेकिन ऑफिस लौटने पर हम भ्रम में पड़ने लगे हैं कि क्या पहनें, क्या नहीं। और वीकऑफ के बाद, सोमवार को तो ये काम और मुश्किल हो जाता है।
जब मैं जवान था, मुझे काऊबॉय ड्रेस हमेशा कूल लगती थी। उनके हैट, बैज, रंगीन पैंट और स्पर (जूतों में धातु की एड़ी) आकर्षित करती थी। फिर अमिताभ बच्चन का दौर आया, जिनका हमेशा सबसे अच्छा ड्रेसिंग सेंस रहा है। यहां तक कि तब भी, जब वे पर्दे पर विलेन को मारते थे। वे न सिर्फ यह स्टाइल से करते थे, बल्कि अपनी फैंस का दिल भी घायल कर देते थे! लेकिन इसके बाद कपड़ों से भी खुद को व्यक्त करने का चलन कुछ धीमा पड़ गया।
हमारे बॉलीवुड के खानों ने पुरुषों के कपड़ों में फूल और पक्षियों को बढ़ावा देकर कुछ मदद की। दिलचस्प है कि लेज़रवियर बनाने वाले, 'नीडल्स' जैसे जापानी ब्रांड ने भी अपने कपड़ों पर तितलियां बनाना शुरू कर दिया। न सिर्फ काऊबॉय पैंट्स और बास्केटबॉल शॉर्ट्स में, बल्कि ब्लेज़र्स में भी!
इस तरह, मेन्स विअर हमेशा अलग-अलग अवतार लेते रहे हैं और हमारे युवा एग्जीक्यूटिव्स अब मानने लगे हैं कि ऑफिस के कपड़ों के लिए कोई तय नियम नहीं होने चाहिए। लेकिन आसपास, बच्चन और पुतिन जैसे लोगों को देखें, जिनका खास ड्रेसिंग सेंस बरकरार है, जिससे उनके इर्द-गिर्द एक आभामंडल या शक्ति (पॉवर) का अहसास होता है। इसका संबंध आपके द्वारा उन्हें पसंद-नापसंद करने से नहीं है, बल्कि इससे है कि वे कैसे अपने ड्रेसिंग पैटर्न के जरिए आत्मविश्वास दर्शाते हैं।
फंडा यह है कि अगर आप , तो आपको 'पॉवर ड्रेसिंग' सीखनी चाहिए, जिससे अपने ऑफिस या बिजनेस को नियंत्रित करने की आपकी शक्ति मजबूत होगी।